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रिटायर्ड पोस्ट मास्टर मुकुंद के जज्बे को सलाम, 70 साल की उम्र में खेती कर पेश की नजीर - बोकारो जिला कृषि विभाग

अगर इच्छा शक्ति हो तो उम्र आड़े नहीं आती है, यही काम कसमार के एक रिटायर्ड पोस्ट मास्टर ने करके दिखाया है. कसमार प्रखंड के गंगजोरी के रहने वाले 70 वर्षीय रिटायर पोस्ट मास्टर मुकुंद महतो गांव और आसपास के लिए प्रेरणा स्रोत बन कर सामने आए हैं.

70 years retired post master of Bokaro did gardening with hard work
मुकुंद के जज्बे को सलाम
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Published : Aug 24, 2020, 6:03 AM IST

बोकारोः 70 साल के रिटायर्ड पोस्ट मास्टर मुकुंद ने मेहनत से बागवानी की. आज वो ना सिर्फ अपने गांव बल्कि पूरे इलाके के लिए एक प्रेरणा बनकर उभरे हैं. कसमार प्रखंड के गंगजोरी के रहने वाले 70 वर्षीय रिटायर पोस्ट मास्टर मुकुंद महतो गांव और आसपास के लिए प्रेरणा स्रोत बन कर सामने आए हैं.

देखें पूरी खबर

मेहनत से जमीन ने उगला सोना

एक और जहां लोग खेती करने से भाग रहे हैं वहीं मुकुंद महतो ने अपने भाई हरिपद महतो के साथ मिलकर डेढ़ एकड़ जमीन पर विभिन्न प्रकार की खेती करने का काम शुरू कर दिया है. उनके इस जज्बे को देखकर आसपास के लोग भी खेती के प्रति जागरूक हो रहे हैं. मुकुंद महतो ने इस जमीन पर पपीता, आम, अमरूद, नारियल, अनार, काजू, चीकू की बागवानी की. इसके साथ ही कई तरह की सब्जियों की खेती भी कर रहे हैं. इसके अलावा मुकुंद महतो मछली पालन का भी काम कर रहे हैं. लेकिन मुकुंद महतो ने सरकारी मदद ना मिलने पर अफसोस जाहिर किया है और जिला कृषि विभाग से सिंचाई की मदद मांगी है.

बचपन से खेती का था शौक

अगर इच्छा शक्ति हो तो उम्र आड़े नहीं आती है, यही काम कसमार के एक रिटायर्ड पोस्ट मास्टर ने करके दिखाया है. मुकुंद महतो ने बताया कि छोटी सी उम्र से ही खेती का शौक था, जब छोटे थे तो पिताजी को खेती में मदद करते थे. उन्होंने बताया कि 2017 में जब वो रिटायर हुए तो घर मे बैठ-बैठ मन नहीं लगने लगा, तो अपनी जमीन पर भाई के साथ मिल कर बागवानी शुरू की. इस दौरान कई पेड़ लगाए गए. आज स्थिति ये है कि इस बार आम की पैदावार भी जबर्दस्त हुई, जिसे बेचकर उनकी अच्छी आमदनी हुई है.

खेती के लिए प्रेरित हो गांव के युवा

मुकुंद महतो कहते हैं कि जनवरी के महीने में युवाओं को कृषि के प्रति आकर्षित करने के लिए बागान में पिकनिक मनाने की छूट देते हैं. जिससे गांव के युवा खेती को आसानी से समझ सके और इससे प्रेरणा लें.

बागवानी भी, आमदनी भी

मुकुंद महतो को खेती में मदद करने वाले भाई हरिपद महतो ने बताया कि इस खेती को आगे बढ़ने के लिए बड़े भाई को सहयोग करते हैं, इस बार डेढ़ क्विंटल आम 35 रुपये किलो के हिसाब से यहां से ही बेचने का काम किया. वर्तमान समय में फसल बाजार फसल लेकर नहीं जा रहे हैं. लेकिन इसको हमलोग जीविका चलाने का साधन बना लिए हैं.

जिला कृषि विभाग ने सराहा

कसमार में इस खेती को लेकर जब जिला कृषि पदाधिकारी से इस बाबत बात की गई तो उन्होंने कहा कि निजी जमीन में इस तरह की खेती की जा रही है. यह सराहनीय बात है. उन्होंने बताया कि कृषि विभाग सिचाई के लिए डीप बोरिंग अभी नहीं दे रही है. अगर इस तरह की योजना जिले को दी जाएगी तो किसान को इसका लाभ दिया जाएगा. हम कह सकते हैं कि जिस तरह से एक रिटायर पोस्ट मास्टर अपने समय का सदुपयोग कर खेती कर लोगों को प्रेरणा दे रहे है. अगर लोग इसी तरह खेती को अपना साधन बना लें तो इस प्रदेश में खुशहाली जरूर आएगी.

