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रांचीः धान खरीद घोटाले पर HC ने गृह सचिव से पूछा- क्यों न कराएं सीबीआई जांच

धान खरीद घोटाले में करोड़ों के घोटाले मामले में गुरुवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. पुलिस अनुसंधान पर भी झारखंड हाईकोर्ट ने टिप्पणी गृह सचिव से पूछा है कि वो बताए क्यों नहीं इस घोटाले की जांच सीबीआई से करायी जाए.

झारखंड हाईकोर्ट
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Published : May 17, 2019, 2:43 AM IST

Updated : May 17, 2019, 7:41 AM IST

रांची: प्राथमिक कृषि सहकारी साख समिति(पैक्स) के जरिए धान खरीद में करोड़ों के घोटाले में झारखंड पुलिस ने सही तरीके से अनुसंधान नहीं किया. राज्य पुलिस के अनुसंधान पर भी झारखंड हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है. कोर्ट ने गृह सचिव से मामले में एफिडेविट कर सवाल किया कि क्यों नहीं सरकारी कर्मियों और प्राइवेट पार्टियों की मदद से करोड़ों के घोटाले की जांच सीबीआई से करायी गई. सरकार की जांच एजेंसियों पर भी हाईकोर्ट ने सवाल उठाया है. हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद गृह विभाग पैक्स घोटाले से संबंधित कांडों में रिपोर्ट बनाने में जुटी है.
क्या है मामला

राज्य में पैक्स के जरिए धान खरीद में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है. धान खरीद घोटाले में राज्य के हजारीबाग, गोड्डा, देवघर, जामताड़ा, दुमका, पाकुड़ समेत अन्य जिलों में एफआईआर दर्ज हैं. लिट्ठीपाड़ा थाना में दर्ज कांड संख्या 39/17 में आरोपी बाहुल मंडल ने जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने गड़बड़ी पकड़ी. हाईकोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा है कि धान खरीद घोटाले में सरकारी फंड का बड़ा दुरूपयोग हुआ है. बावजूद इसके पुलिस ने सिर्फ आईपीसी की धारा 406, 420 के तहत एफआईआर दर्ज की. केस के अनुसंधानकर्ताओं ने सही तरीके से अनसंधान नहीं किया और न ही जांच में कांड से जुड़े जरूरी तथ्य ही जमा किए गए. अधिकांश मामलों में बगैर सही और सटीक अनुसंधान के पुलिस ने चार्जशीट भी जमा कर दिया.

गृह सचिव को देना होगा शपथ पत्र
झारखंड सरकार के गृह सचिव एसकेजी रहाटे से हाईकोर्ट ने पूरे मामले में शपथ पत्र की मांग की है. शपथ पत्र के जरिए गृह सचिव को बताना होगा कि क्या वह पुलिस के अनुसंधान से संतुष्ट हैं या राज्य की जांच एजेंसियां ऐसे मामलों में अनुसंधान के लिए कारगर नहीं हैं. हाईकोर्ट ने गृह सचिव से यह भी पूछा है कि क्या सरकार इस मामले की जांच सीबीआई से कराना चाहेगी. क्योंकि इस मामले में सरकार के करोड़ों के फंड का दुरूपयोग हुआ है, साथ ही इस घोटाले में सरकारी कर्मियों के साथ साथ निजी लोगों की भी संलिप्तता है.

सरकारी फंड में अनियमितता पर नहीं लगा पीसी एक्ट
सरकारी फंड में अनियमितता और सरकारी कर्मियों की संलिप्तता के कारण दर्ज एफआईआर में प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत भी एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए थी. जांच के बाद भी एफआईआर में पीसी एक्ट की धाराएं शामिल कर चार्जशीट होनी चाहिए थी. लेकिन मामूली धाराओं में एफआईआर और चार्जशीट के कारण आरोपियों को राहत मिलने की गुंजाईश बढ़ गई.

रांची: प्राथमिक कृषि सहकारी साख समिति(पैक्स) के जरिए धान खरीद में करोड़ों के घोटाले में झारखंड पुलिस ने सही तरीके से अनुसंधान नहीं किया. राज्य पुलिस के अनुसंधान पर भी झारखंड हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है. कोर्ट ने गृह सचिव से मामले में एफिडेविट कर सवाल किया कि क्यों नहीं सरकारी कर्मियों और प्राइवेट पार्टियों की मदद से करोड़ों के घोटाले की जांच सीबीआई से करायी गई. सरकार की जांच एजेंसियों पर भी हाईकोर्ट ने सवाल उठाया है. हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद गृह विभाग पैक्स घोटाले से संबंधित कांडों में रिपोर्ट बनाने में जुटी है.
क्या है मामला

राज्य में पैक्स के जरिए धान खरीद में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है. धान खरीद घोटाले में राज्य के हजारीबाग, गोड्डा, देवघर, जामताड़ा, दुमका, पाकुड़ समेत अन्य जिलों में एफआईआर दर्ज हैं. लिट्ठीपाड़ा थाना में दर्ज कांड संख्या 39/17 में आरोपी बाहुल मंडल ने जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने गड़बड़ी पकड़ी. हाईकोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा है कि धान खरीद घोटाले में सरकारी फंड का बड़ा दुरूपयोग हुआ है. बावजूद इसके पुलिस ने सिर्फ आईपीसी की धारा 406, 420 के तहत एफआईआर दर्ज की. केस के अनुसंधानकर्ताओं ने सही तरीके से अनसंधान नहीं किया और न ही जांच में कांड से जुड़े जरूरी तथ्य ही जमा किए गए. अधिकांश मामलों में बगैर सही और सटीक अनुसंधान के पुलिस ने चार्जशीट भी जमा कर दिया.

