रांची: राजधानी रांची संसदीय सीट पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता रामटहल चौधरी के बगावती तेवर पार्टी के लिए घातक साबित हो सकती है. दरअसल, बीजेपी ने इस बार उनके बजाए झारखंड खादी ग्राम उद्योग बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ को मैदान में उतारा है.
रांची संसदीय सीट के भूगोल के हिसाब से इसके अंतर्गत सिल्ली, खिजरी, हटिया, कांके और रांची विधानसभा सीट रांची जिले में पड़ता है. जबकि सराइकेला खरसावां का ईचागढ़ विधानसभा इलाका भी इसी में आता है. इन छह में से 5 विधानसभा इलाके पर बीजेपी का कब्जा है.
अगर जातिगत समीकरण की बात करें तो इन इलाकों में अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी निर्णायक भूमिका निभाती है. खासकर उसमें कुर्मी जाति के वोटर एक तरीके से डिसाइडिंग फैक्टर भी होते हैं. हालांकि रामटहल इन कुर्मी जाति के वोटरों के नेता माने जाते हैं. जिसकी बदौलत वह अब तक 5 बार इस पार्लियामेंट सीट से एमपी बनते रहे हैं. वहीं इस बार पार्टी ने संजय सेठ को मैदान में उतारा है.
पार्टी सूत्रों के अनुसार सेठ की पकड़ ग्रामीण इलाकों में उतनी नहीं है और उन्हें इस बाबत पार्टी के कैडर के सहारे हैं. वहीं, दूसरी तरफ रामटहल चौधरी ग्रामीण इलाकों पर अच्छी पकड़ रखते हैं और कैडर का भी उनको सहयोग मिलता रहा है. हालांकि रामटहल चौधरी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे और 17 अप्रैल को अपना नामांकन भी दाखिल करेंगे.
जानकारी के अनुसार रामटहल चौधरी अगर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भी खड़े होते हैं तो वह कहीं ना कहीं सीधे तौर पर बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकते हैं. और कहीं ना कहीं इसका असर सुबोधकांत सहाय को दिखने लगा है.