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इस मौसम में झारखंड ओढ़ लेता है सिंदूरी रंग, प्राकृतिक सुंदरता में लगता है चार चांद - Palash flowers

पलाश के फूल को झारखंड का राजकीय फूल घोषित किया गया है. इसके फूल और पत्तियों का अपना एक विशेष महत्व है. साथ ही सबसे बड़ी बात यह है कि इस पेड़ को लगाएं नहीं जाते बल्कि आपने आप उगते हैं. जिसमें पानी की आवश्यकता भी नहीं पड़ती.

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Published : Mar 14, 2019, 12:05 PM IST

जामताड़ा: झारखंड इन दिनों सिंदूरी रंग में रंगा नजर आ रहा है. जो एक मशहूर फिल्मी गाने की याद ताजा कर रहा है जिसके बोल थे 'आके तेरी बाहों में हर शाम लगे सिंदूरी'. फागुन आने पर झारखंड के जंगलों में प्रकृति अपनी छटा बिखेर रही है. इस मौसम में यहां के जंगल लाल रंग की चादर ओढ़ लेते हैं, जो प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लगाते हैं.

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झारखंड में फागुन के आगमन के साथ ही पलाश के फूलों से पूरा वातावरण खिलने लगा है. पलाश के फूल होली का एहसास करा रहे हैं. पलाश के फूलों के चमकदार रंग आंखों को सुकून पहुंचाते हैं, बसंत ऋतु आगमन के साथ ही पलाश के फूलों से पूरा वातावरण खुशनुमा हो जाता है.

संथाल परगना सहित पूरे झारखंड में पलाश के पेड़ काफी मात्रा में पाए जाते हैं. जो कई औषधीय गुणों से युक्त है और काफी लाभकारी माना जाता है. राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित आदिवासी साहित्यकार बताते हैं कि पलाश के फूल पर्यावरण के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है. इसे झारखंड की संस्कृति और पहचान के रूप में भी जाना जाता है.

फाइनल वीओ- आदिवासी बालाओं के जुड़े में सजने वाले झारखंड के इस राजकीय फूल पलाश की गरिमा खास है. इसके फूल से रंग, गुलाल, सिंदूर आदी बनाई जाती है. इससे बनने वाले गुलाल की होली में डिमांड काफी बढ़ जाती है. इसका यहां कि संस्कृति और सभ्यता से भी गहरा लगाव है.

जामताड़ा: झारखंड इन दिनों सिंदूरी रंग में रंगा नजर आ रहा है. जो एक मशहूर फिल्मी गाने की याद ताजा कर रहा है जिसके बोल थे 'आके तेरी बाहों में हर शाम लगे सिंदूरी'. फागुन आने पर झारखंड के जंगलों में प्रकृति अपनी छटा बिखेर रही है. इस मौसम में यहां के जंगल लाल रंग की चादर ओढ़ लेते हैं, जो प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लगाते हैं.

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झारखंड में फागुन के आगमन के साथ ही पलाश के फूलों से पूरा वातावरण खिलने लगा है. पलाश के फूल होली का एहसास करा रहे हैं. पलाश के फूलों के चमकदार रंग आंखों को सुकून पहुंचाते हैं, बसंत ऋतु आगमन के साथ ही पलाश के फूलों से पूरा वातावरण खुशनुमा हो जाता है.

संथाल परगना सहित पूरे झारखंड में पलाश के पेड़ काफी मात्रा में पाए जाते हैं. जो कई औषधीय गुणों से युक्त है और काफी लाभकारी माना जाता है. राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित आदिवासी साहित्यकार बताते हैं कि पलाश के फूल पर्यावरण के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है. इसे झारखंड की संस्कृति और पहचान के रूप में भी जाना जाता है.

फाइनल वीओ- आदिवासी बालाओं के जुड़े में सजने वाले झारखंड के इस राजकीय फूल पलाश की गरिमा खास है. इसके फूल से रंग, गुलाल, सिंदूर आदी बनाई जाती है. इससे बनने वाले गुलाल की होली में डिमांड काफी बढ़ जाती है. इसका यहां कि संस्कृति और सभ्यता से भी गहरा लगाव है.

Intro:पलाश के फूल से पूरा वातावरण खिलने लगा है। पलाश के फूल ना सिर्फ अपने मनमोहक रंग और सुंदरता से प्राकृतिक सुंदरता मे छटा बिखेर रहा है बल्कि प्राकृतिक सुंदरता में लगा रहा है चार चांद।


Body:बसंत ऋतु आगमन के साथ ही चैत मास प्रारंभ होने के पहले पलाश के पेड़ों पर पलाश के फूल खिल उठते हैं ।पलाश के फूल से पूरा वातावरण खुशनुमा हो जाता है ।पलाश के पत्ते झड़ जाते हैं और फूलों से पूरा पेड़ ढक जाता है ।पलाश के फूल को टेसू भी कहा जाता है। झारखंड और संथाल परगना में पाए जाने वाले पलाश के पेड़ काफी पाए जाते हैं ।कहा जाता है कि बसंत ऋतु के आगमन के साथ है पलाश के पेड़ के पत्ते झड़ जाते हैं और पूरा पेड़ फूलों से ढक जाता है । पलाश के फूल रंग लाल होने के कारण नजारा देखते ही बनता है। प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लग जाते है। पलाश के जंगलों में पलाश के पेड़ों पर लगे फूल अनायास अपनी और आकर्षित करता है। आपको बता दें कि झारखंड सहित पूरे संथाल परगना में पलाश के पेड़ काफी मात्रा में पाए जाते हैं ।इसके पेड़ फूल पत्ती बीच सहित काफी लाभकारी माना जाता है । इसकी अपनी एक विशेषता और झारखंड की संस्कृति और पहचान के रूप में जाना जाता है। आदिवासी साहित्यकार शिक्षाविद सुनील बास्की बताते हैं कि पलाश के फूल पर्यावरण के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। इससे फूलों से निकलने वाले रस को पक्षी काफी चाव से पीते हैं और इसके साथ ही अन्य जगह इसके बीज को खा कर फेंक देते हैं जिससे नए पेड़ उग आते हैं ।यहीं नहीं इसके फूल के रंग से आदिवासी समाज घर में रंग लगाने का भी काम करते हैं खासकर होली के दिन इस के फूल के प्राकृतिक रंग तैयार कर खेलने का भी काम लिया जाता है ।वहीं आदिवासी समाज के लोगों का कहना है कि पलाश के फूल बीज का औषधि गुण है ऐसे औषधि रूप में इस्तेमाल भी किया जाता है जिसके काफी गुण हैं पलाश के फूल से निकलने वाले रस को आदिवासी समाज में बच्चे काफी चाव से पीते हैं और इसके फूल को बीज को औषधि के रूप में इस्तेमाल भी किया जाता है।
बाईट सुनील बास्की शिक्षाविद राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित
बाईट नंदलाल सोरेन समाजसेवी


Conclusion:पलाश के फूल को झारखंड सरकार द्वारा राजकीय फूल घोषित किया गया है। पलाश.के पेड़ फूल पत्ती का अपना एक विशेष महत्व है ही साथ ही सबसे बड़ी बात यह है कि इस पेड़ को लगाएं नहीं जाते बल्कि आपने आप उगते हैं जिसमें पानी की आवश्यकता भी नहीं पड़ती।

संजय तिवारी ईटीवी भारत जामताड़ा
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