ETV Bharat / sports

साइकिलिंग का 'शौकिया सफर': बड़ों को देख बच्चे भी करने लगे अभ्यास...स्टेट चैंपियन बने, अब नेशनल की तैयारी

कोरोना वायरस के प्रकोप से उपजी लॉकडाउन की परिस्थितियां छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश-दुनिया के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं थी. लेकिन इस दौरान कहीं कुछ अच्छा भी हुआ है. कोरबा के कॉफी प्वाइंट (coffee point) और लेमरू की घाटी में साइकिल चला चुके बच्चों ने प्रतियोगिता के सपाट ट्रैक पर ऐसा जलवा बिखेरा कि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी उनके आसपास भी नहीं थे. इन बच्चों ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को दो किमी के मार्जिन से पछाड़ते हुए स्टेट चैंपियन का तमगा हासिल कर लिया है.

छत्तीसगढ़ न्यूज  कोरबा न्यूज  स्टेट चैंपियन  साइकिलिंग  Chhattisgarh News  Korba News  state champion  cycling
cycling
author img

By

Published : Oct 24, 2021, 9:15 AM IST

कोरबा: कोरोना वायरस के प्रकोप से उपजी लॉकडाउन की परिस्थितियां छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश-दुनिया के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं थी. लेकिन इस दौरान कहीं कुछ अच्छा भी हुआ है. लॉकडाउन में जब किसी के पास कोई काम नहीं था, तब जिले के पीजी कॉलेज के स्पोर्ट्स ऑफिसर ने सोचा कि क्यों न इस समय का सदुपयोग कर अपने शौक को आगे बढ़ाया जाए. उनका यह शौक था साइकिलिंग का. बस फिर क्या था, कुछ मित्रों की टोली बनाई और शुरू रोजाना 50 से 60 किलोमीटर की साइकिलिंग का सफर शुरू हो गया. आलम यह हुआ कि हफ्ते में एक दिन 100-100 किलोमीटर तक भी साइकिलिंग होने लगी.

बड़ों को देख धीरे-धीरे टोली से जुड़ने लगे बच्चे भी

सेहत के साथ मनोरंजन और समय काटने के लिए शुरू की गई साइकिलिंग के इस सफर का असर बच्चों पर यह हुआ कि वे भी इसमें पारंगत हो गए. स्पोर्ट्स ऑफिसर (sports officer) की सटीक सलाह और कॉलेज से मिली प्रोफेशनल साइकिल (professional bicycle) ने बच्चों में छिपी प्रतिभा को उजागर करने में अहम भूमिका निभाई. इसके बाद अब जब परिस्थितियां सामान्य हुईं तब स्टेट चैंपियनशिप की प्रतियोगिता (State Championship Competition) सामने आई. इसके बाद बच्चों ने जोरदार प्रदर्शन कर मैदान मार लिया.

यह भी पढ़ें: टी-20 वर्ल्ड कप: इंग्लैंड ने वेस्टइंडीज को 6 विकेट से हराया

लेमरू घाटी में साइकिलिंग के बाद सपाट ट्रैक पर दिखाया जलवा

कोरबा के कॉफी प्वाइंट और लेमरू की घाटी में साइकिल चला चुके बच्चों ने प्रतियोगिता के सपाट ट्रैक पर ऐसा जलवा बिखेरा कि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी उनके आसपास भी नहीं थे. इन बच्चों ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को 2 किमी के मार्जिन से पछाड़ते हुए स्टेट चैंपियन का तमगा हासिल कर लिया. अब यह सभी नेशनल की तैयारी कर रहे हैं.

ऐसे हुई इस सफर की शुरुआत...

जिले के राजगामार रोड में शासकीय इंजीनियर विश्वेश्वरैया पीजी कॉलेज (Government Engineer Visvesvaraya PG College) स्थापित है. यह जिले का लीड कॉलेज भी है. यहां क्रीड़ा अधिकारी के तौर पर डॉ. बीएस राव पदस्थ हैं. जब लॉकडाउन लगा तब समय काटने के लिए राव ने अपने साइकिलिंग के शौक को आगे बढ़ाते हुए एक नई शुरुआत की. उनके साथ आसपास रहने वाले युवा और मित्र भी जुड़ गए.

