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नक्सली कुंदन पाहन को कोर्ट ने किया बरी, पुलिस नहीं पेश कर पाई कोई सबूत

2009 में नामकुम थाना क्षेत्र में पुलिस और माओवादियों के बीच हुई मुठभेड़ मामले पर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए मुख्य अभियुक्त नक्सली कुंदन पाहन को बरी कर दिया है. पुलिस कुंदन पाहन के खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाई जिसके बाद कोर्ट ने ये फैसला सुनाया.

कोर्ट ने नक्सली कुंदन पाहन को बरी किया
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Published : May 4, 2019, 2:10 PM IST

रांची: 2009 में माओवादियों और पुलिस के बीच हुई मुठभेड़ मामले पर रांची सिविल कोर्ट ने कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन को बरी कर दिया है. सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके सिंह ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद साक्ष्य के अभाव में यह फैसला सुनाया है. अभियोजन पक्ष की ओर से 9 गवाहों और बचाव पक्ष की ओर से 4 गवाहों ने बयान दर्ज कराए.

वीडियो में देखें पूरी खबर

अभियोजन पक्ष ने अपनी दलील रखते हुए न्यायालय को बताया कि मुठभेड़ रात में हुई थी, जिसकी वजह से किसी भी माओवादी को पहचान नहीं पाए. वहीं, बचाव पक्ष के अधिवक्ता ईश्वर दयाल किशोर ने कोर्ट को बताया कि यह मुठभेड़ पूरी तरह से फर्जी है.

दरअसल, 2009 में नामकुम थाना क्षेत्र में पुलिस और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. इसमें कई पुलिसकर्मी और माओवादी घायल हुए. इस दौरान किसी भी माओवादी को पुलिस गिरफ्तारी नहीं कर सकी. मुठभेड़ को लेकर पुलिस की ओर से कुंदन पाहन समेत 7 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया. इसमें कुंदन पाहन को छोड़कर सभी अभियुक्त साक्ष्य के अभाव में पहले ही बरी हो चुके हैं. शनिवार 4 मई को कोर्ट ने मामले में फैसला सुनाते हुए कुंदन पाहन को भी बरी कर दिया.

रांची: 2009 में माओवादियों और पुलिस के बीच हुई मुठभेड़ मामले पर रांची सिविल कोर्ट ने कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन को बरी कर दिया है. सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके सिंह ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद साक्ष्य के अभाव में यह फैसला सुनाया है. अभियोजन पक्ष की ओर से 9 गवाहों और बचाव पक्ष की ओर से 4 गवाहों ने बयान दर्ज कराए.

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अभियोजन पक्ष ने अपनी दलील रखते हुए न्यायालय को बताया कि मुठभेड़ रात में हुई थी, जिसकी वजह से किसी भी माओवादी को पहचान नहीं पाए. वहीं, बचाव पक्ष के अधिवक्ता ईश्वर दयाल किशोर ने कोर्ट को बताया कि यह मुठभेड़ पूरी तरह से फर्जी है.

दरअसल, 2009 में नामकुम थाना क्षेत्र में पुलिस और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. इसमें कई पुलिसकर्मी और माओवादी घायल हुए. इस दौरान किसी भी माओवादी को पुलिस गिरफ्तारी नहीं कर सकी. मुठभेड़ को लेकर पुलिस की ओर से कुंदन पाहन समेत 7 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया. इसमें कुंदन पाहन को छोड़कर सभी अभियुक्त साक्ष्य के अभाव में पहले ही बरी हो चुके हैं. शनिवार 4 मई को कोर्ट ने मामले में फैसला सुनाते हुए कुंदन पाहन को भी बरी कर दिया.

Intro:रांची
बाइट--- ईश्वर दयाल किशोर //अधिवक्ता कुंदन पाहन
नोट--मेल में विसुआल भेज दिया गया है

कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन पुलिस और माओवादीओ के बीच मुठभेड़ मामला पर रांची सिविल कोर्ट से साक्ष्य के अभाव में बरी, मामले की सुनवाई सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके सिंह की अदालत में हुई। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के उपरांत पूर्व में ही फैसला सुरक्षित रख लिया था।आज मामले पर सुनवाई करते कुंदन पाहन को साक्ष्य के अभाव में बरी का फैसला सुनाया है। मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से 9 गवाहों की गवाही दर्ज कराई गई तो वही बचाव पक्ष की ओर से 4 गवाहों की गवाही दर्ज की गई। बहस के दौरान अभियोजन पक्ष ने अपना दलील रखते हुए न्यायलय को बताया कि मुठभेड़ रात में हुआ था जिसके कारण वह किसी भी माओवादी को पहचान नहीं पाया वहीं बचाव पक्ष के अधिवक्ता ईश्वर दयाल किशोर ने कोर्ट को बताया कि यह मुठभेड़ पूरी तरह से फर्जी है उस रात किसी भी तरह का कोई मुठभेड़ नहीं हुआ था।






Body:मामले में पूर्व के सुनवाई के दौरान कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन की गवाही दर्ज कराई गई थी ।जिस दौरान कुंदन पाहन ने न्यायालय को बताया था कि इस मुठभेड़ में वह शामिल नहीं थे मामले में उनकी किसी तरह का कोई संलिप्तता नहीं है। इसी मामले पर आज रांची सिविल कोर्ट में फैसला सुनाते हुए कुंदन पहन को साक्ष्य के अभाव में बरी किया है


Conclusion:दरअसल यह मामला साल 2009 से जुड़ा हुआ है जब नामकुम थाना क्षेत्र के लाली क्षेत्र में पुलिस और माओवादीओ के बीच मुठभेड़ का मामला सामने आया था इस मुठभेड़ में कई पुलिसकर्मी और माओवादी घायल हुए थे। मुठभेड़ के दौरान किसी भी माओवादी का पुलिस की ओर से गिरफ्तारी नहीं की गई थी इस मुठभेड़ को लेकर पुलिस द्वारा कुंदन पाहन समेत सात लोगों को नाम दर्ज अभियुक्त बनाया है जिनमें से कुंदन पाहन को छोड़ सभी अभियुक्त साक्ष्य के अभाव में बरी हो चुके थे जहां रांची सिविल कोर्ट ने थोड़ी राहत देते हुए कुंदन पाहन को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है आपको बता दें कि कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन सरकार के सरेंडर पॉलिसी के तहत आत्मसमर्पण किया है जिसके बाद सेवा रांची के होटवार स्थित बिरसा कारागार में बंद है माओवादी कुंदन पाहन पर हत्या रेप लूट कांड समेत कई मामले चल रहे हैं
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