दुमका: आदिम जनजाति पहाड़िया समुदाय के उत्थान और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए सरकार कई तरह की कल्याणकारी योजनाएं चला रही है. लेकिन पहाड़ के ऊपर जीवन जीने वाले ये लोग आज भी अत्यंत पिछड़े हैं. इन लोगों का कहना है कि जो इनकी जिंदगी में बदलाव लाएगा, उन्हें ही वोट दिया जाएगा.
गरीबी में जन्म लेना, मुफलिसी में पलना और तंगहाली में मर जाना पहाड़िया जनजाति के लोगों नियति बन चुकी है. लेकिन बदलते दौर के साथ ये जागरूक हो रहे हैं. अपने अधिकारों को समझने लगे हैं. बता दें कि दुमका लोकसभा चुनाव के लिए 19 मई को वोटिंग होनी है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने दुमका के पहाड़िया जनजाति बहुल आसनसोल गांव जाकर ग्रामीणों से जाना कि वो किस तरह के प्रत्याशी को चुनना चाहते हैं.
ग्रामीणों ने कहा नहीं मिलता हमारा हक
गांव की महिला और पुरूषों का कहना है कि पहाड़िया समाज के लिए सरकार काफी योजनाएं चला रही है. लेकिन सरकार की तरफ से जो भी लाभ दिया जाता है. वो ग्रामीणों तक सही ढंग से नहीं पहुंच पाता है. इसका पूरा लाभ केवल बिचौलियों को मिलता है. ग्रामीणों का कहना है कि वे ऐसे प्रत्याशी को वोट देंगे जो उनका हक दिलाएगा और बिचौलियों को भगाएगा.