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झारखंड में भी एनडीए का दबदबा, 12 सीटों पर कब्जा, एक-एक पर कांग्रेस और जेएमएम - lok sabha seats

झारखंड में भी एनडीए का दबदाब रहा. यहां एनडीएन ने कुल 12 सीटों पर जीत दर्ज की है. बीजेपी के खाते में 11 सीटें गई है जबिक उसके सहयोगी आजसू को एक सीट मिली है. वहीं, कांग्रेस और जेएमएम को एक-एक सीट पर संतोष करना पड़ा.

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Published : May 23, 2019, 11:14 PM IST

Updated : May 23, 2019, 11:44 PM IST

रांची: झारखंड में एनडीए की तरफ से बीजेपी ने 11 सीट पर जीत दर्ज कराई है, वहीं बीजेपी की सहयोगी आजूस ने भी गिरिडीह सीट से जीत दर्ज कराई है. इधर यूपीए की तरफ से कांग्रेस ने सिंहभूम सीट से और जेएमएम ने राजमहल सीट से जीत दर्ज की है.

धनबाद से पीएन सिंह
पीएन सिंह ने धनबाद सीट पर एक बार फिर 4,85,014 वोट से जीत दर्ज की है. पीएन सिंह को 8,22,744 वोट मिले जबकि कांग्रेस के कीर्ति झा आजाद को 3,39,376 वोट मिले. पशुपति नाथ सिंह बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं. उनका जन्म जुलाई 1949 में पटना के लखनपुर में हुआ था. उन्होंने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की है. वो छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय थे. वो कॉलेज यूनियन के अध्यक्ष भी बने. वो तीन बार पार्षद चुने गए. 1995 में पहली बार धनबाद से विधायक बने. साल 2000 में हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्हें जीत हासिल हुई. 2005 में एकबार फिर से विधायक बने. 2007 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक का सम्मान मिला. वो झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष भी बने. 2009 में उन्होंने धनबाद सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा. उन्हें जीत हासिल हुई. 2014 में एकबार फिर वो धनबाद से सांसद चुने गए.

हजारीबाग से जयंत सिन्हा
जयंत सिन्हा झारखंड के हजारीबाग सीट से 4,79,548 वोट से जीतने वाले बीजेपी सांसद जयंत सिन्हा बन गए है. जयंत सिन्हा को 7,27,359 वोट मिले जबकि कांग्रेस के गोपाल साहू को 2,49,022 वोट मिले हैं. जयंत सिन्हा सक्रिय राजनीति में काफी नए हैं. 2014 में वो पहली दफा लोकसभा चुनाव लड़े और जीतकर लोकसभा पहुंचे. जहां उन्हें मोदी सरकार में मंत्री बनाया गाय. जयंत सिन्हा पूर्व विदेश और वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के पुत्र हैं. उनका जन्म 21 अप्रैल 1963 में गिरिडीह में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पटना और दिल्ली से की. उसके बाद उन्होंने आइआइटी दिल्ली से इंजीनियरिंग की. इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने पेंसिलवानिया यूनिवर्सिटी से मास्टर्स की डिग्री ली. उसके बाद उन्होंने हावर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए किया.

पलामू से वीडी राम
वीडी राम झारखंड के पलामू सीट से रिकॉर्ड 4,77,606 वोट से जीत दर्ज की है. वीडी राम को कुल 7,53,240 वोट मिले जबकि आरजेडी के घूरम राम को 2,76,967 वोट मिले. पुलिस अधिकारी से सांसद बने वीडी राम का जन्म 23 जुलाई 1961 को हुआ था. वो बिहार के बक्सर जिले नैनीजोर के रहने वाले हैं. उन्होंने स्कूली पढ़ाई नेतरहाट आवासीय स्कूल से की. पटना यूनिवर्सिटी से उन्होंने ग्रेजुएशन किया. 1973 में वो आईपीएस के लिए चयनित हुए. अपने शुरुआती कार्यकाल में वो भागलपुर के एसपी बने. भागलपुर में प्रसिद्ध आंखफोड़वा कांड के दौरान वीडी राम वहां के एसपी थे. इस कांड के बाद वे मशहूर हुए थे. इसके बाद वो पटना के एसएसपी बने. अलग राज्य बनने के बाद वो झारखंड में आ गये. वो दो बार झारखंड के डीजीपी बने. पहली बार 2005 में डीजीपी बने. दूसरी बार वो 2007 से 2010 तक झारखंड के डीजीपी पद पर रहे.

