बोकारो: राजनीति में कई चेहरे आएंगे और जाएंगे. लेकिन बुधवार का दिन बोकारो के लिए बेहद दुखद रहा. क्योंकि पूरे बोकारो ने बुधवार को एक युग का अंत होते हुए देखा. दरअसल बुधवार को अपने सरल व्यवहार और स्वभाव से चंदनकियारी की अवाम का 3 बार विधानसभा में प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्व विधायक हारू रजवार का निधन हो गया. अस्वस्थ होने के बाद पूर्व विधायक हारू रजवार को धनबाद के अशर्फी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली.
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3 बार विधायक रहे हारू रजवार
हारू रजवार झारखंड और बिहार की राजनीति का वह चेहरा थे, जिन्होंने झारखंड आंदोलन समेत कई आंदोलनों में अपनी बड़ी भूमिका निभाई थी. उनकी जन-जन में लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दिग्गज राजनेताओं के रहते हुए भी चंदनकियारी की आवाम ने अपने प्रिय नेता हारू रजवार को 3 बार विधायक बनाया. हारू रजवार ने भी पूरी उम्र जाति और धर्म से ऊपर रहकर अंतिम सांस तक चंदनकियारी की जनता के साथ-साथ बिहार और झारखंड की आम जनता की सेवा की.
बेहद गरीब परिवार से आते थे हारू रजवार
एक बेहद गरीब परिवार में जन्म लेने वाले हारू रजवार अपनी जीवटता और संघर्ष से राजनीति का ऐसा चमकता सितारा बने, जिसने विनोद बिहारी महतो, कॉमरेड एके राय और दिसोम गुरु शिबू सोरेन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर झारखंड आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी. हारू रजवार पहली बार 1980 में विधायक बने, फिर 2000 में चंदनकियारी की जनता ने अपनी बागडोर हारू रजवार को सौंपी थी. 2005 में वह तीसरी बार विधायक बने.
18 अगस्त 1923 को हुआ था उनका जन्म
आजादी के संघर्ष के दिनों में 18 अगस्त 1923 को चंदनकियारी के बरजोड़ टोला के झांक टाड में जन्म लेने वाले हारू रजवार ने चंदनकियारी में जिन कल्याणकारी योजनाओं को जमीन पर उतारा उसमें पिछड़े क्षेत्र चंदनकियारी में शिक्षा की अलख जगाना प्रमुख था. उग्रता की जगह सौम्यता सरलता को राजनीति का अमोघ अस्त्र बनाकर जिस सेवा भाव का हारू रजवार ने परिचय कराया उनका उनके घोर प्रतिद्वंदी भी कायल रहे.
नम आंखों से हुई हारू रजवार की विदाई
1980 में जब वे पहली बार विधायक बने थे, तब वह मासस में थे. 2000 और 2005 में झारखंड मुक्ति मोर्चा से चंदनकियारी क्षेत्र में उन्होंने जीत हासिल की थी. हालांकि कई बार उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा पर जनसेवक की जिम्मेदारी हमेशा वे एक विजेता की तरह निभाते रहे. हारू रजवार का इस तरह अचानक चले जाना चंदनकियारी और प्रदेश की राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति है. क्षेत्र की जनता ने उन्हें नम आखों से याद किया.