गृह सचिव को देना होगा शपथ पत्र
झारखंड सरकार के गृह सचिव एसकेजी रहाटे से हाईकोर्ट ने पूरे मामले में शपथ पत्र की मांग की है. शपथ पत्र के जरिए गृह सचिव को बताना होगा कि क्या वह पुलिस के अनुसंधान से संतुष्ट हैं या राज्य की जांच एजेंसियां ऐसे मामलों में अनुसंधान के लिए कारगर नहीं हैं. हाईकोर्ट ने गृह सचिव से यह भी पूछा है कि क्या सरकार इस मामले की जांच सीबीआई से कराना चाहेगी. क्योंकि इस मामले में सरकार के करोड़ों के फंड का दुरूपयोग हुआ है, साथ ही इस घोटाले में सरकारी कर्मियों के साथ साथ निजी लोगों की भी संलिप्तता है.

सरकारी फंड में अनियमितता पर नहीं लगा पीसी एक्ट
सरकारी फंड में अनियमितता और सरकारी कर्मियों की संलिप्तता के कारण दर्ज एफआईआर में प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत भी एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए थी. जांच के बाद भी एफआईआर में पीसी एक्ट की धाराएं शामिल कर चार्जशीट होनी चाहिए थी. लेकिन मामूली धाराओं में एफआईआर और चार्जशीट के कारण आरोपियों को राहत मिलने की गुंजाईश बढ़ गई.

Intro:धान खरीद घोटाले पर कोर्ट ने पूछा क्यों नहीं कराएं सीबीआई जांच

रांची।
प्राथमिक कृषि सहकारी साख समिति(पैक्स) के जरिए धान खरीद में करोड़ों के घोटाले में झारखंड पुलिस ने सही तरीके से अनुसंधान नहीं किया। राज्य पुलिस के अनुसंधान पर झारखंड हाईकोर्ट ने भी टिप्पणी की है। साथ ही गृह सचिव से मामले में एफिडेविट कर पूछा है कि क्यों नहीं सरकारी कर्मियों और प्राइवेट पार्टियों की मदद से हुए करोड़ों के घोटाले की जांच सीबीआई से करायी जाए। सरकार की जांच एजेंसियों पर भी हाईकोर्ट ने सवाल उठाया है। हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद गृह विभाग पैक्स घोटाले से संबंधित कांडों में रिपोर्ट बनाने में जुटा है।


क्या है मामला
राज्य में पैक्स के जरिए धान खरीद में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी है। धान खरीद घोटाले में राज्य के हजारीबाग, गोड्डा, देवघर, जामताड़ा, दुमका, पाकुड़ समेत अन्य जिलों में एफआईआर दर्ज हैं। लिट्ठीपाड़ा थाना में दर्ज कांड संख्या 39/17 में आरोपी बाहुल मंडल ने जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने गड़बड़ी पकड़ी। हाईकोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा है कि धान खरीद घोटाले में सरकारी फंड का बड़ा दुरूपयोग हुआ, बावजूद इसके पुलिस ने सिर्फ आईपीसी की धारा 406, 420 में एफआईआर दर्ज की। केस के अनुसंधानकर्ताओं ने सही तरीके से अनसंधान नहीं किया और न ही जांच में कांड से जुड़े जरूरी तथ्य ही जमा किए गए। अधिकांश मामलों में बगैर सही व सटिक अनुसंधान के पुलिस ने चार्जशीट भी जमा कर दिया।

गृह सचिव को देना होगा शपथ पत्र

झारखंड सरकार के गृह सचिव एसकेजी रहाटे से हाईकोर्ट ने पूरे मामले में शपथ पत्र की मांग की है। शपथ पत्र के जरिए गृह सचिव को बताना होगा कि क्या वह पुलिस के अनुसंधान से संतुष्ट हैं या राज्य की एजेंसियां जांच ऐसे मामलों में अनुसंधान के लिए कारगर नहीं हैं। हाईकोर्ट ने गृह सचिव से यह भी पूछा है कि क्या सरकार इस मामले की जांच सीबीआई से कराना चाहेगी, क्योंकि इस मामले में सरकार के करोड़ों के फंड का दुरूपयोग हुआ है, साथ ही इस घोटाले में सरकारी कर्मियों के साथ साथ निजी लोगों की भी संलिप्तता है।

सरकारी फंड में अनियमितता पर नहीं लगा पीसी एक्ट

सरकारी फंड में अनियमितता और सरकारी कर्मियों की संलिप्तता के कारण दर्ज एफआईआर में प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत भी एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए थे। जांच के बाद भी एफआईआर में पीसी एक्ट की धाराएं शामिल कर चार्जशीट की जानी चाहिए थी, लेकिन मामुली धाराओं में एफआईआर व चार्जशीट के कारण आरोपियों को राहत मिलने की गुंजाईश बढ़ गई।Body:RConclusion:R
Last Updated : May 17, 2019, 7:41 AM IST
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