कोडरमा से अन्नपूर्णा देवी
कोडरमा सीट से बीजेपी के टिकट पर अन्नपूर्णा देवी ने 4,55,600 वोट से जीत दर्ज की है. अन्नपूर्णा देवी को कुल 7,51,996 वोट मिले जबकि जेवीएम के बाबूलाल मरांडी को 2,97,232 वोट मिले. अन्नपूर्णा देवी झारखंड की कद्दावर महिला नेता हैं. 60 वर्षीय अन्नपूर्णा देवी, कर्पूरी ठाकुर, जयप्रकाश नारायण और लोहिया के विचारों से प्रेरित रही हैं. उन्होंने मगध यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है. जबकि रांची यूनिवर्सिटी से इतिहास विषय में पोस्ट ग्रेजुएट किया है. अन्नपूर्णा देवी अपने पति की मौत के बाद सक्रिय राजनीति में आयीं. 1998 में हुए कोडरमा उपचुनाव में आरजेडी की टिकट पर उन्होंने चुनाव लड़ा. जीत कर पहली बार विधायक बनी. 2000 विधानसभा चुनाव में भी उन्हें जीत हासिल हुई. 2005 में भी कोडरमा सीट से वो चुनाव लड़ीं और जीत दर्ज की. 2009 में वो एकबार फिर से विधायक बनीं. 2014 विधानसभा चुनाव में उन्हें शिकस्त मिली. उन्हें झारखंड आरजेडी का अध्यक्ष भी बनाया गया. 2019 में वो आरजेडी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गईं.

लोहरदगा से सुदर्शन भगत
सुदर्शन भगत ने लोहरदगा सीट से बीजेपी के टिकट पर कांटे की टक्कर में 9,459 वोट से जीत दर्ज की है. सुदर्शन भगत को कुल 3,69,527 वोट मिले जबकि कांग्रेस के सुखदेव भगत को 3,60,068 वोट मिले. सुदर्शन भगत साफ और शांत चरित्र के नेता के रूप में जाने जाते हैं. उनका जन्म 20 अक्टूबर 1969 को गुमला में हुआ था. उन्होंने स्नातक पढ़ाई की है. छात्र जीवन से ही वो वनवासी कल्याण आश्रम के माध्यम से विशेष रूप से शिक्षा और आदिवासियों के उत्थान के लिए विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में भाग लेते रहे हैं. वो छात्र जीवन में एबीवीपी में सक्रिय रूप से जुड़े हुए थे. संयुक्त राज्य बिहार में संयुक्त सचिव के पद पर कार्य किया. 1995 में वो सक्रिय राजनीति में आए. गुमला जिला भाजयुमो के महासचिव बने.

गोड्डा से निशिकांत दुबे
गोड्डा से निशिकांत दुबे ने एक बार फिर 1,84,227 वोट से जीत दर्ज की है. निशिकांत दुबे को कुल 6,35,383 वोट मिले जबकि जेवीएम के प्रदीप यादव को 4,50,677 वोट मिले. निशिकांत दुबे का जन्म बिहार के भागलपुर में जनवरी 1969 में हुआ था. उन्होंने मारवाड़ी कॉलेज भागलपुर से ग्रेजुएशन की डिग्री ली. एफएमएस दिल्ली से उन्होंने एमबीए किया है. उन्होंने एस्सार कंपनी में निदेशक के रूप में काम किया है. साल 2009 में वो राजनीति में आए. उसी साल हुए चुनाव में वो बीजेपी की टिकट पर गोड्डा सीट से लडे़ और जीत दर्ज की. इस दौरान उन्हें वित्तीय समिति का सदस्य बनाया गया. 2014 में एक बार फिर पार्टी ने उन्हें टिकट दिया. पार्टी की उम्मीदों पर खड़ा उतरते हुए उन्होंने फिर से जीत हासिल की. लगातार दूसरी बार सांसद बने. संथाल की एक सीट पर बीजेपी का कब्जा बरकरार रखा.

