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मानसून सत्र में उठा गवई बराज सिंचाई परियोजना में अनियमितता का मुद्दा, विधायक अमर बाउरी ने की जांच की मांग

बोकारो में भ्रष्टाचार और सरकारी योजना में अनियमितता का आलम ऐसा है कि करोड़ों की लागत से बना कैनाल हल्की बारिश में दरक गया. गवई बराज सिंचाई परियोजना का कैनाल टूट गया और जनता का 150 करोड़ रुपया पानी में बह गया. ये मामला मानसून सत्र के दौरान सदन में भी उठा.

Gawai Barrage irrigation project Canal broken in Bokaro
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Published : Aug 4, 2023, 11:59 AM IST

Updated : Aug 4, 2023, 4:34 PM IST

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बोकारोः जिले में हुए भ्रष्टाचार की गूंज शुक्रवार को झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र में भी सुनाई दी. चास चंदनकियारी प्रखंड के गवई बराज सिंचाई परियोजना में हुए भ्रष्टाचार के मुद्दे को चंदनकियारी से बीजेपी विधायक अमर बाउरी ने सदन में उठाया. उन्होंने कैनाल के टूटने और इसके निर्माण में बरती गयी अनियमितता की जांच की मांग की.

इसे भी पढ़ें- MGNREGA Scam in Simdega: मनरेगा में महाघोटाला, भ्रष्टाचारियों ने कल्वर्ट की बुनियाद ही कर दी गायब!

गवई बराज सिंचाई परियोजना के तहत किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाया जाना था. 6 साल से 150 करोड़ की इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए काम चल रहा था. लेकिन ये ड्रीम प्रोजेक्ट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयी. सावन की हल्की बारिश में ही कैनाल में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गयीं और कहीं कहीं तो ये पूरा टूटा गया है.

चास प्रखंड के पिंडराजोरा में गवई बराज से कैनाल के सहारे चास चंदनकियारी की खेतों में पूर्व से पानी पहुंचाया जा रहा था. लेकिन 6 वर्ष पूर्व इस योजना का जीर्णोद्धार करने का फैसला राज्य सरकार ने लिया था. पहले इस योजना की लागत सवा सौ करोड़ रुपये की थी. लेकिन अब इस योजना की लागत 150 करोड़ से अधिक की हो चुकी है. इस जीर्णोद्धार कार्य में मेन कैनाल और उसके ब्रांच कैनाल का जीर्णोद्धार और निर्माण कार्य किया जाना था. लेकिन घटिया निर्माण के कारण ब्रांच कैनाल पूरी तरह से दरार पड़ चुकी है. हल्की बारिश में ही चास प्रखंड के सिलफोर और डाबरबईहार गांव के बीच बना कैनाल पूरी तरह से टूट कर बह गया. जिस कारण कैनाल में भरा वर्षा का पानी खेतों में आ रहा है.

स्थानीय लोगों ने कैनाल के निर्माण कार्य में अनियमितता बरतने का आरोप लगाया है. ग्रामीणों का कहना है कि कैनाल के निर्माण में घटिया सीमेंट और बालू का इस्तेमाल किया गया और गुणवत्तापूर्ण कार्य भी नहीं किया गया है. इन अनियमितता के कारण यह आज यह स्थिति उत्पन्न हुई है. ग्रामीणों ने राज्य के मुख्यमंत्री से इस मामले की जांच कर कार्रवाई की मांग की है. उनका कहना है कि कैनाल बनने से उनके खेतों तक पानी पहुंचता इसके लिए उन्होंने अपनी जमीन तक दी. लेकिन इसके निर्माण में ऐसा भ्रष्टाचार हुआ कि ग्रामीणों को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा. उनका कहना है कि जब बरसात की हल्की बरसात के पानी से कैनाल बढ़ सकता है तो जब कैनाल में पानी छोड़ा जाएगा तो न जाने किस-किस जगह कैनाल बह जाएगा.

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बोकारोः जिले में हुए भ्रष्टाचार की गूंज शुक्रवार को झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र में भी सुनाई दी. चास चंदनकियारी प्रखंड के गवई बराज सिंचाई परियोजना में हुए भ्रष्टाचार के मुद्दे को चंदनकियारी से बीजेपी विधायक अमर बाउरी ने सदन में उठाया. उन्होंने कैनाल के टूटने और इसके निर्माण में बरती गयी अनियमितता की जांच की मांग की.

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गवई बराज सिंचाई परियोजना के तहत किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाया जाना था. 6 साल से 150 करोड़ की इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए काम चल रहा था. लेकिन ये ड्रीम प्रोजेक्ट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयी. सावन की हल्की बारिश में ही कैनाल में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गयीं और कहीं कहीं तो ये पूरा टूटा गया है.

चास प्रखंड के पिंडराजोरा में गवई बराज से कैनाल के सहारे चास चंदनकियारी की खेतों में पूर्व से पानी पहुंचाया जा रहा था. लेकिन 6 वर्ष पूर्व इस योजना का जीर्णोद्धार करने का फैसला राज्य सरकार ने लिया था. पहले इस योजना की लागत सवा सौ करोड़ रुपये की थी. लेकिन अब इस योजना की लागत 150 करोड़ से अधिक की हो चुकी है. इस जीर्णोद्धार कार्य में मेन कैनाल और उसके ब्रांच कैनाल का जीर्णोद्धार और निर्माण कार्य किया जाना था. लेकिन घटिया निर्माण के कारण ब्रांच कैनाल पूरी तरह से दरार पड़ चुकी है. हल्की बारिश में ही चास प्रखंड के सिलफोर और डाबरबईहार गांव के बीच बना कैनाल पूरी तरह से टूट कर बह गया. जिस कारण कैनाल में भरा वर्षा का पानी खेतों में आ रहा है.

स्थानीय लोगों ने कैनाल के निर्माण कार्य में अनियमितता बरतने का आरोप लगाया है. ग्रामीणों का कहना है कि कैनाल के निर्माण में घटिया सीमेंट और बालू का इस्तेमाल किया गया और गुणवत्तापूर्ण कार्य भी नहीं किया गया है. इन अनियमितता के कारण यह आज यह स्थिति उत्पन्न हुई है. ग्रामीणों ने राज्य के मुख्यमंत्री से इस मामले की जांच कर कार्रवाई की मांग की है. उनका कहना है कि कैनाल बनने से उनके खेतों तक पानी पहुंचता इसके लिए उन्होंने अपनी जमीन तक दी. लेकिन इसके निर्माण में ऐसा भ्रष्टाचार हुआ कि ग्रामीणों को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा. उनका कहना है कि जब बरसात की हल्की बरसात के पानी से कैनाल बढ़ सकता है तो जब कैनाल में पानी छोड़ा जाएगा तो न जाने किस-किस जगह कैनाल बह जाएगा.

Last Updated : Aug 4, 2023, 4:34 PM IST
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