रांची: देशभर में चुनावी बिगुल बजने के साथ ही आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. पिछले लोकसभा चुनाव में परिवारवाद बड़ा मुद्दा था. हालांकि इस बार उस विषय अब तक कोई पार्टी मुखर नहीं है. इसकी बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि ज्यादातर राजनीतिक दल परिवारवाद का संक्रमण झेल रहे हैं.
राजनीतिक दलों में शुरुआत अगर कांग्रेस से करें तो पार्टी विधायक इरफान अंसारी कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व सांसद फुरकान अंसारी के पुत्र हैं. 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर जीतकर इरफान पहली बार जामताड़ा से विधायक बनें. जबकि फुरकान अंसारी इस बार भी गोड्डा पार्लियामेंट्री सीट से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं.
कांग्रेस में परिवारवाद की लंबी लिस्ट
वहीं, वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह के बेटे गौरव सिंह राज्य में यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. जबकि गौरव के बड़े भाई अनूप सिंह इससे पहले यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष थे. इसके अलावा पूर्व जेपीसीसी प्रेसिडेंट और राज्यसभा के मेंबर प्रदीप कुमार बाल्मीकि की बेटी भी सक्रिय है. धनबाद के पूर्व सांसद चंद्रशेखर उर्फ ददई दुबे के बेटे अजय दुबे भी कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़ चुके हैं. ददई इस बार भी धनबाद से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. पूर्व विधायक गीताश्री उरांव और उनके पति अरुण उरांव कांग्रेस में हैं. गीताश्री जहां विधायक रह चुकी हैं वहीं, उनके पति और पूर्व आईपीएस अधिकारी भी लोकसभा चुनाव लड़ने की रेस में हैं.
BJP में परिवारवाद
अब अगर बात सत्ताधारी बीजेपी की करें तो पूर्व केंद्रीय मंत्री और हजारीबाग के पूर्व सांसद यशवंत सिन्हा की राजनीतिक जमीन पर उनके बेटे और केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा खड़े हैं. जयंत सिन्हा इस बार भी लोकसभा के लिए हजारीबाग से उम्मीदवार हो सकते हैं. रांची के सांसद रामटहल चौधरी के बेटे भी बीजेपी में काफी सक्रिय हैं. इसके अलावा राज्य की समाज कल्याण मंत्री लुईस मरांडी के बेटे मार्टिन किस्कू भी युवा मोर्चा में बड़े पद पर हैं.
JMM में परिवारवाद
प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा की बात करें तो पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन दुमका से सांसद हैं. उनके बेटे हेमंत सोरेन झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं और बरहेट विधानसभा से विधायक हैं. जबकि उनकी पुत्रवधू सीता सोरेन जामा विधानसभा से विधायक हैं. सोरेन के दिवंगत पुत्र दुर्गा सोरेन जामा विधानसभा से विधायक रह चुके हैं और उनके तीसरे बेटे बसंत सोरेन भी पार्टी में बड़े पद पर हैं. इतना ही नहीं उनकी बेटी अंजली के भी इस बार लोकसभा में एंट्री के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.
क्या कहते हैं राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि
परिवारवाद पर भले ही राजनीतिक दल एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते हैं. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव कहते हैं कि दूसरे दलों में पार्टी का मुखिया कौन होगा यह सब लोग जानते हैं. लेकिन बीजेपी में यह कहना संभव नहीं है. झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए शाहदेव ने कहा कि कांग्रेस की बागडोर किसके हाथ में जाएगी और झामुमो की बागडोर कौन संभालेगा यह पहले से क्लियर है, लेकिन बीजेपी में ऐसा नहीं होता, यहां नीचे से कार्यकर्ता ऊपर उठाए जाते हैं.
JMM ने परिवारवाद के मुद्दे को किया खारिज
वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि इस तरह की बातें बेबुनियाद है. अब अगर किसी विधायक और मंत्री का बेटा विधायक बनना चाहे तो इसमें क्या गलत है? अगर योग्यता होगी तो वह उस जगह तक जाएगा. उन्होंने कहा कि हर बच्चे का रोल मॉडल उसका पिता होता है इसलिए इस तरह की बातें बेबुनियाद हैं.