चतरा से सुनील सिंह
चतरा लोकसभा सीट से बीजेपी के प्रत्याशी सुनील सिंह ने 3,73,940 वोट से जीत दर्ज की है. सुनील सिंह को कुल 5,22,656 वोट मिले जबकि कांग्रेस के मनोज यादव को 1,48,716 वोट मिले. सुनील सिंह 1995 से 2002 तक भाजयुमो की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य रहे. 1996 में वह भाजयुमो, बिहार के प्रदेश उपाध्यक्ष बने. 1998 से 2000 तक वह बिहार भाजयुमो के प्रदेश महामंत्री रहे. इसके बाद 2002 में वह भाजयुमो के राष्ट्रीय महामंत्री और 2004 में झारखंड भाजपा के प्रवक्ता बने. वर्ष 2005 से 2007 तक झारखंड भाजपा के प्रदेश महामंत्री रहे. 2011 में उन्हें राष्ट्रीय कार्यसमिति की सदस्य बनाया गया. 2014 में उन्हें चतरा से लोकसभा का टिकट मिला. जीतकर वो पहली बार सांसद बने.

दुमका से सुनील सोरेन
दुमका से सुनील सोरेन ने बड़ा उलटफेर किया है. सुनील सोरेन ने आठ बार के सांसद रहे जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन को वोट से 47,590 मात दी है. सुनील सोरेन को 4,83,748 वोट मिले जबकि शिबू सोरेन को 4,36,158 वोट मिले. सुनील सोरेन संथाल में बीजेपी के तेज-तर्रार युवा नेता हैं. वो दुमका के तारबांधा गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई की है. 1992 में दुमका के ए.एन. कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की. उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत जेएमएम से की. बाद में बीजेपी में शामिल हुए. साल 2005 में वो जामा से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़े. जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे. 2009 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें दुमका से प्रत्याशी बनाया. लेकिन वो चुनाव हार गए. 2014 में पार्टी ने उन्हें दूसरी बार मौका दिया. एकबार फिर उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

खूंटी से अर्जुन मुंडा
झारखंड में खूंटी लोकसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है. बीजेपी प्रत्याशी अर्जुन मुंडा ने कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा को 1445 मत से हरा कर जीत दर्ज की. अर्जुन मुंडा को कुल मत 3,82,638 और कालीचरण को 3,81,193 मत प्राप्त हुए. वो झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं. महज 35 वर्ष की आयु में वो झारखंड के मुख्यमंत्री बने थे. वो देश में सबसे कम उम्र में बनने वाले मुख्यमंत्री हैं. आज भी यह रिकॉर्ड उन्ही के नाम है. साल 2000 में झारखंड राज्य बना. 2003 में वो पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने. तब उनकी उम्र केवल 35 साल थी. 2005 के चुनाव में भी उन्होंने खरसावां से जीत हासिल की. 12 मार्च 2005 को उन्होंने दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. 2009 में वो जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. 2010 में वो एकबार फिर प्रदेश की राजनीति में लौटे और तीसरी बार राज्य के मुख्यमंक्षत्री बने. वो साल 2013 तक मुख्यमंत्री पद पर रहे. साल 2014 की विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

