रांची: झारखंड के किसानों की आय कैसे दोगुनी हो इस दिशा में रघुवर सरकार लगातार काम कर रही है. इसके मद्देनजर नीली और श्वेत क्रांति के बाद झारखंड में मीठी क्रांति योजना का 21 फरवरी को मुख्यमंत्री ने शुभारंभ किया.
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपने संबोधन में कहा कि मधु में मिठास होता है और इसमें पोषक तत्व भरपूर होते हैं. मधु पालन के लिए झारखंड एक मुफीद जगह है. इस योजना से जुड़ने पर किसानों को प्रतिवर्ष करीब एक लाख 30 हजार की अलग से आमदनी होगी.
पतंजलि झारखंड में उत्पादित मधु को खरीदेगी
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष नोबेल एग्रीकल्चर समिति के दौरान बाबा रामदेव ने घोषणा की थी कि पतंजलि झारखंड में उत्पादित सारा मधु खरीद लेगी. इसके लिए एक प्रोसेसिंग प्लांट लगाने पर भी उन्होंने सहमति दी थी. इस दिशा में बातचीत चल रही है. सीएम ने कहा कि अगर यह संभव नहीं हुआ तो कृषि बोर्ड खुद मधु पर आधारित प्रोसेसिंग प्लांट लगाएगा. योजना के शुभारंभ के मौके पर 5 किसानों को मधुमक्खी पालन से जुड़ा एक-एक यूनिट सौंपा गया.
नीली और श्वेत क्रांति से किसानों को लाभ: कृषि मंत्री
कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह ने कहा कि नीली क्रांति से किसानों को बहुत बड़ी आर्थिक मजबूती मिली. इसके बाद श्वेत क्रांति की शुरुआत की गई. इसके तहत किसान कृषि के साथ-साथ पशुपालन पर भी फोकस करने लगे हैं. अब किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए मधुमक्खी पालन को प्रोत्साहित किया जा रहा है.
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12 हजार किसानों को मधुमक्खी पालन से जोड़ा जाएगा
कृषि निदेशक रमेश घोलाप ने बताया कि पहले चरण में इस योजना के लिए 1,207 किसानों को चयनित किया गया है. जिन्हें 80% के अनुदान पर मधुमक्खी पालन का यूनिट दिया जाएगा. एक यूनिट की लागत एक लाख रुपए है. इसके लिए किसानों को सिर्फ 20 हजार देने होंगे. इस योजना के लिए बजट में 100 करोड़ का प्रावधान किया गया है और इस साल 12,000 किसानों को इस योजना से जोड़ने की तैयारी चल रही है.
एक महिला लाभुक ने बताया कि वह अपनी आमदनी को बढ़ाने के लिए पशुपालन और शूकर पालन कर रही थी. अब उसे मीठी क्रांति की जानकारी मिली है, लिहाजा वह इस योजना से जुड़ी हैं और उम्मीद करती हैं कि उसकी आमदनी में ज्यादा इजाफा होगा.
इस कार्यक्रम में कृषि सचिव पूजा सिंघल, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सुनील कुमार वर्णवाल और खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ भी मौजूद थे.