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JSCA स्टेडियम में किया जा रहा बदलाव, जानें क्या है खास

राजधानी रांची में जेएससीए स्टेडियम की पिच की मरम्मती की जा रही है. इसमें थ्री लेयर विकेट पिच का निर्माण हो रहा है और इससे बैट्समैन को काफी फायदा मिलेगा.

जेएससीए स्टेडियम की पिच की मरम्मती
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Published : Jun 18, 2019, 1:31 PM IST

रांची: जेएससीए स्टेडियम में होने वाले अंतरराष्ट्रीय मैच के दौरान अब खूब चौके और छक्के देखने को मिलेंगे. लगातार 10 सालों तक रांची के ठाकुर गांव और पिठोरिया की मिट्टी पिच पर इस्तेमाल के बाद विशेषज्ञ ओडिशा के बलांगीर और बिहार के मोकामा के टाल एरिया की काली मिट्टी से जेएससीए स्टेडियम की पिच की मरम्मती की जा रही है. वहीं, अतिरिक्त चार पिच भी प्रैक्टिस के लिए बनवाए जा रहे हैं. विशेषज्ञों ने ईटीवी टीम से इस बारे में खास बातचीत की.

देखें पूरी खबर

रांची के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में पिछले 8 से 10 सालों के बीच कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय मैच हुए. इस दौरान पिच में आई छोटी-मोटी खराबियों की ड्रेसिंग तो की जाती रही, लेकिन इस बार आने वाले तमाम मैचों को देखते हुए जेएससीए खास तैयारी कर रहा है.

ये भी पढ़ें-AK-47 के साथ तीन महिला समेत 6 हार्डकोर नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

जेएससीए स्टेडियम में चार और पिच का निर्माण
दरअसल, पिच की टॉप ड्रेसिंग को पुनर्जीवित करने की एक प्रक्रिया के तहत पिच की मरम्मती की जा रही है. जेएससीए स्टेडियम में अतिरिक्त प्रैक्टिस मैच के लिए चार और अतिरिक्त पिच बनवाई जा रही है. जेएससीए के मुख्य क्यूरेटर एसबी सिंह कहते हैं कि जो पिच बनाने की प्रक्रिया चल रही है, वो देश विदेश में भी फॉलो की जाती है.

थ्री लेयर विकेट पिच का निर्माण
इसमें थ्री लेयर विकेट पिच का निर्माण हो रहा है और यह विकेट का 3 लेयर होता है. पहला लेयर फाइन बालू का 4 इंच कवर दिया जाता है, बालू का 4 इंच के ऊपर फिर दूसरी लेयर चढ़ाया जाता है. इसमें बीच का ड्रेनेज क्लियर रहता है और यह दोनों कवर करने के बाद पिच में जो मिट्टी डाली जाती है. वह 8 से लेकर 12 इंच तक का मोटा कवर करती है. जिसमें क्ले मिट्टी और टफ मिट्टी का यूज किया जाता है.

पहली बार तीन तरह के मिट्टी का किया जा रहा है एक्सपेरिमेंट
गौरतलब है कि अब तक 10 सालों से जिस पिच का जेएससीए में उपयोग होता आया है. उसमें ठाकुर गांव और पिठोरिया की काली मिट्टी का उपयोग किया गया है. यह मिट्टी सपाट पिच के लिए बेहतरीन माना गया है, लेकिन खिलाड़ियों को दूसरे पिच का अनुभव देने के उद्देश्य से ओडिशा के बलांगीर और बिहार के मोकामा के टाल एरिया के विशेषज्ञों के सुझाव पर काली मिट्टी मंगाई गई है. इसके अलावा तीसरा लाल मिट्टी बुंडू तमाड़ के बीच में है, वहां से भी मिट्टी मंगाए गए हैं. जिसका लेआउट बेहतरीन तरीके से तैयार की जा रही है.

