जामताड़ा: झारखंड इन दिनों सिंदूरी रंग में रंगा नजर आ रहा है. जो एक मशहूर फिल्मी गाने की याद ताजा कर रहा है जिसके बोल थे 'आके तेरी बाहों में हर शाम लगे सिंदूरी'. फागुन आने पर झारखंड के जंगलों में प्रकृति अपनी छटा बिखेर रही है. इस मौसम में यहां के जंगल लाल रंग की चादर ओढ़ लेते हैं, जो प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लगाते हैं.
झारखंड में फागुन के आगमन के साथ ही पलाश के फूलों से पूरा वातावरण खिलने लगा है. पलाश के फूल होली का एहसास करा रहे हैं. पलाश के फूलों के चमकदार रंग आंखों को सुकून पहुंचाते हैं, बसंत ऋतु आगमन के साथ ही पलाश के फूलों से पूरा वातावरण खुशनुमा हो जाता है.
संथाल परगना सहित पूरे झारखंड में पलाश के पेड़ काफी मात्रा में पाए जाते हैं. जो कई औषधीय गुणों से युक्त है और काफी लाभकारी माना जाता है. राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित आदिवासी साहित्यकार बताते हैं कि पलाश के फूल पर्यावरण के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है. इसे झारखंड की संस्कृति और पहचान के रूप में भी जाना जाता है.
फाइनल वीओ- आदिवासी बालाओं के जुड़े में सजने वाले झारखंड के इस राजकीय फूल पलाश की गरिमा खास है. इसके फूल से रंग, गुलाल, सिंदूर आदी बनाई जाती है. इससे बनने वाले गुलाल की होली में डिमांड काफी बढ़ जाती है. इसका यहां कि संस्कृति और सभ्यता से भी गहरा लगाव है.