रांची: जेवीएम सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी की जुबान फिसल गई और वो अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए बीजेपी और झारखंड विधानसभा स्पीकर पर निशाना साधा. उन्होंने दलबदल मामले पर आए फैसले पर कहा कि जब संविधान के दसवीं अनुसूची को मानना ही नहीं था तो चार साल तक समय क्यों बर्बाद किया गया?
उन्होंने कहा कि बीजेपी के लोग अपने आप को बड़े अकलमंद समझते हैं और झारखंड की जनता को बेवकूफ समझते हैं क्या? उन्होंने कहा कि जब संविधान के दसवीं अनुसूची का पालन नहीं करना है तो फिर बीजेपी को दसवीं अनुसूची को जला देना चाहिए. बाबूलाल ने बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र राय और जेवीएम के बागी विधायकों की ओर से विधानसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र का भी जिक्र किया.
दरअसल, 2014 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद फरवरी 2015 में झारखंड विकास मोर्चा के 6 विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया था. उन विधायकों में आलोक चौरसिया, अमर बाउरी, रणधीर सिंह, जानकी यादव, गणेश गंझू और नवीन जयसवाल के नाम शामिल है. इनमें से दो मौजूदा सरकार में मंत्री हैं, जबकि 3 अलग-अलग बोर्ड और निगम में शीर्ष पद पर तैनात है. वहीं, अन्य एक को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है.
क्या-क्या हुआ है इस मामले में अबतक
बता दें कि 2015 में दलबदल विधायकों के खिलाफ झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने स्पीकर के यहां शिकायत दर्ज कराई थी. साथ ही उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की थी. जून 2017 तक इस मामले में गवाही पूरी हुई और 12 दिसंबर 2018 को इस मामले की सुनवाई पूरी हुई थी और 20 फरवरी 2019 को स्पीकर दिनेश उरांव ने जेवीएम के विधायकों के बीजेपी में विलय को सही करार दिया था.