ETV Bharat / state

हॉर्स ट्रेडिंग मामला: रिकार्डिंग का मूल यंत्र पुलिस के पास नहीं, जांच प्रभावित - झारखंड न्यूज

राज्यसभा चुनाव 2016 मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद रांची पुलिस ने केस में गवाह के तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, कांग्रेस नेता योगेंद्र साव और निर्मला देवी को नोटिस देकर मूलयंत्र की मांग की थी. बाबूलाल मरांडी ने अपने बयान में कहा कि मूलयंत्र उनके पास नहीं बल्कि योगेंद्र साव के पास है. पुलिस ने योगेंद्र साव को कई बार नोटिस किया, लेकिन उन्होंने मूल यंत्र देने से इंकार कर दिया. वहीं, निर्मला देवी और योगेंद्र साव ने अबतक अपना बयान भी पुलिस को दर्ज नहीं कराया.

एडीजी अनुराग गुप्ता (फाइल फोटो)
author img

By

Published : Apr 26, 2019, 3:35 AM IST

रांची: राज्यसभा चुनाव 2016 मामले में दर्ज कांड में रांची पुलिस को केस दर्ज होने के 10 माह बाद भी वह मूल यंत्र नहीं मिल पाया है, जिसका इस्तेमाल कर कथित तौर पर रिकॉर्डिंग की गई थी. 24 अप्रैल को राज्यसभा चुनाव मामले में तत्कालीन स्पेशल ब्रांच के एडीजी अनुराग गुप्ता, सीएम के तत्कालीन राजनीतिक सलाहकार अजय कुमार को आरोपी बनाते हुए प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

एफआईआर दर्ज होने के बाद रांची पुलिस ने केस में गवाह के तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, कांग्रेस नेता योगेंद्र साव और निर्मला देवी को नोटिस देकर मूलयंत्र की मांग की थी. बाबूलाल मरांडी ने अपने बयान में कहा कि मूलयंत्र उनके पास नहीं बल्कि योगेंद्र साव के पास है. पुलिस ने योगेंद्र साव को कई बार नोटिस किया, लेकिन उन्होंने मूल यंत्र देने से इंकार कर दिया. वहीं, निर्मला देवी और योगेंद्र साव ने अबतक अपना बयान भी पुलिस को दर्ज नहीं कराया. रांची पुलिस की टीम पूर्व में दोनों साक्षियों का बयान लेने भोपाल भी गई थी. योगेंद्र साव अब जेल में हैं, ऐसे में पुलिस उनका बयान दर्ज कराने के लिए कोर्ट में आवेदन देगी.

न्यायालय में दी गई सीडी को भेजा गया एफएसएल

मूल यंत्र नहीं मिलने पर रांची पुलिस ने कोर्ट को इसकी जानकारी दी है. ऐसे में पुलिस ने कोर्ट में दी गई एक सीडी को कोर्ट के आदेश से प्राप्त कर एफएसएल जांच के लिए सेंट्रल फोरेंसिक लाइब्रेरी गांधीनगर भेजा है.

जांचकर्ता ने लिखा अपना पक्ष

राज्यसभा चुनाव में दर्ज कांड की समीक्षा के दौरान बेड़ो डीएसपी संजय कुमार ने पाया कि केस का मूल आधार एक ऑडियो सीडी है, जो कोर्ट में जमा है. ऐसे में कोर्ट में आवेदन देकर पुलिस ने सीडी को सील कर एफएसएल गांधीनगर भेजा है. केस के अनुसंधानकर्ता को आदेश दिया गया है कि मूल यंत्र प्राप्त कर उसे एफएसएल जांच के लिए भेजे. मूलयंत्र नहीं मिलने पर योगेंद्र साव के खिलाफ 175 आईपीसी के तहत कार्रवाई का निर्देश भी केस के अनुसंधानकर्ता को दिया गया है.