रांची से संजय सेठ
संजय सेठ ने रांची से बीजेपी के टिकट पर 2,83,026 वोट से जीत दर्ज की है. संजय सेठ को कुल 7,04,301 वोट मिले जबकि कांग्रेस से सुबोधकांत सहाय को 4,22,672 वोट मिले. 60 वर्षीय संजय सेठ बीजेपी के तेज-तर्रार नेता माने जाते हैं. संगठन स्तर पर वो काफी सक्रिय रहते हैं. वो कानपुर यूनिवर्सिटी से कॉमर्स ग्रेजुएट हैं. उन्होंने रांची यूनिवर्सिटी से ही लॉ की भी पढ़ाई की है. संजय सेठ जेपी आंदोलन के नेता हैं. वो 1999 में झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष बने. 2014 लोकसभा चुनाव में नमो कैंपेन में उनकी अहम भूमिका थी. जून 2016 में उन्हें झारखंड खादी बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया.

गिरिडीह से चंद्र प्रकाश चौधरी
गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र आजसू पार्टी के प्रत्याशी चन्द्र प्रकाश चैधरी 6,48,277 वोटों के साथ अपने निकटतम प्रत्याशी जगरनाथ महतो झामुमो से 2,48,347 वोटों से विजयी हुए. झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के जगरनाथ महतो को कुल 3,99,930 वोट मिले. चंद्रप्रकाश चौधरी आजसू पार्टी के कद्दावर नेता हैं. उनका जन्म रामगढ़ के सांडी गांव में हुआ. उन्होंने रामगढ़ कॉलेज से 1988 में ग्रेजुएशन किया है. साल 2005 में वो रामगढ़ विधानसभा सीट से पहली बार चुनाव लड़े. इस चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई. वो पहली बार विधायक बने. अर्जुन मुंडा मंत्रिमंडल में वो मंत्री भी बने. 2009 विधानसभा चुनाव में उनको फिर से जीत हासिल हुई. एकबार फिर वो मंत्री बने. साल 2013 तक वो मंत्री बने रहे. 2009 में उन्होंने हजारीबाग सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा. वहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2014 में भी विधानसभा चुनाव में रामगढ़ सीट से उन्हें जीत हासिल हुई. रघुवर कैबिनेट में वो पेयजल स्वच्छता और जल संसाधन मंत्री बने.

सिंहभूम से गीता कोड़ा
सिंहभूम सीट से गीता कोड़ा ने कांग्रेस के टिकट पर वोट 72,155 से जीत दर्ज की है. गीता कोड़ा को कुल 4,31,545 वोट मिले जबकि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा को 3,59,159 वोट मिले. गीता कोड़ा झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी हैं. वो जगन्नाथपुर सीट से विधायक हैं. इनका जन्म 26 सितंबर 1983 को झारखंड के मेघहातु बुरु में हुआ था. इन्होंने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की. फिर मधु कोड़ा से शादी की. मधु कोड़ा के जेल जाने के बाद गीता कोड़ा राजनीति में उतर गईं. 2009 के विधानसभा चुनाव में वो पहली बार चुनाव मैदान में उतरीं. बीजेपी प्रत्याशी को हराकर पहली बार विधायक बनीं. 2014 में उन्होंने सिंहभूम सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं. 2014 में ही हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने एकबार जीत दर्ज की. 2018 में वो कांग्रेस में शामिल हुईं.

राजमहल से विजय हांसदा
विजय हांसदा ने राजमहल सीट से जेएमएम के टिकट पर 99,195 वोट से जीत दर्ज की है. विजय हांसदा को कुल 5,06,589 वोट मिले वहीं बीजेपी के हेमलाल मुर्मू को 4,07,626 वोट मिले. विजय हांसदा जेएमएम के युवा नेता हैं. उनका जन्म अक्टूबर 1982 में साहिबगंज के बरहड़वा में हुआ. उन्होंने संत जेवियर स्कूल साहिबगंज से मैट्रिक तक की पढ़ाई की है. उनके पिता थॉमस हांसदा कांग्रेस सांसद और झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष थे. विजय हांसदा 2014 में जेएमएम से जुड़े. पार्टी ने उन्हें राजमहल सीट से टिकट दिया. उन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी हेमलाल मुर्मू को हराया. चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने. 2019 में पार्टी ने उनपर फिर से भरोसा जताया है.