साइकिलिंग का 'शौकिया सफर'

कोरबा के नाम पर बन गया साइकिलिंग ग्रुप

कोरबा के नाम पर एक साइकिलिंग ग्रुप बन गया. इस टोली से विपिन यादव और जाहिद अली जैसे कई अभिभावक भी जुड़े. जब घर के बड़े साइकिलिंग करने जाते तब बच्चे भी उन्हें देखते. बड़ों से आकर्षित होकर बच्चे भी साइकिलिंग करने लगे. यह सिलसिला लगातार जारी रहा. जब लॉकडाउन की परिस्थितियां थोड़ी सामान्य हुईं. तब भी साइकिलिंग का एक ग्रुप बन चुका था और अब यह अगले लेवल पर जाने लगा.

यह भी पढ़ें: टी-20 विश्व कप: मार्कस स्टोइनिस बोले- टीम को लाइन पर खड़ा करना अच्छा लगा

यहां साइकिलिंग करना बेहद चुनौतीपूर्ण

कोरबा के पूर्वी क्षेत्र का इलाका कॉफी प्वाइंट, देवपहरी और सतरेंगा जैसे पर्यटन स्थलों से घिरा हुआ है. यह इलाका पहाड़ी है. वहां तक पहुंचने के रास्ते घाटी जैसे घुमावदार हैं. सड़क भी उतार-चढ़ाव भरे और साइकिलिंग के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण भी हैं. इन रास्तों पर साइकिलिंग करना एडवेंचर पसंद करने वालों के लिए एक अलग अनुभव है.

प्रोफेशनल साइकिलिंग में कॉलेज आया काम

इस टोली में शामिल होकर बच्चे जब साइकिलिंग करने लगे, तब वह इसे प्रोफेशनल तौर पर भी देखने लगे. इस ग्रुप से जुड़े स्पोर्ट्स ऑफिसर के साथ ही अभिभावकों ने भी सोचा आगे क्यों न बच्चों को इसी दिशा में तैयार किया जाए. लेकिन बच्चों के पास प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रोफेशनल व महंगी साइकिल नहीं थीं. यहां भी कॉलेज उनके काम आया. प्राचार्य डॉ आरके सक्सेना से अनुमति ली गई और बच्चों को प्रोफेशनल साइकिल मुहैया करा दी गयी. बच्चे प्रैक्टिस करने लगे और जब स्कूल गेम्स की तारीखें घोषित हुईं तब तो बच्चों ने कमाल ही कर दिखाया.

इन्होंने जीते पुरस्कार...

स्टेट लेवल स्कूल गेम्स में आयोजित जिला और ब्लॉक स्तर में इस टोली के बच्चों के आस-पास भी कोई भी नहीं था. जिसमें अंडर 17 ग्रुप में उज्जवल तिवारी और अजहर सिद्दीकी ने पहला और दूसरा स्थान हासिल किया. दोनों स्टेट चैंपियन बन गये. जबकि अंडर 17 ग्रुप में अनम सिद्दीकी ने पहला स्थान प्राप्त किया. अब यह तीनों ही स्टेट चैंपियन बन चुके हैं. तीनों बच्चे कोरबा के हैं. इसी साइकिलिंग की टोली से जुड़ कर इन्होंने यह मुकाम हासिल किया.

यह भी पढ़ें: T-20 WC: इंग्लैंड से बड़ी हार के बाद पोलार्ड बोले- हमें आगे बढ़ने की जरूरत

अंडर 14 में नहीं मिले प्रतिभागी तो अंडर 17 ग्रुप में लिया भाग

खास बात यह भी रही कि अनम सिद्दीकी की उम्र 14 वर्ष से भी कम है, लेकिन अंडर 14 वर्ग में कोई भी बच्चा साइकिलिंग करने आया ही नहीं. जिसके कारण अनम को अंडर-17 एज ग्रुप में भाग लेना पड़ा. वहां भी उन्होंने अपने से अधिक उम्र के खिलाड़ियों को पकड़ते हुए पहला स्थान हासिल किया.

इन बच्चों की साइकिलिंग में दो किमी तक नहीं था कोई...

