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राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता मुखिया हुए अधिकारियों के उदासीनता का शिकार, पीएम मोदी से नहीं हो सकी बातचीत

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Published : Apr 26, 2020, 2:10 PM IST

Updated : Apr 26, 2020, 9:02 PM IST

इस स्वार्थी दुनिया में लोग सिर्फ अपना पॉकेट भरने में लगे रहते हैं. चाहे रास्ता कोई भी हो, लेकिन बोकारो के बुंडू पंचायत में एक ऐसे शिक्षक हैं, जिन्होंने समाज के कल्याण के लिए अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर कई मिसाल पेश की है. जिसके लिए उन्हें कई अवार्ड भी मिल चुके हैं.

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता यह मुखिया चलाते हैं अनोखा कोचिंग
National Award winning head Ajay Singh runs unique coaching

बोकारो: जिले के बुंडू पंचायत के मुखिया अजय सिंह का चाइल्ड फ्रेंडली अवार्ड 2020 के लिए चयन हुआ है. अजय सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करने वाले थे, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता की वजह से वह प्रधानमंत्री से बात करने से वंचित रह गए.

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता से खास बातचीत

मिले हैं कई राष्टीय पुरस्कार

बुंडू पंचायत को स्मार्ट पंचायत का भी अवार्ड मिल चुका है, जिसमें पंचायत को मिलने वाली पुरस्कार राशि 1 करोड़ है, लेकिन पंचायत ने जो राशि जीती थी उस राशि को अभी तक उन्हें नहीं दिया गया है. अजय कुमार सिंह का यह दूसरा राष्ट्रीय पुरस्कार है. इससे पहले उन्हें पंचायत सशक्तिकरण कैटेगरी में राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है, साथ ही उन्हें मुख्यमंत्री स्मार्ट ग्राम पुरस्कार, जिसकी राशि एक करोड़ है, साथ ही जिला स्तर पर कई बार अलग-अलग कैटेगरी में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है.

ये भी पढ़ें-झारखंड में 66 हुई कोरोना मरीजों की संख्या, 3 लोगों की मौत, 5 हुए स्वस्थ

अनोखे कोचिंग सेंटर के लिए प्रसिद्ध

इस बार उन्हें चाइल्ड केयर में पुरस्कार दिया गया है. इस पुरस्कार में बच्चों की अच्छी पढ़ाई, स्कूलों से ड्रॉप आउट रोकने, बाल विवाह रोकने, आंगनबाड़ी केंद्रों की अच्छे से संचालन कराने, बच्चों को समय पर टीका दिलवाने, उनके पोषण आहार का ध्यान रखने जैसे प्रमुख बिंदु हैं. बता दें कि वह अपने अनोखे कोचिंग सेंटर के लिए भी जाने जाते हैं.

बिना फीस लिए चलाई जा रही है कोचिंग

अजय सिंह एक ऐसे कोचिंग सेंटर का संचालन करते हैं, जिसमें दसवीं फेल हुए बच्चों को भी पढ़ाया जाता है और उन्हें मैट्रिक पास कराया जाता है. यह कोचिंग सेंट्रल स्कूल के प्रिंसिपल, दूसरे नामी स्कूल के शिक्षकों की मदद से चलाई जाती हैं. परीक्षा से 3 महीने पहले चलने वाले इस कोचिंग सेंटर में ना फीस लिया जाता है और ना ही शिक्षकों को पढ़ाने के बदले कोई मेहनताना दिया जाता है.

ये भी पढें-प्रवासी मजदूरों की मदद को बढ़ते हाथ, रेलवे गुड्स ट्रक ऑनर एसोसिएशन ने मुहैया कराया भोजन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात नहीं होने से है दुख

पंचायत भवन में चलने वाले इस कोचिंग सेंटर में पिछले साल 155 छात्र थे, जिनमें से 148 छात्र पास हुए थे. इनमें से 50 से ज्यादा वो छात्र थे जो पिछली परीक्षा में फेल हो गए थे और अवसाद ने उन्हें घेर लिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात नहीं होने से अजय सिंह को मलाल है और उन्हें उम्मीद है कि जब देश स्तर पर बोकारो का एक पंचायत शानदार काम कर रहा है. ऐसे में उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए अगली बार अधिकारी जरूर चौकस रहेंगे.

बोकारो: जिले के बुंडू पंचायत के मुखिया अजय सिंह का चाइल्ड फ्रेंडली अवार्ड 2020 के लिए चयन हुआ है. अजय सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करने वाले थे, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता की वजह से वह प्रधानमंत्री से बात करने से वंचित रह गए.

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता से खास बातचीत

मिले हैं कई राष्टीय पुरस्कार

बुंडू पंचायत को स्मार्ट पंचायत का भी अवार्ड मिल चुका है, जिसमें पंचायत को मिलने वाली पुरस्कार राशि 1 करोड़ है, लेकिन पंचायत ने जो राशि जीती थी उस राशि को अभी तक उन्हें नहीं दिया गया है. अजय कुमार सिंह का यह दूसरा राष्ट्रीय पुरस्कार है. इससे पहले उन्हें पंचायत सशक्तिकरण कैटेगरी में राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है, साथ ही उन्हें मुख्यमंत्री स्मार्ट ग्राम पुरस्कार, जिसकी राशि एक करोड़ है, साथ ही जिला स्तर पर कई बार अलग-अलग कैटेगरी में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है.

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अनोखे कोचिंग सेंटर के लिए प्रसिद्ध

इस बार उन्हें चाइल्ड केयर में पुरस्कार दिया गया है. इस पुरस्कार में बच्चों की अच्छी पढ़ाई, स्कूलों से ड्रॉप आउट रोकने, बाल विवाह रोकने, आंगनबाड़ी केंद्रों की अच्छे से संचालन कराने, बच्चों को समय पर टीका दिलवाने, उनके पोषण आहार का ध्यान रखने जैसे प्रमुख बिंदु हैं. बता दें कि वह अपने अनोखे कोचिंग सेंटर के लिए भी जाने जाते हैं.

बिना फीस लिए चलाई जा रही है कोचिंग

अजय सिंह एक ऐसे कोचिंग सेंटर का संचालन करते हैं, जिसमें दसवीं फेल हुए बच्चों को भी पढ़ाया जाता है और उन्हें मैट्रिक पास कराया जाता है. यह कोचिंग सेंट्रल स्कूल के प्रिंसिपल, दूसरे नामी स्कूल के शिक्षकों की मदद से चलाई जाती हैं. परीक्षा से 3 महीने पहले चलने वाले इस कोचिंग सेंटर में ना फीस लिया जाता है और ना ही शिक्षकों को पढ़ाने के बदले कोई मेहनताना दिया जाता है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात नहीं होने से है दुख

पंचायत भवन में चलने वाले इस कोचिंग सेंटर में पिछले साल 155 छात्र थे, जिनमें से 148 छात्र पास हुए थे. इनमें से 50 से ज्यादा वो छात्र थे जो पिछली परीक्षा में फेल हो गए थे और अवसाद ने उन्हें घेर लिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात नहीं होने से अजय सिंह को मलाल है और उन्हें उम्मीद है कि जब देश स्तर पर बोकारो का एक पंचायत शानदार काम कर रहा है. ऐसे में उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए अगली बार अधिकारी जरूर चौकस रहेंगे.

Last Updated : Apr 26, 2020, 9:02 PM IST
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