रांची: झारखंड में एनडीए की तरफ से बीजेपी ने 11 सीट पर जीत दर्ज कराई है, वहीं बीजेपी की सहयोगी आजूस ने भी गिरिडीह सीट से जीत दर्ज कराई है. इधर यूपीए की तरफ से कांग्रेस ने सिंहभूम सीट से और जेएमएम ने राजमहल सीट से जीत दर्ज की है.

धनबाद से पीएन सिंह
पीएन सिंह ने धनबाद सीट पर एक बार फिर 4,85,014 वोट से जीत दर्ज की है. पीएन सिंह को 8,22,744 वोट मिले जबकि कांग्रेस के कीर्ति झा आजाद को 3,39,376 वोट मिले. पशुपति नाथ सिंह बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं. उनका जन्म जुलाई 1949 में पटना के लखनपुर में हुआ था. उन्होंने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की है. वो छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय थे. वो कॉलेज यूनियन के अध्यक्ष भी बने. वो तीन बार पार्षद चुने गए. 1995 में पहली बार धनबाद से विधायक बने. साल 2000 में हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्हें जीत हासिल हुई. 2005 में एकबार फिर से विधायक बने. 2007 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक का सम्मान मिला. वो झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष भी बने. 2009 में उन्होंने धनबाद सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा. उन्हें जीत हासिल हुई. 2014 में एकबार फिर वो धनबाद से सांसद चुने गए.

हजारीबाग से जयंत सिन्हा
जयंत सिन्हा झारखंड के हजारीबाग सीट से 4,79,548 वोट से जीतने वाले बीजेपी सांसद जयंत सिन्हा बन गए है. जयंत सिन्हा को 7,27,359 वोट मिले जबकि कांग्रेस के गोपाल साहू को 2,49,022 वोट मिले हैं. जयंत सिन्हा सक्रिय राजनीति में काफी नए हैं. 2014 में वो पहली दफा लोकसभा चुनाव लड़े और जीतकर लोकसभा पहुंचे. जहां उन्हें मोदी सरकार में मंत्री बनाया गाय. जयंत सिन्हा पूर्व विदेश और वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के पुत्र हैं. उनका जन्म 21 अप्रैल 1963 में गिरिडीह में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पटना और दिल्ली से की. उसके बाद उन्होंने आइआइटी दिल्ली से इंजीनियरिंग की. इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने पेंसिलवानिया यूनिवर्सिटी से मास्टर्स की डिग्री ली. उसके बाद उन्होंने हावर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए किया.

पलामू से वीडी राम
वीडी राम झारखंड के पलामू सीट से रिकॉर्ड 4,77,606 वोट से जीत दर्ज की है. वीडी राम को कुल 7,53,240 वोट मिले जबकि आरजेडी के घूरम राम को 2,76,967 वोट मिले. पुलिस अधिकारी से सांसद बने वीडी राम का जन्म 23 जुलाई 1961 को हुआ था. वो बिहार के बक्सर जिले नैनीजोर के रहने वाले हैं. उन्होंने स्कूली पढ़ाई नेतरहाट आवासीय स्कूल से की. पटना यूनिवर्सिटी से उन्होंने ग्रेजुएशन किया. 1973 में वो आईपीएस के लिए चयनित हुए. अपने शुरुआती कार्यकाल में वो भागलपुर के एसपी बने. भागलपुर में प्रसिद्ध आंखफोड़वा कांड के दौरान वीडी राम वहां के एसपी थे. इस कांड के बाद वे मशहूर हुए थे. इसके बाद वो पटना के एसएसपी बने. अलग राज्य बनने के बाद वो झारखंड में आ गये. वो दो बार झारखंड के डीजीपी बने. पहली बार 2005 में डीजीपी बने. दूसरी बार वो 2007 से 2010 तक झारखंड के डीजीपी पद पर रहे.