माही के शहर में बैटिंग पिच पर ज्यादा फोकस
विशेषज्ञ कहते हैं कि इस तरह के पिच पर बैट्समैन को फायदा मिलता है. हालांकि बॉलर्स के लिए भी यह पिच सपाट तैयार किया जाता है, जिसमें अच्छा स्कोर बनता है और सेकंड इनिंग में बोलर्स के लिए भी इस तरीके के पिच शानदार साबित होता है. जैसे-जैसे दिन चढ़ता जाएगा घास की नमी कम होगी और बॉलर को सपोर्ट करने लगेगी.

धोनी का आइडिया
जेएससीए स्टेडियम में 9 पिचों में से 8 काली मिट्टी से बनी पिच, जबकि एक पिच पीली मिट्टी से बनी है. इसके निर्माण के पीछे का आइडिया महेंद्र सिंह धोनी का है जो लगभग 3 साल पहले बनाई गई है.

40 से 50 मजदूर काम में जुटे
आने वाले दिनों में कई राष्ट्रीय मैच यहां खेले जाने हैं. इसके अलावा अक्टूबर महीने में इंडिया की भिड़ंत साउथ अफ्रीका के साथ एक टेस्ट मैच के दौरान भी इस पिच पर देखने को मिलेगा. जेएससीए ग्राउंड के इंफ्रास्ट्रक्चर के अलावे अपने इस स्टेडियम के पिच को भी बेहतरीन तरीके से बनवा रही है. हर दिन 40 से 50 मजदूर काम में जुटे हैं और लगातार मिट्टी की कटाई हो रही है. इसके साथ ही पिच निर्माण में भी युद्ध स्तर पर काम चल रहा है विशेषज्ञों के मुताबिक यह एक शानदार पिच होगा.

रांची: जेएससीए स्टेडियम में होने वाले अंतरराष्ट्रीय मैच के दौरान अब खूब चौके और छक्के देखने को मिलेंगे. लगातार 10 सालों तक रांची के ठाकुर गांव और पिठोरिया की मिट्टी पिच पर इस्तेमाल के बाद विशेषज्ञ ओडिशा के बलांगीर और बिहार के मोकामा के टाल एरिया की काली मिट्टी से जेएससीए स्टेडियम की पिच की मरम्मती की जा रही है. वहीं, अतिरिक्त चार पिच भी प्रैक्टिस के लिए बनवाए जा रहे हैं. विशेषज्ञों ने ईटीवी टीम से इस बारे में खास बातचीत की.

देखें पूरी खबर

रांची के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में पिछले 8 से 10 सालों के बीच कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय मैच हुए. इस दौरान पिच में आई छोटी-मोटी खराबियों की ड्रेसिंग तो की जाती रही, लेकिन इस बार आने वाले तमाम मैचों को देखते हुए जेएससीए खास तैयारी कर रहा है.

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जेएससीए स्टेडियम में चार और पिच का निर्माण
दरअसल, पिच की टॉप ड्रेसिंग को पुनर्जीवित करने की एक प्रक्रिया के तहत पिच की मरम्मती की जा रही है. जेएससीए स्टेडियम में अतिरिक्त प्रैक्टिस मैच के लिए चार और अतिरिक्त पिच बनवाई जा रही है. जेएससीए के मुख्य क्यूरेटर एसबी सिंह कहते हैं कि जो पिच बनाने की प्रक्रिया चल रही है, वो देश विदेश में भी फॉलो की जाती है.

थ्री लेयर विकेट पिच का निर्माण
इसमें थ्री लेयर विकेट पिच का निर्माण हो रहा है और यह विकेट का 3 लेयर होता है. पहला लेयर फाइन बालू का 4 इंच कवर दिया जाता है, बालू का 4 इंच के ऊपर फिर दूसरी लेयर चढ़ाया जाता है. इसमें बीच का ड्रेनेज क्लियर रहता है और यह दोनों कवर करने के बाद पिच में जो मिट्टी डाली जाती है. वह 8 से लेकर 12 इंच तक का मोटा कवर करती है. जिसमें क्ले मिट्टी और टफ मिट्टी का यूज किया जाता है.