चमरा लिंडा का बयान, किसी आरोपी ने दबाव नहीं डाला

पुलिस ने जांच के क्रम में झामुमो विधायक चमरा लिंडा का बयान लिया है. चमरा लिंडा ने पुलिस को बताया कि उन्हें किसी ने चुनाव में किसी खास उम्मीदवार या पार्टी को वोट डालने के लिए दबाव नहीं डाला था. निर्मला देवी ने इस मामले में चुनाव आयोग को दिए बयान में बताया कि उनके सहयोगी मंटू सोनी के मोबाइल पर आरोपियों ने फोन किया था. पुलिस ने मंटू सोनी का बयान भी लिया है, मंटू ने अपने बयान में बताया कि उन्होंने अगुराग गुप्ता या अजय कुमार से कोई बात नहीं की थी. बयान में मंटू दोनों को पहचानने से भी इंकार कर चुके हैं. बेड़ो डीएसपी ने जांच की समीक्षा के दौरान लिखा है कि आरोपी जबतक मूल यंत्र नहीं दे रहे हैं, ऐसे में केवल ट्रांसक्रिप्ट के आधार पर केस को सत्य नहीं माना जा सकता.

रांची: राज्यसभा चुनाव 2016 मामले में दर्ज कांड में रांची पुलिस को केस दर्ज होने के 10 माह बाद भी वह मूल यंत्र नहीं मिल पाया है, जिसका इस्तेमाल कर कथित तौर पर रिकॉर्डिंग की गई थी. 24 अप्रैल को राज्यसभा चुनाव मामले में तत्कालीन स्पेशल ब्रांच के एडीजी अनुराग गुप्ता, सीएम के तत्कालीन राजनीतिक सलाहकार अजय कुमार को आरोपी बनाते हुए प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

एफआईआर दर्ज होने के बाद रांची पुलिस ने केस में गवाह के तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, कांग्रेस नेता योगेंद्र साव और निर्मला देवी को नोटिस देकर मूलयंत्र की मांग की थी. बाबूलाल मरांडी ने अपने बयान में कहा कि मूलयंत्र उनके पास नहीं बल्कि योगेंद्र साव के पास है. पुलिस ने योगेंद्र साव को कई बार नोटिस किया, लेकिन उन्होंने मूल यंत्र देने से इंकार कर दिया. वहीं, निर्मला देवी और योगेंद्र साव ने अबतक अपना बयान भी पुलिस को दर्ज नहीं कराया. रांची पुलिस की टीम पूर्व में दोनों साक्षियों का बयान लेने भोपाल भी गई थी. योगेंद्र साव अब जेल में हैं, ऐसे में पुलिस उनका बयान दर्ज कराने के लिए कोर्ट में आवेदन देगी.

न्यायालय में दी गई सीडी को भेजा गया एफएसएल

मूल यंत्र नहीं मिलने पर रांची पुलिस ने कोर्ट को इसकी जानकारी दी है. ऐसे में पुलिस ने कोर्ट में दी गई एक सीडी को कोर्ट के आदेश से प्राप्त कर एफएसएल जांच के लिए सेंट्रल फोरेंसिक लाइब्रेरी गांधीनगर भेजा है.

जांचकर्ता ने लिखा अपना पक्ष

राज्यसभा चुनाव में दर्ज कांड की समीक्षा के दौरान बेड़ो डीएसपी संजय कुमार ने पाया कि केस का मूल आधार एक ऑडियो सीडी है, जो कोर्ट में जमा है. ऐसे में कोर्ट में आवेदन देकर पुलिस ने सीडी को सील कर एफएसएल गांधीनगर भेजा है. केस के अनुसंधानकर्ता को आदेश दिया गया है कि मूल यंत्र प्राप्त कर उसे एफएसएल जांच के लिए भेजे. मूलयंत्र नहीं मिलने पर योगेंद्र साव के खिलाफ 175 आईपीसी के तहत कार्रवाई का निर्देश भी केस के अनुसंधानकर्ता को दिया गया है.

चमरा लिंडा का बयान, किसी आरोपी ने दबाव नहीं डाला

पुलिस ने जांच के क्रम में झामुमो विधायक चमरा लिंडा का बयान लिया है. चमरा लिंडा ने पुलिस को बताया कि उन्हें किसी ने चुनाव में किसी खास उम्मीदवार या पार्टी को वोट डालने के लिए दबाव नहीं डाला था. निर्मला देवी ने इस मामले में चुनाव आयोग को दिए बयान में बताया कि उनके सहयोगी मंटू सोनी के मोबाइल पर आरोपियों ने फोन किया था. पुलिस ने मंटू सोनी का बयान भी लिया है, मंटू ने अपने बयान में बताया कि उन्होंने अगुराग गुप्ता या अजय कुमार से कोई बात नहीं की थी. बयान में मंटू दोनों को पहचानने से भी इंकार कर चुके हैं. बेड़ो डीएसपी ने जांच की समीक्षा के दौरान लिखा है कि आरोपी जबतक मूल यंत्र नहीं दे रहे हैं, ऐसे में केवल ट्रांसक्रिप्ट के आधार पर केस को सत्य नहीं माना जा सकता.

