रांची: 2009 में माओवादियों और पुलिस के बीच हुई मुठभेड़ मामले पर रांची सिविल कोर्ट ने कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन को बरी कर दिया है. सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके सिंह ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद साक्ष्य के अभाव में यह फैसला सुनाया है. अभियोजन पक्ष की ओर से 9 गवाहों और बचाव पक्ष की ओर से 4 गवाहों ने बयान दर्ज कराए.
अभियोजन पक्ष ने अपनी दलील रखते हुए न्यायालय को बताया कि मुठभेड़ रात में हुई थी, जिसकी वजह से किसी भी माओवादी को पहचान नहीं पाए. वहीं, बचाव पक्ष के अधिवक्ता ईश्वर दयाल किशोर ने कोर्ट को बताया कि यह मुठभेड़ पूरी तरह से फर्जी है.
दरअसल, 2009 में नामकुम थाना क्षेत्र में पुलिस और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. इसमें कई पुलिसकर्मी और माओवादी घायल हुए. इस दौरान किसी भी माओवादी को पुलिस गिरफ्तारी नहीं कर सकी. मुठभेड़ को लेकर पुलिस की ओर से कुंदन पाहन समेत 7 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया. इसमें कुंदन पाहन को छोड़कर सभी अभियुक्त साक्ष्य के अभाव में पहले ही बरी हो चुके हैं. शनिवार 4 मई को कोर्ट ने मामले में फैसला सुनाते हुए कुंदन पाहन को भी बरी कर दिया.