पहली बार तीन तरह के मिट्टी का किया जा रहा है एक्सपेरिमेंट
गौरतलब है कि अब तक 10 सालों से जिस पिच का जेएससीए में उपयोग होता आया है. उसमें ठाकुर गांव और पिठोरिया की काली मिट्टी का उपयोग किया गया है. यह मिट्टी सपाट पिच के लिए बेहतरीन माना गया है, लेकिन खिलाड़ियों को दूसरे पिच का अनुभव देने के उद्देश्य से ओडिशा के बलांगीर और बिहार के मोकामा के टाल एरिया के विशेषज्ञों के सुझाव पर काली मिट्टी मंगाई गई है. इसके अलावा तीसरा लाल मिट्टी बुंडू तमाड़ के बीच में है, वहां से भी मिट्टी मंगाए गए हैं. जिसका लेआउट बेहतरीन तरीके से तैयार की जा रही है.

माही के शहर में बैटिंग पिच पर ज्यादा फोकस
विशेषज्ञ कहते हैं कि इस तरह के पिच पर बैट्समैन को फायदा मिलता है. हालांकि बॉलर्स के लिए भी यह पिच सपाट तैयार किया जाता है, जिसमें अच्छा स्कोर बनता है और सेकंड इनिंग में बोलर्स के लिए भी इस तरीके के पिच शानदार साबित होता है. जैसे-जैसे दिन चढ़ता जाएगा घास की नमी कम होगी और बॉलर को सपोर्ट करने लगेगी.

धोनी का आइडिया
जेएससीए स्टेडियम में 9 पिचों में से 8 काली मिट्टी से बनी पिच, जबकि एक पिच पीली मिट्टी से बनी है. इसके निर्माण के पीछे का आइडिया महेंद्र सिंह धोनी का है जो लगभग 3 साल पहले बनाई गई है.

40 से 50 मजदूर काम में जुटे
आने वाले दिनों में कई राष्ट्रीय मैच यहां खेले जाने हैं. इसके अलावा अक्टूबर महीने में इंडिया की भिड़ंत साउथ अफ्रीका के साथ एक टेस्ट मैच के दौरान भी इस पिच पर देखने को मिलेगा. जेएससीए ग्राउंड के इंफ्रास्ट्रक्चर के अलावे अपने इस स्टेडियम के पिच को भी बेहतरीन तरीके से बनवा रही है. हर दिन 40 से 50 मजदूर काम में जुटे हैं और लगातार मिट्टी की कटाई हो रही है. इसके साथ ही पिच निर्माण में भी युद्ध स्तर पर काम चल रहा है विशेषज्ञों के मुताबिक यह एक शानदार पिच होगा.

Intro:रेडी टू एयर... डे प्लान...एक्सक्लूसिव।


रांची:

जेएससीए स्टेडियम में होने वाले अंतरराष्ट्रीय मैच के दौरान अब खूब चौके और छक्के देखने को मिलेंगे ,लगातार 10 वर्षों तक रांची के ठाकुर गांव और पिठोरिया की मिट्टी पिच पर इस्तेमाल के बाद विशेषज्ञ उड़ीसा के बलांगीर और बिहार के मोकामा के टाल एरिया की काली मिट्टी से जेएससीए स्टेडियम की पिच की मरम्मती की जा रही है .वहीं अतिरिक्त चार पिच भी प्रैक्टिस के लिए बनवाए जा रहे हैं .विशेषज्ञों ने हमारी टीम को एक खास बातचीत के दौरान जानकारी दी है कि बिहार और उड़ीसा के मिट्टी कुछ खास है..


