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रांची यूनिवर्सिटी का नया फरमान, सेमेस्टर 3 की परीक्षा खत्म होने के 46 दिन के अंदर होगी सेमेस्टर 4 की परीक्षा - Education Ministry

विश्वविद्यालय में पीजी सत्र पर वर्ष 2016 में सीबीसीएस सिस्टम लागू किया गया. इसके बाद परीक्षा समय पर नहीं होने के कारण सत्र में विलंब हो गया. इसी सत्र को नियमित करने को लेकर आरयू की ओर से नए नए प्रयोग किए जा रहे हैं. आरयू प्रशासन के प्रयोग के कारण विद्यार्थियों को दो-चार होना पड़ रहा है. विद्यार्थियों की मानें, परीक्षा तो ली जा रही है लेकिन परिणाम बेहतर नहीं आ सकते. हड़बड़ी में छात्र ना तो पढ़ पा रहे हैं और ना ही सही तरीके से एग्जाम दे पा रहे हैं.

रांची यूनिवर्सिटी
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Published : May 18, 2019, 4:34 PM IST

रांची: विश्वविद्यालय रांची द्वारा अपने सेशन को नियमित करने को लेकर पूरी कोशिश कर रही है. सेमेस्टर सिस्टम लागू होने के बावजूद स्नातक की परीक्षा समय पर नहीं हो पा रही है. वहीं, स्नाकोत्तर सत्र 2017-19 की परीक्षा आयोजित होने के 5 दिन बाद ही रिजल्ट जारी कर दिए जाने का निर्णय लिया गया है. सेमेस्टर तीन की परीक्षा खत्म होने के 46 दिन के अंदर सेमेस्टर 4 की परीक्षा शुरू करने का निर्णय लिया गया है. इससे विद्यार्थियों के बीच काफी उहापोह की स्थिति है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

दरअसल, विश्वविद्यालय में पीजी सत्र पर वर्ष 2016 में सीबीसीएस सिस्टम लागू किया गया. इसके बाद परीक्षा समय पर नहीं होने के कारण सत्र में विलंब हो गया. इसी सत्र को नियमित करने को लेकर आरयू की ओर से नए नए प्रयोग किए जा रहे हैं. आरयू प्रशासन के प्रयोग के कारण विद्यार्थियों को दो-चार होना पड़ रहा है. विद्यार्थियों की मानें, परीक्षा तो ली जा रही है लेकिन परिणाम बेहतर नहीं आ सकते. हड़बड़ी में छात्र ना तो पढ़ पा रहे हैं और ना ही सही तरीके से एग्जाम दे पा रहे हैं.

ऐसे में क्वालिटी एजुकेशन विद्यार्थियों को नहीं मिल पा रहा है. इस वजह से विद्यार्थी अन्य विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों के कंधे से कंधे मिलाकर कैसे चल सकते हैं. यह एक बड़ा सवाल है. जबकि आरयू के इस प्रयोग के संबंध में प्रतिकुलपति कामिनी कुमार का कहना है की विश्वविद्यालय का इस निर्णय का पूरा समर्थन विद्यार्थियों का मिला है, तब जाकर विश्वविद्यालय प्रशासन इसमें सफलता पाई है.

रांची: विश्वविद्यालय रांची द्वारा अपने सेशन को नियमित करने को लेकर पूरी कोशिश कर रही है. सेमेस्टर सिस्टम लागू होने के बावजूद स्नातक की परीक्षा समय पर नहीं हो पा रही है. वहीं, स्नाकोत्तर सत्र 2017-19 की परीक्षा आयोजित होने के 5 दिन बाद ही रिजल्ट जारी कर दिए जाने का निर्णय लिया गया है. सेमेस्टर तीन की परीक्षा खत्म होने के 46 दिन के अंदर सेमेस्टर 4 की परीक्षा शुरू करने का निर्णय लिया गया है. इससे विद्यार्थियों के बीच काफी उहापोह की स्थिति है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

दरअसल, विश्वविद्यालय में पीजी सत्र पर वर्ष 2016 में सीबीसीएस सिस्टम लागू किया गया. इसके बाद परीक्षा समय पर नहीं होने के कारण सत्र में विलंब हो गया. इसी सत्र को नियमित करने को लेकर आरयू की ओर से नए नए प्रयोग किए जा रहे हैं. आरयू प्रशासन के प्रयोग के कारण विद्यार्थियों को दो-चार होना पड़ रहा है. विद्यार्थियों की मानें, परीक्षा तो ली जा रही है लेकिन परिणाम बेहतर नहीं आ सकते. हड़बड़ी में छात्र ना तो पढ़ पा रहे हैं और ना ही सही तरीके से एग्जाम दे पा रहे हैं.

