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Bokaro News: बोकारो में 200 वर्षों से बागति परिवार करता आ रहा मां मनसा की पूजा, सांप-बिच्छुओं के खतरों से मिलती है सुरक्षा - झारखंड न्यूज

बोकारो में धूमधाम से मां मनसा की पूजा की गई. मां की प्रतिमा स्थापित कर आराधना की जाती है. ऐसी मान्यता है कि लोगों की मन्नतें पूरी होती है.

Bokaro News
बोकारो में धूमधाम से मां मनसा की पूजा की गई
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Published : Aug 19, 2023, 12:06 PM IST

बोकारो: जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में बीते रात धूमधाम के साथ मनसा पूजा की गई. चास प्रखंड के सतनपुर गांव में बीते 200 वर्षों से मां मनसा की पूजा होती आ रही है. पीढ़ी दर पीढ़ी इस पूजा को बागति परिवार करता आ रहा हैं. पूजा से पूर्व सभी लोग नहा धोकर तालाब से पानी लाते हैं जिसे माता की प्रतिमा के पास स्थापित किया जाता है.

ये भी पढ़ें: मां मनसा की पूजा से दूर होता है सर्पदोष, सदियों से चली आ रही है यह परंपरा

मां मनसा है सर्पों की देवी: नदी से लाए गए पानी को मंदिर और प्रतिमा के पास लाकर स्थापित किया जाता है. उसके बाद पूजा शुरू होती है. पूजा होने के बाद देर रात में बलि दी जाती है. महिलाएं और पुरुष दिन भर उपवास रहते हैं. जो शाम के वक्त मंदिरों में पहुंचकर पूजा अर्चना करने का काम करते हैं. बरसों से पूजा करते आ रहे हैं हराधन भट्टाचार्य ने बताया कि मां मनसा सर्पों की देवी है. यहां नाग देवी की पूजा की जाती है. पूजा करने से लोगों की मन्नतें भी पूरी होती हैं.

पूजा को लेकर क्या है मान्यता: सर्पों की देवी मां मनसा की पूजा झारखंड के अधिकतर जिले की जाती है. यहां के लोगों के लिए यह प्रमुख त्योहारों में एक है. अमूमन प्रत्येक वर्ष 17 अगस्त को गांवों में जगह-जगह प्रतिमा स्थापित कर धूमधाम से मां मनसा की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि मां मनसा की पूजा-अर्चना से सांप-बिच्छुओं के खतरों से उन्हें सुरक्षा मिलती है. इसी कारण गांव के लोग मां मनसा की आराधना पूरे भक्तिभाव से करते हैं. पूजा की रात को बकरे और बत्तख की बलि देने की परंपरा है. अगले दिन पारण के मौके पर इसे प्रसाद के रूप में खाया जाता है.

बोकारो: जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में बीते रात धूमधाम के साथ मनसा पूजा की गई. चास प्रखंड के सतनपुर गांव में बीते 200 वर्षों से मां मनसा की पूजा होती आ रही है. पीढ़ी दर पीढ़ी इस पूजा को बागति परिवार करता आ रहा हैं. पूजा से पूर्व सभी लोग नहा धोकर तालाब से पानी लाते हैं जिसे माता की प्रतिमा के पास स्थापित किया जाता है.

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मां मनसा है सर्पों की देवी: नदी से लाए गए पानी को मंदिर और प्रतिमा के पास लाकर स्थापित किया जाता है. उसके बाद पूजा शुरू होती है. पूजा होने के बाद देर रात में बलि दी जाती है. महिलाएं और पुरुष दिन भर उपवास रहते हैं. जो शाम के वक्त मंदिरों में पहुंचकर पूजा अर्चना करने का काम करते हैं. बरसों से पूजा करते आ रहे हैं हराधन भट्टाचार्य ने बताया कि मां मनसा सर्पों की देवी है. यहां नाग देवी की पूजा की जाती है. पूजा करने से लोगों की मन्नतें भी पूरी होती हैं.

पूजा को लेकर क्या है मान्यता: सर्पों की देवी मां मनसा की पूजा झारखंड के अधिकतर जिले की जाती है. यहां के लोगों के लिए यह प्रमुख त्योहारों में एक है. अमूमन प्रत्येक वर्ष 17 अगस्त को गांवों में जगह-जगह प्रतिमा स्थापित कर धूमधाम से मां मनसा की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि मां मनसा की पूजा-अर्चना से सांप-बिच्छुओं के खतरों से उन्हें सुरक्षा मिलती है. इसी कारण गांव के लोग मां मनसा की आराधना पूरे भक्तिभाव से करते हैं. पूजा की रात को बकरे और बत्तख की बलि देने की परंपरा है. अगले दिन पारण के मौके पर इसे प्रसाद के रूप में खाया जाता है.

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