कोडरमा से अन्नपूर्णा देवी
कोडरमा सीट से बीजेपी के टिकट पर अन्नपूर्णा देवी ने 4,55,600 वोट से जीत दर्ज की है. अन्नपूर्णा देवी को कुल 7,51,996 वोट मिले जबकि जेवीएम के बाबूलाल मरांडी को 2,97,232 वोट मिले. अन्नपूर्णा देवी झारखंड की कद्दावर महिला नेता हैं. 60 वर्षीय अन्नपूर्णा देवी, कर्पूरी ठाकुर, जयप्रकाश नारायण और लोहिया के विचारों से प्रेरित रही हैं. उन्होंने मगध यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है. जबकि रांची यूनिवर्सिटी से इतिहास विषय में पोस्ट ग्रेजुएट किया है. अन्नपूर्णा देवी अपने पति की मौत के बाद सक्रिय राजनीति में आयीं. 1998 में हुए कोडरमा उपचुनाव में आरजेडी की टिकट पर उन्होंने चुनाव लड़ा. जीत कर पहली बार विधायक बनी. 2000 विधानसभा चुनाव में भी उन्हें जीत हासिल हुई. 2005 में भी कोडरमा सीट से वो चुनाव लड़ीं और जीत दर्ज की. 2009 में वो एकबार फिर से विधायक बनीं. 2014 विधानसभा चुनाव में उन्हें शिकस्त मिली. उन्हें झारखंड आरजेडी का अध्यक्ष भी बनाया गया. 2019 में वो आरजेडी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गईं.

लोहरदगा से सुदर्शन भगत
सुदर्शन भगत ने लोहरदगा सीट से बीजेपी के टिकट पर कांटे की टक्कर में 9,459 वोट से जीत दर्ज की है. सुदर्शन भगत को कुल 3,69,527 वोट मिले जबकि कांग्रेस के सुखदेव भगत को 3,60,068 वोट मिले. सुदर्शन भगत साफ और शांत चरित्र के नेता के रूप में जाने जाते हैं. उनका जन्म 20 अक्टूबर 1969 को गुमला में हुआ था. उन्होंने स्नातक पढ़ाई की है. छात्र जीवन से ही वो वनवासी कल्याण आश्रम के माध्यम से विशेष रूप से शिक्षा और आदिवासियों के उत्थान के लिए विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में भाग लेते रहे हैं. वो छात्र जीवन में एबीवीपी में सक्रिय रूप से जुड़े हुए थे. संयुक्त राज्य बिहार में संयुक्त सचिव के पद पर कार्य किया. 1995 में वो सक्रिय राजनीति में आए. गुमला जिला भाजयुमो के महासचिव बने.

गोड्डा से निशिकांत दुबे
गोड्डा से निशिकांत दुबे ने एक बार फिर 1,84,227 वोट से जीत दर्ज की है. निशिकांत दुबे को कुल 6,35,383 वोट मिले जबकि जेवीएम के प्रदीप यादव को 4,50,677 वोट मिले. निशिकांत दुबे का जन्म बिहार के भागलपुर में जनवरी 1969 में हुआ था. उन्होंने मारवाड़ी कॉलेज भागलपुर से ग्रेजुएशन की डिग्री ली. एफएमएस दिल्ली से उन्होंने एमबीए किया है. उन्होंने एस्सार कंपनी में निदेशक के रूप में काम किया है. साल 2009 में वो राजनीति में आए. उसी साल हुए चुनाव में वो बीजेपी की टिकट पर गोड्डा सीट से लडे़ और जीत दर्ज की. इस दौरान उन्हें वित्तीय समिति का सदस्य बनाया गया. 2014 में एक बार फिर पार्टी ने उन्हें टिकट दिया. पार्टी की उम्मीदों पर खड़ा उतरते हुए उन्होंने फिर से जीत हासिल की. लगातार दूसरी बार सांसद बने. संथाल की एक सीट पर बीजेपी का कब्जा बरकरार रखा.