इन सभी बच्चों की जीत में जो सबसे अहम बात है, वह यह कि इन बच्चों की साइकिलिंग में 2 किलोमीटर पीछे तक भी कोई नहीं था. बड़ी मार्जिन से इन बच्चों में अपने प्रतिद्वंद्वियों को परास्त कर दिया. बच्चों की उपलब्धि से उनके अभिभावक भी बेहद खुश हैं. उनका कहना है कि वह कभी सोच भी नहीं सकते थे कि उनके बच्चे इस तरह की प्रतियोगिता में उनका नाम रोशन करेंगे. यह सभी कॉलेज से मिले सहयोग के कारण ही संभव हो पाया.

कोरबा: कोरोना वायरस के प्रकोप से उपजी लॉकडाउन की परिस्थितियां छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश-दुनिया के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं थी. लेकिन इस दौरान कहीं कुछ अच्छा भी हुआ है. लॉकडाउन में जब किसी के पास कोई काम नहीं था, तब जिले के पीजी कॉलेज के स्पोर्ट्स ऑफिसर ने सोचा कि क्यों न इस समय का सदुपयोग कर अपने शौक को आगे बढ़ाया जाए. उनका यह शौक था साइकिलिंग का. बस फिर क्या था, कुछ मित्रों की टोली बनाई और शुरू रोजाना 50 से 60 किलोमीटर की साइकिलिंग का सफर शुरू हो गया. आलम यह हुआ कि हफ्ते में एक दिन 100-100 किलोमीटर तक भी साइकिलिंग होने लगी.

बड़ों को देख धीरे-धीरे टोली से जुड़ने लगे बच्चे भी

सेहत के साथ मनोरंजन और समय काटने के लिए शुरू की गई साइकिलिंग के इस सफर का असर बच्चों पर यह हुआ कि वे भी इसमें पारंगत हो गए. स्पोर्ट्स ऑफिसर (sports officer) की सटीक सलाह और कॉलेज से मिली प्रोफेशनल साइकिल (professional bicycle) ने बच्चों में छिपी प्रतिभा को उजागर करने में अहम भूमिका निभाई. इसके बाद अब जब परिस्थितियां सामान्य हुईं तब स्टेट चैंपियनशिप की प्रतियोगिता (State Championship Competition) सामने आई. इसके बाद बच्चों ने जोरदार प्रदर्शन कर मैदान मार लिया.

यह भी पढ़ें: टी-20 वर्ल्ड कप: इंग्लैंड ने वेस्टइंडीज को 6 विकेट से हराया

लेमरू घाटी में साइकिलिंग के बाद सपाट ट्रैक पर दिखाया जलवा

कोरबा के कॉफी प्वाइंट और लेमरू की घाटी में साइकिल चला चुके बच्चों ने प्रतियोगिता के सपाट ट्रैक पर ऐसा जलवा बिखेरा कि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी उनके आसपास भी नहीं थे. इन बच्चों ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को 2 किमी के मार्जिन से पछाड़ते हुए स्टेट चैंपियन का तमगा हासिल कर लिया. अब यह सभी नेशनल की तैयारी कर रहे हैं.

ऐसे हुई इस सफर की शुरुआत...

जिले के राजगामार रोड में शासकीय इंजीनियर विश्वेश्वरैया पीजी कॉलेज (Government Engineer Visvesvaraya PG College) स्थापित है. यह जिले का लीड कॉलेज भी है. यहां क्रीड़ा अधिकारी के तौर पर डॉ. बीएस राव पदस्थ हैं. जब लॉकडाउन लगा तब समय काटने के लिए राव ने अपने साइकिलिंग के शौक को आगे बढ़ाते हुए एक नई शुरुआत की. उनके साथ आसपास रहने वाले युवा और मित्र भी जुड़ गए.

साइकिलिंग का 'शौकिया सफर'

कोरबा के नाम पर बन गया साइकिलिंग ग्रुप

कोरबा के नाम पर एक साइकिलिंग ग्रुप बन गया. इस टोली से विपिन यादव और जाहिद अली जैसे कई अभिभावक भी जुड़े. जब घर के बड़े साइकिलिंग करने जाते तब बच्चे भी उन्हें देखते. बड़ों से आकर्षित होकर बच्चे भी साइकिलिंग करने लगे. यह सिलसिला लगातार जारी रहा. जब लॉकडाउन की परिस्थितियां थोड़ी सामान्य हुईं. तब भी साइकिलिंग का एक ग्रुप बन चुका था और अब यह अगले लेवल पर जाने लगा.