Body:बहुत कम लोगों को ही यह पता होगा कि आखिर क्रिकेट के मैदान में छक्के चौके जहां से जड़े जाते हैं या फिर एक के बाद एक विकटे ली जाती है उस पिच का निर्माण आखिर कैसे होता है ? रांची के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में पिछले 8 से 10 सालों के बीच कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय मैच हुए .इस दौरान पीच में आई छोटी-मोटी खराबीयों की ड्रेसिंग तो की जाती रही ही है .लेकिन इस बार आने वाले तमाम मैचों को देखते हुए जेएससीए खास तैयारी कर रही है .दरअसल पीच की टॉप ड्रेसिंग को पुनर्जीवित करने की एक प्रक्रिया के तहत पिच की मरम्मती तो हो ही रही है .जेएससीए स्टेडियम में अतिरिक्त प्रैक्टिस मैच के लिए चार और अतिरिक्त पीचे बनवाई जा रही है .जेएससीए के मुख्य क्यूरेटर एसबी सिंह कहते हैं कि जो पीच बनाने की प्रक्रिया चल रही है .वह देश विदेश में भी फॉलो की जाती है .थ्री लेयर विकेट पीच का निर्माण हो रहा है और यह विकेट का 3 लेयर होता है. पहला लेयर फाइन बालू का 4 इंच कवर दिया जाता है ,बालू का 4 इंच के ऊपर फिर दूसरी लेयर चढ़ाया जाता है .इसमें बीच का ड्रेनेज क्लियर रहता है और यह दोनों कवर करने के बाद पीच में जो मिट्टी डाली जाती है .वह 8 से लेकर 12 इंच तक का मोटा कवर करती है. जिसमें क्ले मिट्टी और टफ़ मिट्टी का यूज किया जाता है.

झारखंड में पहली बार तीन तरह के मिट्टी का किया जा रहा है एक्सपेरिमेंट:


गौरतलब है कि अब तक 10 वर्षों से जिस पीच का जेएससीए में उपयोग होता आया है .उसमे ठाकुर गांव और पिठोरिया की काली मिट्टी का उपयोग किया गया है. यह मिट्टी सपाट पीच के लिए बेहतरीन माना गया है .लेकिन खिलाड़ियों को दूसरे पीच का अनुभव देने के उद्देश्य से उड़ीसा के बलांगीर और बिहार के मोकामा के टाल एरिया के विशेषज्ञों के सुझाव पर काली मिट्टी मंगाई गई है .इसके अलावा तीसरा लाल मिट्टी बुंडू तमाड़ के बीच में है वहां से भी मिट्टी मंगाए गए हैं. जिसका लेआउट बेहतरीन तरीके से तैयार की जा रही है.

माही के शहर में बैटिंग पिच पर ज्यादा फोकस:

विशेषज्ञ कहते हैं कि इस तरह के पीच पर बैट्समैन को फायदा मिलता है. हालांकि बॉलर्स के लिए भी यह पिच सपाट तैयार किया जाता है जिसमें अच्छा स्कोर बनता है और सेकंड इनिंग में बोलर्स के लिए भी इस तरीके के पीच शानदार साबित होता है. जैसे-जैसे दिन चढ़ता जाएगा घास की नमी कम होगी और बॉलर को सपोर्ट करने लगेगी।

जेएससीए स्टेडियम में 9 पिचों में से 8 काली मिट्टी से बनी पीछे जबकि एक पीच पीली मिट्टी से बनी है इसके निर्माण के पीछे का आइडिया महेंद्र सिंह धोनी का है जो लगभग 3 साल पहले बनाई
गई है.

बाइट-एस बी सिंह, मुख्य क्यूरेटर, जेएससीए अधिकृत बीसीसीआई।



Conclusion:आने वाले दिनों में कई राष्ट्रीय मैच यहां खेले जाने हैं इसके अलावे अक्टूबर माह में इंडिया का भिड़ंत साउथ अफ्रीका के साथ एक टेस्ट मैच के दौरान भी इस पीच पर देखने को मिलेगा. जेएससीए ग्राउंड के इंफ्रास्ट्रक्चर के अलावे अपने इस स्टेडियम के पीच को भी बेहतरीन तरीके से बनवा रही है .प्रतिदिन 40 से 50 मजदूर काम में जुटे हैं और लगातार मिट्टी की कटाई हो रही है .साथ ही पीच निर्माण में भी युद्ध स्तर पर काम चल रहा है विशेषज्ञों के मुताबिक यह एक शानदार पीच होगा.
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