चतरा से सुनील सिंह
चतरा लोकसभा सीट से बीजेपी के प्रत्याशी सुनील सिंह ने 3,73,940 वोट से जीत दर्ज की है. सुनील सिंह को कुल 5,22,656 वोट मिले जबकि कांग्रेस के मनोज यादव को 1,48,716 वोट मिले. सुनील सिंह 1995 से 2002 तक भाजयुमो की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य रहे. 1996 में वह भाजयुमो, बिहार के प्रदेश उपाध्यक्ष बने. 1998 से 2000 तक वह बिहार भाजयुमो के प्रदेश महामंत्री रहे. इसके बाद 2002 में वह भाजयुमो के राष्ट्रीय महामंत्री और 2004 में झारखंड भाजपा के प्रवक्ता बने. वर्ष 2005 से 2007 तक झारखंड भाजपा के प्रदेश महामंत्री रहे. 2011 में उन्हें राष्ट्रीय कार्यसमिति की सदस्य बनाया गया. 2014 में उन्हें चतरा से लोकसभा का टिकट मिला. जीतकर वो पहली बार सांसद बने.

दुमका से सुनील सोरेन
दुमका से सुनील सोरेन ने बड़ा उलटफेर किया है. सुनील सोरेन ने आठ बार के सांसद रहे जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन को वोट से 47,590 मात दी है. सुनील सोरेन को 4,83,748 वोट मिले जबकि शिबू सोरेन को 4,36,158 वोट मिले. सुनील सोरेन संथाल में बीजेपी के तेज-तर्रार युवा नेता हैं. वो दुमका के तारबांधा गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई की है. 1992 में दुमका के ए.एन. कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की. उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत जेएमएम से की. बाद में बीजेपी में शामिल हुए. साल 2005 में वो जामा से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़े. जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे. 2009 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें दुमका से प्रत्याशी बनाया. लेकिन वो चुनाव हार गए. 2014 में पार्टी ने उन्हें दूसरी बार मौका दिया. एकबार फिर उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

खूंटी से अर्जुन मुंडा
झारखंड में खूंटी लोकसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है. बीजेपी प्रत्याशी अर्जुन मुंडा ने कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा को 1445 मत से हरा कर जीत दर्ज की. अर्जुन मुंडा को कुल मत 3,82,638 और कालीचरण को 3,81,193 मत प्राप्त हुए. वो झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं. महज 35 वर्ष की आयु में वो झारखंड के मुख्यमंत्री बने थे. वो देश में सबसे कम उम्र में बनने वाले मुख्यमंत्री हैं. आज भी यह रिकॉर्ड उन्ही के नाम है. साल 2000 में झारखंड राज्य बना. 2003 में वो पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने. तब उनकी उम्र केवल 35 साल थी. 2005 के चुनाव में भी उन्होंने खरसावां से जीत हासिल की. 12 मार्च 2005 को उन्होंने दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. 2009 में वो जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. 2010 में वो एकबार फिर प्रदेश की राजनीति में लौटे और तीसरी बार राज्य के मुख्यमंक्षत्री बने. वो साल 2013 तक मुख्यमंत्री पद पर रहे. साल 2014 की विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

रांची से संजय सेठ
संजय सेठ ने रांची से बीजेपी के टिकट पर 2,83,026 वोट से जीत दर्ज की है. संजय सेठ को कुल 7,04,301 वोट मिले जबकि कांग्रेस से सुबोधकांत सहाय को 4,22,672 वोट मिले. 60 वर्षीय संजय सेठ बीजेपी के तेज-तर्रार नेता माने जाते हैं. संगठन स्तर पर वो काफी सक्रिय रहते हैं. वो कानपुर यूनिवर्सिटी से कॉमर्स ग्रेजुएट हैं. उन्होंने रांची यूनिवर्सिटी से ही लॉ की भी पढ़ाई की है. संजय सेठ जेपी आंदोलन के नेता हैं. वो 1999 में झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष बने. 2014 लोकसभा चुनाव में नमो कैंपेन में उनकी अहम भूमिका थी. जून 2016 में उन्हें झारखंड खादी बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया.