यह भी पढ़ें: टी-20 विश्व कप: मार्कस स्टोइनिस बोले- टीम को लाइन पर खड़ा करना अच्छा लगा

यहां साइकिलिंग करना बेहद चुनौतीपूर्ण

कोरबा के पूर्वी क्षेत्र का इलाका कॉफी प्वाइंट, देवपहरी और सतरेंगा जैसे पर्यटन स्थलों से घिरा हुआ है. यह इलाका पहाड़ी है. वहां तक पहुंचने के रास्ते घाटी जैसे घुमावदार हैं. सड़क भी उतार-चढ़ाव भरे और साइकिलिंग के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण भी हैं. इन रास्तों पर साइकिलिंग करना एडवेंचर पसंद करने वालों के लिए एक अलग अनुभव है.

प्रोफेशनल साइकिलिंग में कॉलेज आया काम

इस टोली में शामिल होकर बच्चे जब साइकिलिंग करने लगे, तब वह इसे प्रोफेशनल तौर पर भी देखने लगे. इस ग्रुप से जुड़े स्पोर्ट्स ऑफिसर के साथ ही अभिभावकों ने भी सोचा आगे क्यों न बच्चों को इसी दिशा में तैयार किया जाए. लेकिन बच्चों के पास प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रोफेशनल व महंगी साइकिल नहीं थीं. यहां भी कॉलेज उनके काम आया. प्राचार्य डॉ आरके सक्सेना से अनुमति ली गई और बच्चों को प्रोफेशनल साइकिल मुहैया करा दी गयी. बच्चे प्रैक्टिस करने लगे और जब स्कूल गेम्स की तारीखें घोषित हुईं तब तो बच्चों ने कमाल ही कर दिखाया.

इन्होंने जीते पुरस्कार...

स्टेट लेवल स्कूल गेम्स में आयोजित जिला और ब्लॉक स्तर में इस टोली के बच्चों के आस-पास भी कोई भी नहीं था. जिसमें अंडर 17 ग्रुप में उज्जवल तिवारी और अजहर सिद्दीकी ने पहला और दूसरा स्थान हासिल किया. दोनों स्टेट चैंपियन बन गये. जबकि अंडर 17 ग्रुप में अनम सिद्दीकी ने पहला स्थान प्राप्त किया. अब यह तीनों ही स्टेट चैंपियन बन चुके हैं. तीनों बच्चे कोरबा के हैं. इसी साइकिलिंग की टोली से जुड़ कर इन्होंने यह मुकाम हासिल किया.

यह भी पढ़ें: T-20 WC: इंग्लैंड से बड़ी हार के बाद पोलार्ड बोले- हमें आगे बढ़ने की जरूरत

अंडर 14 में नहीं मिले प्रतिभागी तो अंडर 17 ग्रुप में लिया भाग

खास बात यह भी रही कि अनम सिद्दीकी की उम्र 14 वर्ष से भी कम है, लेकिन अंडर 14 वर्ग में कोई भी बच्चा साइकिलिंग करने आया ही नहीं. जिसके कारण अनम को अंडर-17 एज ग्रुप में भाग लेना पड़ा. वहां भी उन्होंने अपने से अधिक उम्र के खिलाड़ियों को पकड़ते हुए पहला स्थान हासिल किया.

इन बच्चों की साइकिलिंग में दो किमी तक नहीं था कोई...

इन सभी बच्चों की जीत में जो सबसे अहम बात है, वह यह कि इन बच्चों की साइकिलिंग में 2 किलोमीटर पीछे तक भी कोई नहीं था. बड़ी मार्जिन से इन बच्चों में अपने प्रतिद्वंद्वियों को परास्त कर दिया. बच्चों की उपलब्धि से उनके अभिभावक भी बेहद खुश हैं. उनका कहना है कि वह कभी सोच भी नहीं सकते थे कि उनके बच्चे इस तरह की प्रतियोगिता में उनका नाम रोशन करेंगे. यह सभी कॉलेज से मिले सहयोग के कारण ही संभव हो पाया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.