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वीरान जगह पर बना हेहल अंचल कार्यालय, जरूरी दस्तावेजों में कभी भी लग सकती है सेंध

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Published : Jun 13, 2019, 5:16 PM IST

करोड़ों की लागत से तैयार हेहल अंचल कार्यालय को लगभग 2 महीने पहले ही नई बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया है. जिस इलाके में कार्यालय स्थित है वहां दूर-दूर तक कोई आबादी नहीं है. ऐसे वीरान इलाके में चोरी जैसी घटना को कभी भी अंजाम दिया जा सकता है, जिसे लेकर कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारी काफी चिंतित हैं.

नवनिर्मित हेहल अंचल कार्यालय

रांची: लगभग 1 करोड़ की लागत से बने हेहल अंचल कार्यालय को लगभग 2 महीने पहले नवनिर्मित बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया. कार्यालय हेहल गांव के नदी टांड इलाके में स्थित है जहां दूर-दूर तक कोई आबादी नहीं है. पूरा इलाका वीरान है और कार्यालय की चहारदीवारी भी नहीं की गई. कार्यालय पूरी तरह से एक गार्ड के भरोसे छोड़ दिया गया है.

असुरक्षित महसूस करते हैं कर्मचारी

दिन में पूरे इलाके में सन्नाटा छाया रहता है, वहीं रात में कार्यालय एक गार्ड के भरोसे छोड़ दिया जाता है. कार्यालय को लेकर वहां के अधिकारी भी चिंतित हैं. हेहल अंचल कार्यालय कर्मचारी अजीत पांडे ने बताया कि यह इलाका इतना वीरान है कि कर्मचारी खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं.

महत्वपूर्ण दस्तावेजों का रहना असुरक्षित

जिस परिस्थिति में कार्यालय चल रहा है, वहां कभी भी जमीन के महत्वपूर्ण दस्तावेजों की चोरी हो सकती है. खुले इलाके में बनाए गए इस कार्यालय की सुरक्षा की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. हालांकि इस सिलसिले में विभाग को भी अवगत कराया गया, लेकिन कोई भी असुरक्षित कार्यालय की बात खुलकर नहीं कह रहा है.

रांची: लगभग 1 करोड़ की लागत से बने हेहल अंचल कार्यालय को लगभग 2 महीने पहले नवनिर्मित बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया. कार्यालय हेहल गांव के नदी टांड इलाके में स्थित है जहां दूर-दूर तक कोई आबादी नहीं है. पूरा इलाका वीरान है और कार्यालय की चहारदीवारी भी नहीं की गई. कार्यालय पूरी तरह से एक गार्ड के भरोसे छोड़ दिया गया है.

असुरक्षित महसूस करते हैं कर्मचारी

दिन में पूरे इलाके में सन्नाटा छाया रहता है, वहीं रात में कार्यालय एक गार्ड के भरोसे छोड़ दिया जाता है. कार्यालय को लेकर वहां के अधिकारी भी चिंतित हैं. हेहल अंचल कार्यालय कर्मचारी अजीत पांडे ने बताया कि यह इलाका इतना वीरान है कि कर्मचारी खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं.

महत्वपूर्ण दस्तावेजों का रहना असुरक्षित

जिस परिस्थिति में कार्यालय चल रहा है, वहां कभी भी जमीन के महत्वपूर्ण दस्तावेजों की चोरी हो सकती है. खुले इलाके में बनाए गए इस कार्यालय की सुरक्षा की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. हालांकि इस सिलसिले में विभाग को भी अवगत कराया गया, लेकिन कोई भी असुरक्षित कार्यालय की बात खुलकर नहीं कह रहा है.

Intro:रांची.राजधानी में करोड़ो की लागत से हेहल अंचल कार्यालय बनाया गया है. लेकिन इसकी चाहरदीवारी तक नही की गई.आबादी से दूर वीराने में कार्यालय का स्थित होना भी खतरे को न्योता दे रहा है.हेहल अंचल कार्यालय में रखे जमीन के महत्वपूर्ण कागजात कभी भी नष्ट और चोरी हो सकते है.लेकिन इसकी सुरक्षा की तरफ किसी का ध्यान नही है.


Body:दरअसल लगभग दो महीने पहले ही हेहल अंचल कार्यालय हेहल गांव के नदी टांड इलाके में पुल के किनारे नवनिर्मित बिल्डिंग में शिफ्ट हुआ है.लेकिन कार्यालय के पास दूर दूर तक आबादी नही है. पूरा इलाका वीरान है और कार्यालय की चहारदीवारी भी नही बनाई गई है.दिन में भी पूरा इलाका वीरान रहता है.जबकि रात में एक गार्ड के भरोसे कार्यालय रहता है.ऐसे में हेहल अंचल कार्यालय पर खतरा मंडरा रहा है.जिस परिस्थिति में कार्यालय चल रहा है. वंहा कभी भी चोरी जैसी घटना हो सकती है.

वीराने में बने इस कार्यालय को लेकर वंहा के अधिकारी भी चिंतित है.विभाग को भी अवगत कराया गया है.हालांकि असुरक्षित कार्यालय की बात खुलकर कोई नही बोल रहा.ऐसे में हेहल अंचल कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी अजित पांडे ने बताया कि लगभग दो महीने पहले ही कार्यालय शिफ्ट हुआ है.लेकिन चहारदीवारी नही बनी है और इलाका वीरान है.जिससे अधिकारी और कर्मचारी खुद को असुरक्षित महसूस करते है.वंही कैंटीन भी बनी है.लेकिन अबतक संचालन शुरू नही हुआ है.




Conclusion:गौरतलब है कि लगभग एक करोड़ की लागत से हेहल अंचल कार्यालय की बिल्डिंग बनी है.जबकि 40 लाख रुपये से ज्यादा की लागत से कैंटीन की बिल्डिंग बनी है. लेकिन खुले इलाके में बनाये गए इस कार्यालय में सुरक्षा की ओर कोई ध्यान नही दिया गया है. दिन में इलाके में सन्नाटा पसरा रहता है. तो रात में महत्वपूर्ण दस्तावेज एक गार्ड के भरोसे रहता है.राजस्वकर्मी भी इस कार्यालय में महत्वपूर्ण दस्तावेजों का रहना असुरक्षित मानते है.
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