नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एलआईसी की नीतियों में हाल में किए गए बदलावों से संबंधित चिंताओं को लेकर पत्र लिखा है. उन्होंने कहा कि ये संशोधन बेहद परेशान करने वाले हैं. इनसे लगभग 14 लाख एलआईसी एजेंटों और लाखों पॉलिसीधारकों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है.
सीतारमण को लिखे अपने पत्र में टैगोर ने कहा कि सरकार ने 2047 तक भारत की पूरी आबादी को बीमा प्रदान करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है. इसका व्यापक लक्ष्य विशेष रूप से ग्रामीण और आर्थिक रूप से वंचित क्षेत्रों में वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है.
हालांकि, एलआईसी द्वारा हाल ही में किए गए नीतिगत बदलावों और निर्णयों के कारण एजेंटों के लिए जीवन बीमा पॉलिसियों का प्रभावी ढंग से प्रचार और विक्रय करना कठिन होता जा रहा है. इससे इस महान मिशन में प्रत्यक्ष रूप से बाधा उत्पन्न हो रही है.
विरुधुनगर से सांसद ने कहा, 'मैं एलआईसी की पॉलिसियों में हाल में हुए बदलावों के बाद एलआईसी एजेंटों और पॉलिसीधारकों की चिंताओं को व्यक्त करने के लिए यह पत्र लिख रहा हूं. ये बदलाव एक अक्टूबर, 2024 से प्रभावी हो गए हैं.
टैगोर ने 5 नवंबर को लिखे अपने पत्र में कहा कि ये संशोधन बेहद परेशान करने वाले हैं. इनसे लगभग 14 लाख एलआईसी एजेंटों और लाखों पॉलिसीधारकों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है.
चिंताओं को लेकर उन्होंने कहा कि एलआईसी का प्राथमिक उद्देश्य हमेशा से ग्रामीण क्षेत्रों और समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों तक जीवन बीमा कवरेज का विस्तार करना रहा है. उन्होंने कहा कि इस मिशन के विपरीत, एलआईसी ने हाल ही में न्यूनतम बीमा राशि को बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया है तथा सभी प्रीमियम दरों में वृद्धि कर दी है.
उन्होंने कहा, 'इसका ग्रामीण, निम्न और मध्यम आय वर्ग पर अत्यधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जो शायद उच्च प्रीमियम पर बीमा पॉलिसियां वहन करने में सक्षम नहीं होंगे.' टैगोर ने आगे बताया कि एलआईसी एजेंटों के लिए कमीशन की दर बीमा अधिनियम 1938 के अनुसार तय की गई थी.
उन्होंने कहा कि एजेंटों और बीमा उद्योग के कई अनुरोधों के बावजूद, कमीशन दरों में कोई वृद्धि नहीं हुई है, भले ही आईआरडीएआई ने 2013, 2017 और 2020 में राजपत्र अधिसूचनाओं के माध्यम से वृद्धि की अनुमति दी थी. हालांकि, एलआईसी इन वृद्धियों को लागू करने में विफल रही है. वहीं, 30 सितंबर 2024 तक उसी कमीशन ढांचे को जारी रखा है, ऐसा टैगोर ने बताया.
उन्होंने कहा कि एक अक्टूबर 2024 से लागू की गई नई नीतियों से कमीशन और कम हो जाएगा, जिसका सीधा असर लाखों एजेंटों की आजीविका पर पड़ेगा. उन्होंने आगे कहा कि एलआईसी की प्रीमियम दरें पहले से ही उद्योग में सबसे अधिक हैं. इससे भी अधिक प्रीमियम दर वाली नई पॉलिसियों के आने से एजेंटों के लिए पॉलिसियां बेचना लगभग असंभव हो गया है, खासकर मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए.
उन्होंने कहा कि प्रीमियम में भारी वृद्धि के कारण एजेंटों के लिए बिक्री लक्ष्य पूरा करना और पॉलिसीधारकों को किफायती कवरेज प्रदान करना बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है. कांग्रेस नेता ने बोनस और लाभों में कटौती का मुद्दा भी उठाया. कांग्रेस नेता ने बोनस और लाभों में कटौती का मुद्दा भी उठाया.
टैगोर ने कहा कि एलआईसी ने लोकप्रिय पॉलिसियों के लिए प्रवेश आयु घटाकर 50 वर्ष कर दी है. ये एक प्रतिगामी कदम है. इसका एजेंटों की नई व्यवसाय प्राप्त करने की क्षमता पर सीधा प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि कई संभावित पॉलिसीधारक अब उन योजनाओं के लिए पात्रता मानदंड से बाहर हो जाएंगे, जिन तक उनकी पहले पहुंच थी.
उन्होंने पत्र में आगे कहा कि एलआईसी द्वारा क्लॉबैक कमीशन नीति की शुरूआत अत्यधिक आपत्तिजनक है. उन्होंने कहा कि इस धारा के तहत, एजेंटों को पॉलिसियों के समर्पण के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है तथा उन्हें अर्जित कमीशन वापस करना होता है.
उन्होंने कहा, 'यह अनुचित है, क्योंकि कमीशन प्रीमियम का अभिन्न अंग है. पॉलिसीधारकों द्वारा पॉलिसी सरेंडर करने के निर्णय के लिए एजेंटों को दंडित नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह निर्णय एजेंटों के नियंत्रण से परे विभिन्न बाह्य कारकों से प्रभावित हो सकता है.'
कांग्रेस नेता ने कहा, 'इन घटनाक्रमों के मद्देनजर मैं एक अक्टूबर 2024 को लागू किए गए परिवर्तनों की समीक्षा के लिए आपके तत्काल हस्तक्षेप का अनुरोध करता हूं. मैं आपसे उन नीतियों पर पुनर्विचार करने का आग्रह करता हूं जो एजेंटों और पॉलिसीधारकों दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं. यह सुनिश्चित करने के लिए सुधारात्मक कार्रवाई करें कि एलआईसी समाज के सभी वर्गों को सुलभ और सस्ती जीवन बीमा प्रदान करने के अपने जनादेश को पूरा करना जारी रख सके.'
टैगोर ने सीतारमण को लिखे पत्र में कहा, 'मुझे विश्वास है कि आपके सहयोग से एलआईसी एजेंटों और पॉलिसीधारकों की चिंताओं का शीघ्र और न्यायोचित समाधान किया जाएगा.'