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बेहद काम का है महुआ, औषधीय गुणों से भरपूर इस फल के ये हैं फायदे

वन संपदा से भरपूर झारखंड महुआ के सबसे ज्यादा उपज के लिए भी जाना जाता है. महुआ अपने आप में काफी अद्भुत फल है. फल के साथ-साथ महुआ के फूल, बीज और पेड़ की छाल भी काफी गुणकारी हैं.

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Published : Jun 14, 2019, 5:44 PM IST

महुआ के बीज निकालती महिला

बोकारो: झारखंड की वन संपदा का एक बहुत बड़ा हिस्सा महुआ का है. महुआ अपने आप में काफी अद्भुत है. यह लोगों को झूमाने के लिए बदनाम जरूर है लेकिन इसके कई ऐसे पहलू भी हैं जिनके फायदे बेशुमार हैं.

देखें पूरी खबर

फल के साथ-साथ महुआ के फूल, बीज और पेड़ की छाल भी काफी गुणकारी हैं. राज्य के पर्व-त्योहार में अहम हिस्सा निभाने वाला महुआ, ग्रामीण मेवा के नाम से भी जाना जाता है. महुआ के बीज से निकलने वाला तेल जिसे कोअरी कहा जाता है, इसका प्रयोग ग्रामीण खानपान में भी करते है.


कैसे बनता है तेल ?
मई-जून के महीने में फलने वाले इस फल का तेल निकालने की एक लंबी प्रक्रिया है. फल को कूच कर महिलाएं महुआ के बीज निकालकर उसे पहले सुखाती हैं. फिर बीज के सूखने के बाद कोल्हू या मशीन की मदद से इससे तेल निकाला जाता है.


तेल के हैं कई फायदे
खानपान के अलावा महुआ के तेल का उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है. ग्रामीणों के अनुसार पेट दर्द और पैर हाथ में जलन ठीक करने में यह तेल कारगर है. वहीं, डॉक्टरों का कहना है इसमें कोलेस्ट्रॉल बेहद कम होता है. इसके उपयोग से पेट संबंधी बीमारी भी नहीं होती है. यह तेल दिया जलाने के भी काम आता है. कड़ी मेहनत से तैयार किए गए इस तेल को बाजार में बेचने से अच्छी आमदनी होती है.


सुनियोजन की है आवश्यकता
झारखंड के जंगलों में महुआ के पेड़ भारी संख्या में हैं. इसकी उपज की मात्रा तो काफी है पर इसका उपयोग नाम मात्र ही है. वहीं, ग्रामीण भी इस वन उपज का उपयोग मुश्किल से 30 से 40% ही कर पाते हैं और बाकी के फल बर्बाद हो जाते हैं. जरूरत है इस औषधीय फल को सुनियोजित तरीके से इकट्ठा कर इससे तेल निकालने की. इससे स्थानीय लोगों को आर्थिक फायदा भी होगा और आम लोगों को भी इस अद्भुत औषधीय तेल का फायदा मिल सकेगा.

बोकारो: झारखंड की वन संपदा का एक बहुत बड़ा हिस्सा महुआ का है. महुआ अपने आप में काफी अद्भुत है. यह लोगों को झूमाने के लिए बदनाम जरूर है लेकिन इसके कई ऐसे पहलू भी हैं जिनके फायदे बेशुमार हैं.

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फल के साथ-साथ महुआ के फूल, बीज और पेड़ की छाल भी काफी गुणकारी हैं. राज्य के पर्व-त्योहार में अहम हिस्सा निभाने वाला महुआ, ग्रामीण मेवा के नाम से भी जाना जाता है. महुआ के बीज से निकलने वाला तेल जिसे कोअरी कहा जाता है, इसका प्रयोग ग्रामीण खानपान में भी करते है.


कैसे बनता है तेल ?
मई-जून के महीने में फलने वाले इस फल का तेल निकालने की एक लंबी प्रक्रिया है. फल को कूच कर महिलाएं महुआ के बीज निकालकर उसे पहले सुखाती हैं. फिर बीज के सूखने के बाद कोल्हू या मशीन की मदद से इससे तेल निकाला जाता है.


