मुंबई : संजय लीला भंसाली ने करीब 20 साल पहले देवदास जैसी शानदार फिल्म बनाई थी, जो आज भी इंडियन सिनेमा की सबसे आइकॉनिक फिल्मों में से एक मानी जाती है. शाहरुख खान, ऐश्वर्या राय और माधुरी दीक्षित की जबरदस्त एक्टिंग और भंसाली के ग्रैंड विज़न ने इसे हमेशा के लिए खास बना दिया. तब से लेकर अब तक ये फिल्म उतनी ही पसंद की जाती है, जितनी अपनी रिलीज़ के वक्त थी. अब देवदास के नाम एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है. ये फिल्म लॉस एंजेलेस के एकेडमी म्यूज़ियम ऑफ मोशन पिक्चर्स में 8 मार्च से 20 अप्रैल तक दिखाई जाएगी. इमोशन इन कलर: ए कालीडोस्कोप ऑफ इंडिया प्रोग्राम के तहत इसे स्क्रीन किया जाएगा, जिससे इंडियन सिनेमा की भव्यता और कलाकारी को फिर से ग्लोबल स्टेज पर पहचान मिलेगी.
इमोशन इन कलर: ए कालीडोस्कोप ऑफ इंडिया सीरीज, जो एकेडमी म्यूज़ियम ऑफ मोशन पिक्चर्स में होने वाली है, भारतीय सिनेमा में रंगों की अहमियत और उसकी सांस्कृतिक छाप को दिखाने का एक खास मौका है. इस प्रोग्राम के लिए चुनी गई 12 भारतीय फिल्मों में देवदास भी शामिल है, जो फिर से साबित करता है कि ये फिल्म सिर्फ हमारे यहां नहीं, बल्कि दुनियाभर में एक सिनेमाई गहना मानी जाती है. 20 साल से भी ज्यादा हो गए, लेकिन देवदास का जादू आज भी कायम है और नई पीढ़ी के लोग भी इसे उतना ही पसंद कर रहे हैं.
संजय लीला भंसाली की फिल्में हमेशा किसी भव्य सपने जैसी लगती हैं, जबरदस्त विज़ुअल्स, गहरी फीलिंग्स और दमदार कहानियों से भरपूर. उनकी फिल्मों का जो रॉयल अंदाज़ और अलग सा जादू है, वही उन्हें सबसे खास बनाता है. भंसाली ने एक से बढ़कर एक क्लासिक फिल्में दी हैं, जो कभी भुलाई नहीं जा सकतीं. देवदास भी उन्हीं में से एक है, जो उनकी सबसे आइकॉनिक फिल्मों में गिनी जाती है. सालों बाद भी ये फिल्म उतनी ही शानदार लगती है और आगे भी पीढ़ियों तक लोगों को अपना दीवाना बनाती रहेगी.
साल 2002 में आई संजय लीला भंसाली की देवदास किसी फिल्म से बढ़कर एक एहसास बन गई थी. शाहरुख खान ने दर्द से भरे देवदास को ऐसा जिया कि वो किरदार लोगों के दिल में बस गया. ऐश्वर्या राय पारो के रोल में बिल्कुल सपने जैसी लगीं और माधुरी दीक्षित की चंद्रमुखी ने हर सीन में जान डाल दी. फिल्म अपने भव्य सेट्स, दिल को छू लेने वाले गानों और ज़बरदस्त एक्टिंग के लिए खूब चर्चा में रही. डोला रे डोला जैसा गाना हो या भंसाली की शानदार स्टोरीटेलिंग, देवदास सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि बॉलीवुड की सबसे यादगार कहानियों में से एक बन गई. अधूरी मोहब्बत और राजसी ठाठ-बाट से भरी इस कहानी को आज भी लोग उतने ही दिल से देखते हैं, जितना पहली बार देखा था.
इन 12 भारतीय फिल्मों की होगी स्क्रीनिंग
शुक्रवार, 7 मार्च - मदर इंडिया (हिन्दी, 1957) - निर्देशक मेहबूब खान
सोमवार, 10 मार्च - मंथन (हिन्दी, 1976) - श्याम बेनेगल द्वारा निर्देशित
सोमवार, 10 मार्च - अमर अकबर एंथनी (हिन्दी, 1977) - मनमोहन देसाई द्वारा निर्देशित
मंगलवार, 11 मार्च - इशानौ (मणिपुरी, 1990) - अरिबम स्याम शर्मा द्वारा निर्देशित
शुक्रवार, 14 मार्च - कुम्मट्टी (मलयालम, 1979) - अरविंदन गोविंदन द्वारा निर्देशित
मंगलवार, 18 मार्च - मिर्च मसाला (हिन्दी, 1987) - केतन मेहता द्वारा निर्देशित
शनिवार, 22 मार्च - देवदास (हिन्दी, 2002) - संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित
गुरुवार, 20 मार्च- दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे (हिन्दी, 1995)-आदित्य चोपड़ा द्वारा निर्देशित
सोमवार, 31 मार्च - जोधा अकबर (हिन्दी, 2008) - आशुतोष गोवारिकर द्वारा निर्देशित
शनिवार, 5 अप्रैल - कंचनजंघा (बंगाली, 1962) - सत्यजीत रे द्वारा निर्देशित
मंगलवार, 8 अप्रैल - माया दर्पण (हिन्दी, 1972) - निर्देशक कुमार शाहनी
शनिवार, 19 अप्रैल - इरुवर (तमिल, 1997) मणिरत्नम द्वारा निर्देशित