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झारखंड में ढीली पड़ी महागठबंधन की गांठ, अस्तित्व बचाने में जुटे विपक्षी दल - झारखंड न्यूज

झारखंड की राजनीति में मौजूदा दौर में विपक्षी दलों पर अस्तित्व का संकट मंडराने लगा है. एक तरफ जहां महागठबंधन के घटक दल लोकसभा इलेक्शन के बाद एकजुट नहीं हो पा रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ उन दलों में भी अस्तित्व बचाए रखने को लेकर जद्दोजहद चल रही है.

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Published : Jun 27, 2019, 2:34 PM IST

रांची: झारखंड के प्रमुख विपक्षी दलों में सबसे बड़े दल झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थिति बेहतर है लेकिन बात अगर सकारात्मक विपक्ष की हो तो उस मामले में झारखंड मुक्ति मोर्चा फिलहाल शांत पड़ा हुआ है. पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के खिलाफ बीजेपी ने मोर्चा खोल दिया है और सीएनटी एक्ट के उल्लंघन के मामले को लेकर लगातार हमले हो रहे हैं बावजूद इसके झामुमो शांत है.

देखें पूरी रिपोर्ट

जेपीसीसी दफ्तर से फिरायालाल चौक तक सिमटी कांग्रेस
दरअसल, 81 इलेक्टेड झारखंड विधानसभा में लगभग 10 सदस्यों वाली कांग्रेस, पार्टी कार्यकर्ताओं की कथित कमी से जूझ रही है. यही वजह रही कि पार्टी लोकसभा चुनाव में सात सीटों पर उम्मीदवार उतारे लेकिन सफलता केवल एक सीट पर मिली. वह भी चाईबासा सीट जहां पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी और जगगन्नाथपुर इलाके से विधायक गीता ने हाल में कांग्रेस का दामन थामन थामा था. रही बात पार्टी के द्वारा आयोजित सरकार के खिलाफ आंदोलनों की तो झारखंड में प्रदेश कांग्रेस का कोई भी दमदार प्रदर्शन नहीं हुआ.

झारखंड में नजर नहीं आते जेपीसीसी चीफ और अन्य
दरअसल, जब से जेपीसीसी की कमान पूर्व एमपी अजय कुमार के हाथों गयी है तबसे उनका यहां आना जाना काफी कम हो गया है. यहां तक कि पार्टी कार्यकर्त्ता उनकी प्रतीक्षा करते रहते हैं कि वो जब आएं तब उनसे मिलने लोग पहुंचे जेपीसीसी की पूरी टीम कुछ प्रवक्ताओं के भरोसे चल रही है.

अस्तिव बचाये रखने की जद्दोजहद के रहा झाविमो और राजद
वहीं, दो विधायकों वाला झाविमो राजद के साथ अपने अस्तित्व को बचाये रखने की जद्दोजहद में लगा है, झाविमो के एक विधायक पर फिलहाल संकट के बादल मंडरा रहे हैं. वहीं, दूसरे विधायक ने पार्टी से कथित दूरी बना रखी है. हालत यह है कि पार्टी के सुप्रीमो अब अपना कुनबा बचाये रखने के लिये संघर्ष कर रहे हैं. वहीं, राजद में पड़ी दरार के बाद नई कमिटी बनाई गई है. अन्नपूर्णा देवी और गिरिनाथ सिंह जैसे हार्डकोर राजद नेताओं के बीजेपी में शिफ्ट करने के बाद पार्टी बिखर गई है. हालांकि पिछले 1 हफ्ते में अलग-अलग मुद्दों को लेकर विपक्षी दलों के मोर्चा के लोगों ने राजभवन के सामने धरना प्रदर्शन किया है लेकिन उन कार्यक्रमों में पार्टी के शीर्ष नेता शामिल तक नहीं हुए.

क्या कहते हैं विपक्षी दलों के नेता
इन सवालों को लेकर विपक्षी दलों के नेता साफ कहते हैं कि उनकी स्ट्रेटजी बन रही है. ऐसा नहीं है कि वह कमजोर पड़ गए हैं. झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया प्रभारी राजेश ठाकुर कहते हैं कि बीजेपी की चिंता कांग्रेस और झामुमो है तो यह अपने आप में एक बड़ी बात है. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि कांग्रेस या अन्य विपक्षी दल कमजोर पड़ गए है. वह भी आंदोलनों की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं और जो आने वाले समय दिखाई देगा. वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता मनोज पांडे का साफ कहना है कि लोकसभा चुनाव के नतीजों को विधानसभा के मुद्दों से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि विधानसभा के मुद्दे अलग होते हैं और इनका असर आगामी इलेक्शन में देखने को मिलेगा. उन्होंने कहा कि झामुमो कहीं से कमजोर नहीं हुई है पार्टी अपने संघर्ष के मूड में है.

