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Water Crisis in Bokaro: पेयजल संकट से जूझ रहे बोकारो के ग्रामीण, तीन किलोमीटर दूर से लाना पड़ रहा पीने का पानी - झारखंड न्यूज

बोकारो के करहरिया पंचायत के ग्रामीणों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है. रोज तीन किलोमीटर दूर से पीने का पानी लाना पड़ रहा है. लोगों की गुहार के बाद भी कोई इनकी समस्या सुनने को तैयार नहीं है.

Water Crisis in Bokaro
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Published : Apr 15, 2023, 9:32 AM IST

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बोकारो: गर्मी के दस्तक देते ही पेयजल संकट सामने आने लगा है. जिले के करहरिया पंचायत में गांव वालों को पानी की समस्या से हर दिन सामना हो रहा है. गांव वाले रोज तीन किलोमीटर दूर से पीने का पानी ढोकर लाते हैं. इसी से वे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी और घर चलाने को मजबूर हैं. मुखिया समेत अन्य गांव वालों ने जनप्रतिनिधियों से इस समस्या से निजात दिलाने की गुहार लगाई है, लेकिन अभी तक ग्रामीणों को इस समस्या से छुटकारा नहीं मिल पाया है.

यह भी पढ़ें: Jharkhand News: बोकारो के स्कूल में जयश्री राम बोलने पर प्रिंसिपल भड़के, पूरी कक्षा को दो दिनों के लिए किया सस्पेंड

पंचायत के लोगों कहना है कि विधायक मद से गांव में एक बोरिंग किया गया है, जिसमे 2 घंटे पानी मिलता है. गांव के लोग दो बाल्टी पानी के लिए रात के तीन बजे से ही इसके लिए लाइन में लग जाते हैं. पानी बंद होने की स्थिति में कई लोग बिना पानी लिए ही वापस घर लौट जाते हैं. डीप बोरिंग भी इस समस्या के समाधान के लिए काफी नहीं है.

नहाने और कपड़ा धोने के लिए तालाब का सहारा: पीने के पानी का जुगाड़ जैसे-तैसे तो चल जाता है, लेकिन नहाने और कपड़ा साफ करने के लिए और भी मशक्कत करनी पड़ती है. इसके लिए सभी को गांव के तालाब के सहारे रहना पड़ता है. गांव के अधिकतर लोग कपड़ा धोने और नहाने के लिए गांव के तालाब पर निर्भर हैं. गांव में एक कुआं है, लेकिन उसका पानी खारा है, इसके पानी का इस्तेमाल खाने पीने के लिए नहीं होता है. गर्मी का मौसम आते ही चापाकल का जलस्तर नीचे चला जाता है, इसके कारण चापाकल बेकार हो जाते हैं.

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बोकारो: गर्मी के दस्तक देते ही पेयजल संकट सामने आने लगा है. जिले के करहरिया पंचायत में गांव वालों को पानी की समस्या से हर दिन सामना हो रहा है. गांव वाले रोज तीन किलोमीटर दूर से पीने का पानी ढोकर लाते हैं. इसी से वे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी और घर चलाने को मजबूर हैं. मुखिया समेत अन्य गांव वालों ने जनप्रतिनिधियों से इस समस्या से निजात दिलाने की गुहार लगाई है, लेकिन अभी तक ग्रामीणों को इस समस्या से छुटकारा नहीं मिल पाया है.

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पंचायत के लोगों कहना है कि विधायक मद से गांव में एक बोरिंग किया गया है, जिसमे 2 घंटे पानी मिलता है. गांव के लोग दो बाल्टी पानी के लिए रात के तीन बजे से ही इसके लिए लाइन में लग जाते हैं. पानी बंद होने की स्थिति में कई लोग बिना पानी लिए ही वापस घर लौट जाते हैं. डीप बोरिंग भी इस समस्या के समाधान के लिए काफी नहीं है.

नहाने और कपड़ा धोने के लिए तालाब का सहारा: पीने के पानी का जुगाड़ जैसे-तैसे तो चल जाता है, लेकिन नहाने और कपड़ा साफ करने के लिए और भी मशक्कत करनी पड़ती है. इसके लिए सभी को गांव के तालाब के सहारे रहना पड़ता है. गांव के अधिकतर लोग कपड़ा धोने और नहाने के लिए गांव के तालाब पर निर्भर हैं. गांव में एक कुआं है, लेकिन उसका पानी खारा है, इसके पानी का इस्तेमाल खाने पीने के लिए नहीं होता है. गर्मी का मौसम आते ही चापाकल का जलस्तर नीचे चला जाता है, इसके कारण चापाकल बेकार हो जाते हैं.

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