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रांची के युवा वोटरों की राय: अपने अधिकार का सही प्रयोग कर एक बेहतर सरकार चुनेंगे

युवा वर्ग ने इस बार उसी नेता को वोट करने की बात कही है, जो उन्हें रोजगार देने सहित शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने का प्रयास करेगा. सीयूजे के युवाओं का कहना है कि चुनाव नजदीक आते ही विभिन्न पार्टियों के नेता नौजवानों को लुभाने का प्रयास करते हैं, लेकिन इस बार वह किसी भी नेता की बातों में आने वाले नहीं हैं.

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Published : Apr 16, 2019, 8:48 PM IST

जानकारी देते छात्र-छात्रा

रांची: राजनीतिक पार्टियों की ओर से हर बार चुनाव जीतने के लिए नौजवान वर्ग पर दाव खेला जाता है. नौजवानों को रोजगार देने सहित अन्य वादे पार्टियों द्वारा किए तो जाते हैं, लेकिन वास्तव में उनको अमलीजामा नहीं पहनाया जाता. इधर, चुनाव का बिगुल बजते ही नौजवान वर्ग ने भी अपनी रणनीति तैयार कर ली है.

जानकारी देते छात्र-छात्रा


युवा वर्ग ने इस बार उसी नेता को वोट करने की बात कही है, जो उन्हें रोजगार देने सहित शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने का प्रयास करेगा. सीयूजे के युवाओं का कहना है कि चुनाव नजदीक आते ही विभिन्न पार्टियों के नेता नौजवानों को लुभाने का प्रयास करते हैं, लेकिन इस बार वह किसी भी नेता की बातों में आने वाले नहीं हैं.


बड़ी बात यह है कि आम वोटर की अपेक्षा स्टूडेंट्स और कम उम्र के नौजवान वोटिंग के लिए अधिक सतर्क भी है. वहीं इनकी वोटिंग प्रतिशत भी आम वोटर की अपेक्षा 15 प्रतिशत अधिक है. पहले समय में देखा जाता था कि युवा वर्ग अपने माता-पिता के इशारों से वोटिंग करते थे, लेकिन अब युवा जागरूक हो चुके हैं और वो अपने परिवार के फैसलों को बदलने की शक्ति रखते हैं.

रांची: राजनीतिक पार्टियों की ओर से हर बार चुनाव जीतने के लिए नौजवान वर्ग पर दाव खेला जाता है. नौजवानों को रोजगार देने सहित अन्य वादे पार्टियों द्वारा किए तो जाते हैं, लेकिन वास्तव में उनको अमलीजामा नहीं पहनाया जाता. इधर, चुनाव का बिगुल बजते ही नौजवान वर्ग ने भी अपनी रणनीति तैयार कर ली है.

जानकारी देते छात्र-छात्रा


युवा वर्ग ने इस बार उसी नेता को वोट करने की बात कही है, जो उन्हें रोजगार देने सहित शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने का प्रयास करेगा. सीयूजे के युवाओं का कहना है कि चुनाव नजदीक आते ही विभिन्न पार्टियों के नेता नौजवानों को लुभाने का प्रयास करते हैं, लेकिन इस बार वह किसी भी नेता की बातों में आने वाले नहीं हैं.


बड़ी बात यह है कि आम वोटर की अपेक्षा स्टूडेंट्स और कम उम्र के नौजवान वोटिंग के लिए अधिक सतर्क भी है. वहीं इनकी वोटिंग प्रतिशत भी आम वोटर की अपेक्षा 15 प्रतिशत अधिक है. पहले समय में देखा जाता था कि युवा वर्ग अपने माता-पिता के इशारों से वोटिंग करते थे, लेकिन अब युवा जागरूक हो चुके हैं और वो अपने परिवार के फैसलों को बदलने की शक्ति रखते हैं.

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