हजारीबाग: जिला को प्रकृति ने अपने हाथों से सजाया है. इसके कोने कोने में सुंदरता बस्ती है. घने जंगल और नदियों के आंचल में बसा हजारीबाग अंग्रेजों को भी आकर्षित करता था. अब भी कई ऐसे मनोरम दृश्य हैं जो आम जनता से कोसों दूर हैं. आज आपको ईटीवी भारत हजारीबाग की लारा नदी दिखाने जा रहा है. इसकी सुंदरता को देखकर आप भी रोमांचित हो जाएंगे.
हजारीबाग जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर चूरचू रोड स्थित लारा नदी आकर्षण का केंद्र बिंदु बनती जा रही है. संत कोलंबस कॉलेज से चूरचू जाने वाले रास्ते के बीचों-बीच यह घने जंगल के बीच बेहद आकर्षक पिकनिक स्पॉट के रूप में आज देखा जा रहा है. कुछ वर्ष पहले तक यह लोगों की आंखों से दूर था.
दरअसल यह इलाका कभी घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना जाता था. जहां नक्सलियों की जन अदालत भी लगा करती थी. दिन में भी लोग इस इलाके से गुजरने से परहेज करते थे. पुलिस की कड़ी पहरेदारी हुआ करती थी. धीरे-धीरे इस समस्या का समाधान हुआ और बेहद सुंदर आकर्षक स्पॉट आम जनता के आंखों के सामने आया.
लारा नदी घने जंगल और उबड़-खाबड़ पत्थरों के बीच से गुजरती है. अपनी मनमोहक छटा के लिए यह जानी जाती है. यहां आ कर बूढ़े, जवान और बच्चे सभी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं. यहां का नजारा एक बार जिसने देख लिया, फिर वह उसे भूल नहीं पाता. यहां सूर्योदय की किरण से लेकर सूर्यास्त तक का नजारा अद्भुत लगता है.
सालों भर लोग समय बिताने के लिए पहुंचते हैं. 10 दिसंबर से लेकर 1 महीने तक परिवार वाले पिकनिक मनाने के लिए पहुंचते हैं. जंगल के बीच में ही परिवार के लोग खाना बनाते हैं और प्राकृतिक सुंदरता का लुत्फ उठाते हैं. कल कल बहती लारा नदी की धारा और सफेद चट्टान इसके आकर्षण का केंद्र बिंदु है. बरसात के समय सफेद चट्टान पानी में समा जाते हैं. जैसे ही बरसात समाप्त होता है वैसे ही दूधिया चट्टान दिखने लगता है. यही आकर्षण का केंद्र बिंदु है. पुल के दोनों ओर प्राकृतिक सुंदरता लोगों को अपनी ओर खींचती है.
ये भी पढ़ें:
कवि रवींद्रनाथ टैगोर और वैज्ञानिक जेसी बोस को भी रहा था लगाव, उसरी जलप्रपात पर सैलानियों की उमड़ रही भीड़, पुलिस भी अलर्ट