रांची: झारखंड के प्रमुख विपक्षी दलों में सबसे बड़े दल झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थिति बेहतर है लेकिन बात अगर सकारात्मक विपक्ष की हो तो उस मामले में झारखंड मुक्ति मोर्चा फिलहाल शांत पड़ा हुआ है. पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के खिलाफ बीजेपी ने मोर्चा खोल दिया है और सीएनटी एक्ट के उल्लंघन के मामले को लेकर लगातार हमले हो रहे हैं बावजूद इसके झामुमो शांत है.

देखें पूरी रिपोर्ट

जेपीसीसी दफ्तर से फिरायालाल चौक तक सिमटी कांग्रेस
दरअसल, 81 इलेक्टेड झारखंड विधानसभा में लगभग 10 सदस्यों वाली कांग्रेस, पार्टी कार्यकर्ताओं की कथित कमी से जूझ रही है. यही वजह रही कि पार्टी लोकसभा चुनाव में सात सीटों पर उम्मीदवार उतारे लेकिन सफलता केवल एक सीट पर मिली. वह भी चाईबासा सीट जहां पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी और जगगन्नाथपुर इलाके से विधायक गीता ने हाल में कांग्रेस का दामन थामन थामा था. रही बात पार्टी के द्वारा आयोजित सरकार के खिलाफ आंदोलनों की तो झारखंड में प्रदेश कांग्रेस का कोई भी दमदार प्रदर्शन नहीं हुआ.

झारखंड में नजर नहीं आते जेपीसीसी चीफ और अन्य
दरअसल, जब से जेपीसीसी की कमान पूर्व एमपी अजय कुमार के हाथों गयी है तबसे उनका यहां आना जाना काफी कम हो गया है. यहां तक कि पार्टी कार्यकर्त्ता उनकी प्रतीक्षा करते रहते हैं कि वो जब आएं तब उनसे मिलने लोग पहुंचे जेपीसीसी की पूरी टीम कुछ प्रवक्ताओं के भरोसे चल रही है.

अस्तिव बचाये रखने की जद्दोजहद के रहा झाविमो और राजद
वहीं, दो विधायकों वाला झाविमो राजद के साथ अपने अस्तित्व को बचाये रखने की जद्दोजहद में लगा है, झाविमो के एक विधायक पर फिलहाल संकट के बादल मंडरा रहे हैं. वहीं, दूसरे विधायक ने पार्टी से कथित दूरी बना रखी है. हालत यह है कि पार्टी के सुप्रीमो अब अपना कुनबा बचाये रखने के लिये संघर्ष कर रहे हैं. वहीं, राजद में पड़ी दरार के बाद नई कमिटी बनाई गई है. अन्नपूर्णा देवी और गिरिनाथ सिंह जैसे हार्डकोर राजद नेताओं के बीजेपी में शिफ्ट करने के बाद पार्टी बिखर गई है. हालांकि पिछले 1 हफ्ते में अलग-अलग मुद्दों को लेकर विपक्षी दलों के मोर्चा के लोगों ने राजभवन के सामने धरना प्रदर्शन किया है लेकिन उन कार्यक्रमों में पार्टी के शीर्ष नेता शामिल तक नहीं हुए.

क्या कहते हैं विपक्षी दलों के नेता
इन सवालों को लेकर विपक्षी दलों के नेता साफ कहते हैं कि उनकी स्ट्रेटजी बन रही है. ऐसा नहीं है कि वह कमजोर पड़ गए हैं. झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया प्रभारी राजेश ठाकुर कहते हैं कि बीजेपी की चिंता कांग्रेस और झामुमो है तो यह अपने आप में एक बड़ी बात है. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि कांग्रेस या अन्य विपक्षी दल कमजोर पड़ गए है. वह भी आंदोलनों की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं और जो आने वाले समय दिखाई देगा. वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता मनोज पांडे का साफ कहना है कि लोकसभा चुनाव के नतीजों को विधानसभा के मुद्दों से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि विधानसभा के मुद्दे अलग होते हैं और इनका असर आगामी इलेक्शन में देखने को मिलेगा. उन्होंने कहा कि झामुमो कहीं से कमजोर नहीं हुई है पार्टी अपने संघर्ष के मूड में है.