तेल के हैं कई फायदे
खानपान के अलावा महुआ के तेल का उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है. ग्रामीणों के अनुसार पेट दर्द और पैर हाथ में जलन ठीक करने में यह तेल कारगर है. वहीं, डॉक्टरों का कहना है इसमें कोलेस्ट्रॉल बेहद कम होता है. इसके उपयोग से पेट संबंधी बीमारी भी नहीं होती है. यह तेल दिया जलाने के भी काम आता है. कड़ी मेहनत से तैयार किए गए इस तेल को बाजार में बेचने से अच्छी आमदनी होती है.


सुनियोजन की है आवश्यकता
झारखंड के जंगलों में महुआ के पेड़ भारी संख्या में हैं. इसकी उपज की मात्रा तो काफी है पर इसका उपयोग नाम मात्र ही है. वहीं, ग्रामीण भी इस वन उपज का उपयोग मुश्किल से 30 से 40% ही कर पाते हैं और बाकी के फल बर्बाद हो जाते हैं. जरूरत है इस औषधीय फल को सुनियोजित तरीके से इकट्ठा कर इससे तेल निकालने की. इससे स्थानीय लोगों को आर्थिक फायदा भी होगा और आम लोगों को भी इस अद्भुत औषधीय तेल का फायदा मिल सकेगा.

Intro:झारखंड में वन संपदा का एक बहुत बड़ा हिस्सा है। यहां प्रकृति ने दिल खोलकर नेमतें दी है। उन नेमतों में से महुआ एक अद्भुत नेमत है। लोगों को झूमाने के लिए बदनाम महुआ के कई दूसरे पहलू भी हैं। महुआ को ग्रामीण मेवा भी कहा जाता है। इसके बीज के क्या कहने। महुआ के बीज से जो तेल निकलता है उसे टोरी का तेल या कोअरी का तेल कहा जाता है। यह तेल एक अद्भुत तेल है।
कैसे बनता है इससे तेल ?
झारखंड के बोकारो के घने जंगलों में रहने वाले लोग महुआ के तेल का प्रयोग खाने में करते हैं। यहां मई माह के बाद जब महुआ का फूल झड़ जाता है उसके बाद इसका फल तैयार होता है।फिर इस फल को महिलाएं बांस जिसे स्थानीय भाषा में लग्गीकहा जाता है के सहारे तोड़ती हैं। इसके बाद शुरू होता है तेल निकालने की एक लंबी प्रक्रिया। इस हरे फल को पत्थर से कुच कर इसके अंदर से बीज निकाला जाता है। फिर बीज को सुखा कर बड़े पत्थर के सहारे दर कर उसका छिलका निकाल उसे सुखाया जाता फिर उससे कोल्हू या मशीनों से तेल निकाला जाता है।


Body:एक तेल कई काम
महुआ का तेल जहां खाने के काम आता है। इससे सब्जी-भाजी पकाई जाती है।कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं। साथ ही इसका उपयोग औषधीय के रूप में भी किया जाता है। गांव की महिलाएं बताती है की पेट दर्द और पैर हाथ में जलन मैं यह तेल रामबाण की तरह काम करता है। वहीं डॉक्टरों का कहना है इसमें कोलेस्ट्रॉल नाम मात्र का होता है। उपयोग से पेट संबंधी बीमारी भी नहीं होती है। इसके साथ ही यह तेल दिए जलाने के काम आता है। कड़ी मेहनत से बनाए इस तेल को बाजार में बेचकर से अच्छी आमदनी भी महिलाएं करती है


Conclusion:झारखंड जहां वन उपज की भरमार है। खासकर जंगलों में महुआ के पेड़ भारी संख्या में ह। ऐसे में यहां के लोग इस वन उपज का बमुश्किल 30 से 40% ही उपयोग कर पाते है। बाकी के फल बर्बाद हो जाते हैं।जरूरत है इस औषधीय फल को सुनियोजित तरीके से इकट्ठा कर इससे तेल निकालने की। इससे स्थानीय लोगों को आर्थिक फायदा भी होगा तो लोग इस अद्भुत औषधीय तेल से फायदे भी ले सकेंगे
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ग्रामीण
डॉ आशीष, मुस्कान हॉस्पिटल बोकारो
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