Intro:Body:

रांची: राज्यसभा चुनाव 2016 मामले में दर्ज कांड में रांची पुलिस को केस दर्ज होने के 10 माह बाद भी वह मूल यंत्र नहीं मिल पाया है, जिसका इस्तेमाल कर कथित तौर पर रिकॉर्डिंग की गई थी. 24 अप्रैल को राज्यसभा चुनाव मामले में तत्कालीन स्पेशल ब्रांच के एडीजी अनुराग गुप्ता, सीएम के तत्कालीन राजनीतिक सलाहकार अजय कुमार को आरोपी बनाते हुए प्राथमिकी दर्ज की गई थी.



एफआईआर दर्ज होने के बाद रांची पुलिस ने केस में गवाह के तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, कांग्रेस नेता योगेंद्र साव और निर्मला देवी को नोटिस देकर मूलयंत्र की मांग की थी. बाबूलाल मरांडी ने अपने बयान में कहा कि मूलयंत्र उनके पास नहीं बल्कि योगेंद्र साव के पास है. पुलिस ने योगेंद्र साव को कई बार नोटिस किया, लेकिन उन्होंने मूल यंत्र देने से इंकार कर दिया. वहीं, निर्मला देवी और योगेंद्र साव ने अबतक अपना बयान भी पुलिस को दर्ज नहीं कराया. रांची पुलिस की टीम पूर्व में दोनों साक्षियों का बयान लेने भोपाल भी गई थी. योगेंद्र साव अब जेल में हैं, ऐसे में पुलिस उनका बयान दर्ज कराने के लिए कोर्ट में आवेदन देगी.



न्यायालय में दी गई सीडी को भेजा गया एफएसएल



मूल यंत्र नहीं मिलने पर रांची पुलिस ने कोर्ट को इसकी जानकारी दी है. ऐसे में पुलिस ने कोर्ट में दी गई एक सीडी को कोर्ट के आदेश से प्राप्त कर एफएसएल जांच के लिए सेंट्रल फोरेंसिक लाइब्रेरी गांधीनगर भेजा है.





जांचकर्ता ने लिखा अपना पक्ष



राज्यसभा चुनाव में दर्ज कांड की समीक्षा के दौरान बेड़ो डीएसपी संजय कुमार ने पाया कि केस का मूल आधार एक ऑडियो सीडी है, जो कोर्ट में जमा है. ऐसे में कोर्ट में आवेदन देकर पुलिस ने सीडी को सील कर एफएसएल गांधीनगर भेजा है. केस के अनुसंधानकर्ता को आदेश दिया गया है कि मूल यंत्र प्राप्त कर उसे एफएसएल जांच के लिए भेजे. मूलयंत्र नहीं मिलने पर योगेंद्र साव के खिलाफ 175 आईपीसी के तहत कार्रवाई का निर्देश भी केस के अनुसंधानकर्ता को दिया गया है.



चमरा लिंडा का बयान, किसी आरोपी ने दबाव नहीं डाला



पुलिस ने जांच के क्रम में झामुमो विधायक चमरा लिंडा का बयान लिया है. चमरा लिंडा ने पुलिस को बताया कि उन्हें किसी ने चुनाव में किसी खास उम्मीदवार या पार्टी को वोट डालने के लिए दबाव नहीं डाला था. निर्मला देवी ने इस मामले में चुनाव आयोग को दिए बयान में बताया कि उनके सहयोगी मंटू सोनी के मोबाइल पर आरोपियों ने फोन किया था. पुलिस ने मंटू सोनी का बयान भी लिया है, मंटू ने अपने बयान में बताया कि उन्होंने अगुराग गुप्ता या अजय कुमार से कोई बात नहीं की थी. बयान में मंटू दोनों को पहचानने से भी इंकार कर चुके हैं. बेड़ो डीएसपी ने जांच की समीक्षा के दौरान लिखा है कि आरोपी जबतक मूल यंत्र नहीं दे रहे हैं, ऐसे में केवल ट्रांसक्रिप्ट के आधार पर केस को सत्य नहीं माना जा सकता.






Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.