Intro:बाइट 1- मनोज पांडे केंद्रीय प्रवक्ता झामुमो
बाइट 2- राजेश ठाकुर, मीडिया प्रभारी, जेपीसीसी

रांची। झारखण्ड की राजनीति में मौजूदा दौर में विपक्षी दलों पर अस्तित्व का संकट मंडराने लगा है। एक तरफ जहां महागठबंधन के घटक दल लोकसभा इलेक्शन के बाद एकजुट नहीं हो पा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ उन दलों में भी अस्तित्व बचाए रखने को लेकर जद्दोजहद चल रही है। हालांकि प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दलों में सबसे बड़े दल झारखण्ड मुक्ति मोर्चा की स्थिति बेहतर है लेकिन बात अगर सकारात्मक विपक्ष के हो तो उस मामले में झारखंड मुक्ति मोर्चा फिलहाल शांत पड़ा हुआ है पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष हेमंत सोरेन के खिलाफ बीजेपी ने मोर्चा खोल दिया है और सीएनटी एक्ट के उल्लंघन के मामले को लेकर लगातार हमले हो रहे हैं बावजूद इसके झामुमो शांत है।


Body:जेपीसीसी दफ्तर से फिरायालाल चौक तक सिमटी कांग्रेस
दरअसल 81 इलेक्टेड झारखण्ड विधानसभा में लगभग 10 सदस्यों वाली कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ताओं की कथित कमी से जूझ रही है। यही वजह रही कि पार्टी लोकसभा चुनाव में सात सीटों पर उम्मीदवार उतारे लेकिन सफलता केवल एक सीट पर मिली। वह भी चाईबासा सीट जहां पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी और जगगन्नाथपुर इलाके से विधायक गीता ने हाल में कांग्रेस का दामन थामन थामा था। रही बात पार्टी के द्वारा आयोजित सरकार क्व खिलाफ आंदोलनों की तो झारखण्ड में प्रदेश कांग्रेस का कोई भी दमदार प्रदर्शन नहीं हुआ।
झारखण्ड में नजर नहीं आते जेपीसीसी चीफ और अन्य
दरअसल जब से जेपीसीसी की कमान पूर्व एमपी अजय कुमार के हाथों गयी है तबसे उनका यहां आना जाना काफी कम हो गया है। यहां तक कि पार्टी कार्यकर्त्ता उनकी प्रतीक्षा करते रहते हैं कि वो जब आएं तब उनसे मिलने लोग पहुंचे जेपीसीसी की पूरी टीम कुछ प्रवक्ताओं के भरोसे चल रही है।




Conclusion:अस्तिव बचाये रखने की जद्दोजहद के रहा झाविमो और राजद
वहीं दो विधायकों वाला झाविमो राजद के साथ अपने अस्तित्व को बचाये रखने की जद्दोजहद में लगा है। झाविमो के एक विधायक पर फिलहाल संकट के बादल मंडरा रहे हैं वहीं दूसरे विधायक ने पार्टी से कथित दूरी बना रखी है। हालत यह है कि पार्टी के सुप्रीमो अब अपना कुनबा बचाये रखने के लिये संघर्ष कर रहे हैं। वहीं राजद में पड़ी दरार के बाद नई कमिटी बनाई गई है। अन्नपूर्णा देवी और गिरिनाथ सिंह जैसे हार्डकोर राजद नेताओं के बीजेपी में शिफ्ट करने के बाद पार्टी बिखर गई है। हालांकि पिछले 1 हफ्ते में अलग-अलग मुद्दों को लेकर विपक्षी दलों के मोर्चा के लोगों ने राज भवन के सामने धरना प्रदर्शन किया है लेकिन उन कार्यक्रमों में पार्टी के शीर्ष नेता शामिल तक नहीं हुआ।

क्या कहते हैं विपक्षी दलों के नेता
इन सवालों को लेकर विपक्षी दलों के नेता साफ कहते हैं कि उनकी स्ट्रेटजी बन रही है। ऐसा नहीं है कि वह कमजोर पड़ गए हैं। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया प्रभारी राजेश ठाकुर कहते हैं कि बीजेपी की चिंता कांग्रेस और झामुमो है तो यह अपने आप में एक बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि कांग्रेस या ने अन्य विपक्षी दल कमजोर पड़ गए है। वह भी आंदोलनों की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं और आने वाले समय दिखाई देगा। वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता मनोज पांडे का साफ कहना है कि लोकसभा चुनाव के नतीजों को विधानसभा के मुद्दों से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधानसभा के मुद्दे अलग होते हैं और इनका असर आगामी इलेक्शन में देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि झामुमो कहीं से कमजोर नहीं हुई है पार्टी अपने संघर्ष के मूड में है।
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