रांची: झारखंड राजनीति में आधी आबादी की बात तो सभी करते हैं लेकिन चिंता इस बात की है कि सिर्फ बात करते हैं. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के नारे भी सभी देते हैं लेकिन राजनीति में बेटियों को बढ़ाने का नारा कोई नहीं देता. सभी पार्टी के नेताओं के पास इस सवाल का रटा रटाया जवाब है, टिकट उसी को दिया जाता है जिसके चुनाव जीतने की गुंजाइश हो. यह बिल्कुल राजनीतिक जवाब है. क्योंकि झारखंड में सभी बड़ी पार्टियों के पास कुछ ऐसी सीटें हैं जहां किसी को भी प्रत्याशी बनाने पर जीत पक्की मानी जाती है. इससे साफ है कि झारखंड की राजनीति में पहचान बनाने के लिए महिलाओं को अपने बूते ही कुछ करना होगा. अब सवाल है कि झारखंड में हुए पिछले चुनावों में किस पार्टी ने महिलाओं पर सबसे ज्यादा भरोसा जताया है.
भाजपा की महिला प्रत्याशियों का परफॉर्मेंस
2014 के चुनाव में भाजपा ने 72 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. इनमें सात महिला प्रत्याशी थीं. लेकिन सभी पार्टियों की तुलना में भाजपा की महिला प्रत्याशियों का परफॉर्मेंस सबसे बेहतर था. भाजपा की पांच महिला प्रत्याशियों की जीत हुई थी. सिमडेगा से विमला प्रधान, मांडर से गंगोत्री कुजूर, पोटका से मेनका सरकार, कोडरमा से नीरा यादव और दुमका से लुइस मरांडी की जीत हुई थी. भाजपा की सिर्फ दो महिला प्रत्याशियों मसलन, हटिया में सीमा शर्मा और चक्रधरपुर में नवामी उरांव की हार हुई थी लेकिन इनमें से किसी की भी जमानत जब्त नहीं हुई थी. खास बात है कि भाजपा ने अपनी दो महिला विधायकों को मंत्रिमंडल में भी बड़ी जिम्मेदी दी.
झामुमो की महिला प्रत्याशियों का परफॉर्मेंस
2014 के चुनाव में झामुमो ने कुल 79 प्रत्याशियों में से 12 महिलाओं को मैदान में उतारा था. लेकिन इनमें से सिर्फ दो यानी जामा से सीता सोरेन और मनोहरपुर से जोबा मांझी ही जीत सकीं. देवघर से निर्मला भारती, बरही से साबी देवी, ईचागढ़ से सबीता महतो और रांची से महुआ माजी की हार हुई थी जबकि सिमरिया से राजकुमारी देवी, चतरा से मनोरमा देवी, जमशेदपुर पूर्वी से कमलजीत कौर गिल, तमाड़ से सालोमी टूटी, मनिका से शिल्पा कुमारी और भवनाथपुर से विजय लक्ष्मी देवी की जमानत जब्त हो गई थी.
कांग्रेस की महिला प्रत्याशियों का परफॉर्मेंस
2014 में कांग्रेस ने कुल 62 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे इनमें महिला उम्मीदवारों की संख्या 12 थी. खास बात है कि इनमें से सिर्फ बड़कागांव से निर्मला देवी की जीत हुई थी. जबकि बोरियो से मंजू स्नेहलता हेंब्रम, बरहेट से मोनिका किस्कू, बगोदर से पूजा चटर्जी , गिरिडीह से रूमा सिंह ,निरसा से दुर्गा दास और बिशुनपुर से बॉबी भगत की जमानत जब्त हो गई थी. वहीं घाटशिला से सिंड्रेला बालमुचू, पोटका से दुखनी माई सरदार, खूंटी से पुष्पा सुरीन, खिजरी से सुंदरी देवी और सिसई से गीताश्री उरांव अपनी जमानत बचाने में सफल रहीं थी.
जेवीएम की महिला प्रत्याशियों का परफार्मेंस
2014 में बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम ने 73 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, इनमें महिलाओं की सख्या महज सात थी. खास बात है कि जेवीएम की सभी महिला प्रत्याशियों की न सिर्फ हार हुई थी बल्कि सभी की जमानत भी जब्त हो गई थी. इनमें राजमहल से कृष्णा महतो, पाकुड़ से असमन्नरा खातून, सिंदरी से रेखा मंडल, घाटशिला से गीता मुर्मू, चाईबासा से गीता सुंडी, सिमडेगा से दीपा कुमारी बड़ाईक और कोलेबिरा से मधरी सोरेंग के नाम शामिल हैं.
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चतुर्थ विधानसभा में महिलाओं की कुल संख्या है दस
2014 के चुनाव में बतौर निर्दलीय जगन्नाथपुर में गीता कोड़ा की जीत हुई थी. लिहाजा, 2014 में 81 सीटों पर कुल नौ महिला प्रत्याशियों की जीत हुई थी. हालाकि बाद में सिल्ली और गोमिया में हुए उपचुनाव में दो महिलाओं की जीत हुई थी. इस तरह विधानसभा में महिलाओं की कुल संख्या 11 हो गई थी. बाद में गीता कोड़ा के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद जगन्नाथपुर सीट खाली हो गई. लिहाजा, वर्तमान में झारखंड विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या 10 है. एक और दिलचस्प बात है कि इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने एक-एक वैसी महिला को टिकट दिया था जो चुनाव के वक्त इन पार्टियों में शामिल हुई थीं और जीत भी दर्ज की थी. इनमें कोडरमा से भाजपा की अन्नपूर्णा देवी और चाईबासा से कांग्रेस की गीता कोड़ा के नाम शामिल हैं.