बोकारोः 70 साल के रिटायर्ड पोस्ट मास्टर मुकुंद ने मेहनत से बागवानी की. आज वो ना सिर्फ अपने गांव बल्कि पूरे इलाके के लिए एक प्रेरणा बनकर उभरे हैं. कसमार प्रखंड के गंगजोरी के रहने वाले 70 वर्षीय रिटायर पोस्ट मास्टर मुकुंद महतो गांव और आसपास के लिए प्रेरणा स्रोत बन कर सामने आए हैं.

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मेहनत से जमीन ने उगला सोना

एक और जहां लोग खेती करने से भाग रहे हैं वहीं मुकुंद महतो ने अपने भाई हरिपद महतो के साथ मिलकर डेढ़ एकड़ जमीन पर विभिन्न प्रकार की खेती करने का काम शुरू कर दिया है. उनके इस जज्बे को देखकर आसपास के लोग भी खेती के प्रति जागरूक हो रहे हैं. मुकुंद महतो ने इस जमीन पर पपीता, आम, अमरूद, नारियल, अनार, काजू, चीकू की बागवानी की. इसके साथ ही कई तरह की सब्जियों की खेती भी कर रहे हैं. इसके अलावा मुकुंद महतो मछली पालन का भी काम कर रहे हैं. लेकिन मुकुंद महतो ने सरकारी मदद ना मिलने पर अफसोस जाहिर किया है और जिला कृषि विभाग से सिंचाई की मदद मांगी है.

बचपन से खेती का था शौक

अगर इच्छा शक्ति हो तो उम्र आड़े नहीं आती है, यही काम कसमार के एक रिटायर्ड पोस्ट मास्टर ने करके दिखाया है. मुकुंद महतो ने बताया कि छोटी सी उम्र से ही खेती का शौक था, जब छोटे थे तो पिताजी को खेती में मदद करते थे. उन्होंने बताया कि 2017 में जब वो रिटायर हुए तो घर मे बैठ-बैठ मन नहीं लगने लगा, तो अपनी जमीन पर भाई के साथ मिल कर बागवानी शुरू की. इस दौरान कई पेड़ लगाए गए. आज स्थिति ये है कि इस बार आम की पैदावार भी जबर्दस्त हुई, जिसे बेचकर उनकी अच्छी आमदनी हुई है.

खेती के लिए प्रेरित हो गांव के युवा

मुकुंद महतो कहते हैं कि जनवरी के महीने में युवाओं को कृषि के प्रति आकर्षित करने के लिए बागान में पिकनिक मनाने की छूट देते हैं. जिससे गांव के युवा खेती को आसानी से समझ सके और इससे प्रेरणा लें.

बागवानी भी, आमदनी भी

मुकुंद महतो को खेती में मदद करने वाले भाई हरिपद महतो ने बताया कि इस खेती को आगे बढ़ने के लिए बड़े भाई को सहयोग करते हैं, इस बार डेढ़ क्विंटल आम 35 रुपये किलो के हिसाब से यहां से ही बेचने का काम किया. वर्तमान समय में फसल बाजार फसल लेकर नहीं जा रहे हैं. लेकिन इसको हमलोग जीविका चलाने का साधन बना लिए हैं.

जिला कृषि विभाग ने सराहा

कसमार में इस खेती को लेकर जब जिला कृषि पदाधिकारी से इस बाबत बात की गई तो उन्होंने कहा कि निजी जमीन में इस तरह की खेती की जा रही है. यह सराहनीय बात है. उन्होंने बताया कि कृषि विभाग सिचाई के लिए डीप बोरिंग अभी नहीं दे रही है. अगर इस तरह की योजना जिले को दी जाएगी तो किसान को इसका लाभ दिया जाएगा. हम कह सकते हैं कि जिस तरह से एक रिटायर पोस्ट मास्टर अपने समय का सदुपयोग कर खेती कर लोगों को प्रेरणा दे रहे है. अगर लोग इसी तरह खेती को अपना साधन बना लें तो इस प्रदेश में खुशहाली जरूर आएगी.

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