ऐसे में क्वालिटी एजुकेशन विद्यार्थियों को नहीं मिल पा रहा है. इस वजह से विद्यार्थी अन्य विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों के कंधे से कंधे मिलाकर कैसे चल सकते हैं. यह एक बड़ा सवाल है. जबकि आरयू के इस प्रयोग के संबंध में प्रतिकुलपति कामिनी कुमार का कहना है की विश्वविद्यालय का इस निर्णय का पूरा समर्थन विद्यार्थियों का मिला है, तब जाकर विश्वविद्यालय प्रशासन इसमें सफलता पाई है.

Intro:रेडी टू एयर....


रांची।

रांची विश्वविद्यालय द्वारा अपने सेशन को नियमित करने को लेकर एड़ी चोटी एक की जा रही है ,सेमेस्टर सिस्टम लागू होने के बावजूद स्नातक की परीक्षा समय पर नहीं हो पा रही है .वहीं स्नाकोत्तर सत्र 2017- 19 की परीक्षा आयोजित होने के 5 दिन बाद ही रिजल्ट जारी कर दिए जाने का निर्णय लिया गया है और सेमेस्टर तीन की परीक्षा समाप्त होने के 46 दिन के अंदर सेमेस्टर 4 की परीक्षा शुरू करने का निर्णय लिया गया है .इससे विद्यार्थियों के बीच काफी उहापोह की स्थिति है..


Body:रांची विश्वविद्यालय के पीजी छात्रों की परेशानी बढ़ गई है. दरअसल आरयू के पीजी सत्र 2017 -19 की परीक्षा 10 जून से शुरू होकर 25 जून तक चलेगी. इसके बाद 30 जून तक रिजल्ट भी जारी कर दिया जाएगा .विश्वविद्यालय ने सत्र नियमित करने के लिए सेमेस्टर 3 की परीक्षा समाप्त होने के 46 दिन के अंदर सेमेस्टर 4 की परीक्षा शुरू करने का निर्णय लिया है. रांची विश्वविद्यालय में पीजी का सत्र लगभग 1 वर्ष लेट से चल रहा है. इतनी हड़बड़ी में परीक्षा आयोजित होने के कारण विद्यार्थियों की परेशानी बढ़ गई है .दरअसल विश्वविद्यालय में पीजी सत्र पर वर्ष 2016 में सीबीसीएस सिस्टम लागू किया गया था ,इसके बाद परीक्षा समय पर नहीं होने के कारण सत्र विलंब हो गया और इसी सत्र को नियमित करने को लेकर आरयू द्वारा नया नया प्रयोग किया जा रहा है. आरयू प्रशासन के प्रयोग के कारण विद्यार्थियों को दो-चार होना पड़ रहा है .विद्यार्थियों की माने तो परीक्षा तो ली जा रही है लेकिन परीक्षा परिणाम बेहतर नहीं आ सकता है. हड़बड़ी में छात्र ना तो पढ़ पा रहे हैं और ना ही सही तरीके से एग्जाम ही दे पा रहे हैं .आनन-फानन में परीक्षा ली जा रही है ऐसे में क्वालिटी एजुकेशन विद्यार्थियों को नहीं मिल पा रहा है .इस वजह से विद्यार्थी अन्य विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों के कंधे से कंधे मिलाकर कैसे चल सकते हैं यह एक बड़ा सवाल है. जबकि आरयू के इस प्रयोग के संबंध में प्रतिकुलपति कामिनी कुमार का कहना है की विश्वविद्यालय का इस निर्णय का पूरा समर्थन विद्यार्थियों का मिला है तब जाकर विश्वविद्यालय प्रशासन इसमें सफलता पाई है.

बाइट-कामिनी कुमार,प्रोवीसी,आरयू

बाइट-पीजी छात्र,आरयू।


Conclusion:हालांकि अधिकतर विद्यार्थियों का मानना है कि इस तरह से हड़बड़ी में लिए जाने का फैसला विद्यार्थियों के हित में नहीं है. आगे जाकर विद्यार्थियों को इससे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. क्योंकि विद्यार्थी पढ़े लिखे वैगर ही दबाब में परीक्षा देने के लिए मजबूर है और विद्यार्थियों ने विवि प्रशासन पर यह आरोप लगाया है कि मार्क्स भी एक आधार पर दिया जा रहा है .पारदर्शिता के साथ उत्त्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन तक नही हो रहा है.जो कि एक गंभीर मामला है.
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