गिरिडीह से चंद्र प्रकाश चौधरी
गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र आजसू पार्टी के प्रत्याशी चन्द्र प्रकाश चैधरी 6,48,277 वोटों के साथ अपने निकटतम प्रत्याशी जगरनाथ महतो झामुमो से 2,48,347 वोटों से विजयी हुए. झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के जगरनाथ महतो को कुल 3,99,930 वोट मिले. चंद्रप्रकाश चौधरी आजसू पार्टी के कद्दावर नेता हैं. उनका जन्म रामगढ़ के सांडी गांव में हुआ. उन्होंने रामगढ़ कॉलेज से 1988 में ग्रेजुएशन किया है. साल 2005 में वो रामगढ़ विधानसभा सीट से पहली बार चुनाव लड़े. इस चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई. वो पहली बार विधायक बने. अर्जुन मुंडा मंत्रिमंडल में वो मंत्री भी बने. 2009 विधानसभा चुनाव में उनको फिर से जीत हासिल हुई. एकबार फिर वो मंत्री बने. साल 2013 तक वो मंत्री बने रहे. 2009 में उन्होंने हजारीबाग सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा. वहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2014 में भी विधानसभा चुनाव में रामगढ़ सीट से उन्हें जीत हासिल हुई. रघुवर कैबिनेट में वो पेयजल स्वच्छता और जल संसाधन मंत्री बने.

सिंहभूम से गीता कोड़ा
सिंहभूम सीट से गीता कोड़ा ने कांग्रेस के टिकट पर वोट 72,155 से जीत दर्ज की है. गीता कोड़ा को कुल 4,31,545 वोट मिले जबकि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा को 3,59,159 वोट मिले. गीता कोड़ा झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी हैं. वो जगन्नाथपुर सीट से विधायक हैं. इनका जन्म 26 सितंबर 1983 को झारखंड के मेघहातु बुरु में हुआ था. इन्होंने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की. फिर मधु कोड़ा से शादी की. मधु कोड़ा के जेल जाने के बाद गीता कोड़ा राजनीति में उतर गईं. 2009 के विधानसभा चुनाव में वो पहली बार चुनाव मैदान में उतरीं. बीजेपी प्रत्याशी को हराकर पहली बार विधायक बनीं. 2014 में उन्होंने सिंहभूम सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं. 2014 में ही हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने एकबार जीत दर्ज की. 2018 में वो कांग्रेस में शामिल हुईं.

राजमहल से विजय हांसदा
विजय हांसदा ने राजमहल सीट से जेएमएम के टिकट पर 99,195 वोट से जीत दर्ज की है. विजय हांसदा को कुल 5,06,589 वोट मिले वहीं बीजेपी के हेमलाल मुर्मू को 4,07,626 वोट मिले. विजय हांसदा जेएमएम के युवा नेता हैं. उनका जन्म अक्टूबर 1982 में साहिबगंज के बरहड़वा में हुआ. उन्होंने संत जेवियर स्कूल साहिबगंज से मैट्रिक तक की पढ़ाई की है. उनके पिता थॉमस हांसदा कांग्रेस सांसद और झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष थे. विजय हांसदा 2014 में जेएमएम से जुड़े. पार्टी ने उन्हें राजमहल सीट से टिकट दिया. उन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी हेमलाल मुर्मू को हराया. चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने. 2019 में पार्टी ने उनपर फिर से भरोसा जताया है.

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Situation is very stressful in khunti


Conclusion:
Last Updated : May 23, 2019, 11:44 PM IST
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