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आंगनबाड़ी सेविका को नहीं मिल रही सैलरी, आर्थिक तंगी से जूझ रहा परिवार

जिले की आंगनबाड़ी सेविकाओं को सही समय पर मानदेय नहीं मिलने से परेशान है. अपनी आर्थिक तंगी से जूझ रही सेविकाओं को मानदेय ऑफिस का चक्कर लगाना पड़ रहा.

आर्थिक तंगी से परेशान आंगनबाड़ी सेविकाएं
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Published : Feb 23, 2019, 1:18 PM IST

साहिबगंज: जिले में इन दिनों आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका का मानदेय 2017 से अबतक नियमित नहीं हुआ. जिसके कारण उन्हें आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ रहा. परिवार और बच्चों को पढ़ाने में लिए भी सेविकाएं सक्षम नहीं हो पा रही जिससे उन्हें अपने मानदेय के लिए ऑफिस का चक्कर लगाना पड़ रहा.

आंगनबाड़ी सेविकाओं का कहना है कि 2017, 2018 और 2019 का मानदेय नहीं मिलने से सभी परेशानी है. जि के कारण को परिवार को चलाना मुश्किल हो गया है. सेविकाओं का कहना है कि अगर मजदूरी करते तो रोज आमदनी मिलता. लेकिन मानदेय नहीं मिलने से उन्हें घुट-घूंट कर जिना पड़ रहा. यहां तक कि अपने बच्चों की इच्छा की पूर्ति भी नहीं कर पा रहे.

आर्थिक तंगी से परेशान आंगनबाड़ी सेविकाएं

सेविकाओं का कहना है कि सरकार के सभी योजनाओं में काम करना पड़ता है चाहे टीकाकरण हो, प्रसूति माता का समय समय पर टीकाकरण, सुकन्या योजना, मतदाता लिस्ट में सुधार समेत स्वास्थ्य और समाज कल्याण से जुड़ी योजनाओं का कार्य करना पड़ता है. लेकिन जब सैलरी की बारी आती है तो सरकार हाथ खड़ा कर देती है.

मामले को लेकर उपायुक्त ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है की आंगनबाड़ी सेविका का मानदेय और पोषाहार नहीं मिल रहा है. जिसके बाद समाजकल्याण को आदेश दिया गया कि दो चार दिन में इसका निदान किया जाएगा.

साहिबगंज: जिले में इन दिनों आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका का मानदेय 2017 से अबतक नियमित नहीं हुआ. जिसके कारण उन्हें आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ रहा. परिवार और बच्चों को पढ़ाने में लिए भी सेविकाएं सक्षम नहीं हो पा रही जिससे उन्हें अपने मानदेय के लिए ऑफिस का चक्कर लगाना पड़ रहा.

आंगनबाड़ी सेविकाओं का कहना है कि 2017, 2018 और 2019 का मानदेय नहीं मिलने से सभी परेशानी है. जि के कारण को परिवार को चलाना मुश्किल हो गया है. सेविकाओं का कहना है कि अगर मजदूरी करते तो रोज आमदनी मिलता. लेकिन मानदेय नहीं मिलने से उन्हें घुट-घूंट कर जिना पड़ रहा. यहां तक कि अपने बच्चों की इच्छा की पूर्ति भी नहीं कर पा रहे.

आर्थिक तंगी से परेशान आंगनबाड़ी सेविकाएं

सेविकाओं का कहना है कि सरकार के सभी योजनाओं में काम करना पड़ता है चाहे टीकाकरण हो, प्रसूति माता का समय समय पर टीकाकरण, सुकन्या योजना, मतदाता लिस्ट में सुधार समेत स्वास्थ्य और समाज कल्याण से जुड़ी योजनाओं का कार्य करना पड़ता है. लेकिन जब सैलरी की बारी आती है तो सरकार हाथ खड़ा कर देती है.

मामले को लेकर उपायुक्त ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है की आंगनबाड़ी सेविका का मानदेय और पोषाहार नहीं मिल रहा है. जिसके बाद समाजकल्याण को आदेश दिया गया कि दो चार दिन में इसका निदान किया जाएगा.

Intro:आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका को मानदेय नही मिलने से लगा रही है कार्यालय का चक्कर। आर्थिक तंगी से करा रही है।
स्टोरी-सहिबगंज-- जिले में इन दिनों आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका का मानदेय 2017 से आज तक नियमित नही मिलने से आर्थिक तंगी से गुजर रही है। परिवार और बच्चों को पढ़ाने में अब मुश्किल हो रही है। इसके लिए आफिस तो आफिस मानदेय को लेकर चक्कर लगा रही है।
आंगनबाड़ी सेविका लोगो का कहना है कि 2017,2018 और 2019 का मानदेय और बच्चों का पोषाहार नही मिलने से कभी परेशानी हो रही है। हमलोगों का परिवार चलना मुश्किल हो गया है ऐसी लगता है मजदूरी कही करते तो तो रोज आमदनी होता लेकिन मानदेय नही मिलने से घुट घूंट कर जी रहे है अपने बच्चों का इच्छा की पूर्ति नही कर पाते है।
सेविका का कहना है कि सरकार के सभी योजनाओं में हमे काम करना पड़ता है चाहे टीकाकरण ,प्रसूति माता का समय समय पर टीकाकरण,सुकन्या योजना,मतदाता लिस्ट में सुधार अन्य स्वास्थ्य और समाज कल्याण से जुड़ी योजनाओ खज़ शतप्रतिशत काम करते है लेकिन जब बारी आती है सैलेरी का तो सरकार हाथ खड़ा कर देती है।
सेविका का कहना है कि 2017 से आज तक आंगनबाड़ी में आने वाले बच्चों का पोषाहार बन्द हो चुका है आता भी तो एक से दो महीना का और फिर बैंड हो जाता है इसे बच्चों का आना भी कम हो गया है।
बाइट-रेशमा देवी-सेविका
बाइट-शुष्मा देवी
बाइट-कलावती कुमारी
उपायुक्त ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है की आंगनबाड़ी सेविका का मानदेय और पोषाहार नही मिल रहा है। समाजकल्याण को आदेश दिया गया कि दो चार दिन में ऐसे निदान किया जाय। आशा है बहुत जल्द एक समाधान हो जाएगा।
बाइट-संदीप सिंह,डीसी,सहिबगंज


Body:आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका को मानदेय नही मिलने से लगा रही है कार्यालय का चक्कर। आर्थिक तंगी से करा रही है।
स्टोरी-सहिबगंज-- जिले में इन दिनों आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका का मानदेय 2017 से आज तक नियमित नही मिलने से आर्थिक तंगी से गुजर रही है। परिवार और बच्चों को पढ़ाने में अब मुश्किल हो रही है। इसके लिए आफिस तो आफिस मानदेय को लेकर चक्कर लगा रही है।
आंगनबाड़ी सेविका लोगो का कहना है कि 2017,2018 और 2019 का मानदेय और बच्चों का पोषाहार नही मिलने से कभी परेशानी हो रही है। हमलोगों का परिवार चलना मुश्किल हो गया है ऐसी लगता है मजदूरी कही करते तो तो रोज आमदनी होता लेकिन मानदेय नही मिलने से घुट घूंट कर जी रहे है अपने बच्चों का इच्छा की पूर्ति नही कर पाते है।
सेविका का कहना है कि सरकार के सभी योजनाओं में हमे काम करना पड़ता है चाहे टीकाकरण ,प्रसूति माता का समय समय पर टीकाकरण,सुकन्या योजना,मतदाता लिस्ट में सुधार अन्य स्वास्थ्य और समाज कल्याण से जुड़ी योजनाओ खज़ शतप्रतिशत काम करते है लेकिन जब बारी आती है सैलेरी का तो सरकार हाथ खड़ा कर देती है।
सेविका का कहना है कि 2017 से आज तक आंगनबाड़ी में आने वाले बच्चों का पोषाहार बन्द हो चुका है आता भी तो एक से दो महीना का और फिर बैंड हो जाता है इसे बच्चों का आना भी कम हो गया है।
बाइट-रेशमा देवी-सेविका
बाइट-शुष्मा देवी
बाइट-कलावती कुमारी
उपायुक्त ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है की आंगनबाड़ी सेविका का मानदेय और पोषाहार नही मिल रहा है। समाजकल्याण को आदेश दिया गया कि दो चार दिन में ऐसे निदान किया जाय। आशा है बहुत जल्द एक समाधान हो जाएगा।
बाइट-संदीप सिंह,डीसी,सहिबगंज


Conclusion:द्घण्ड़फहीकेट
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