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पिंक ऑटोः आत्मनिर्भरता की उड़ान भर रही महिलाएं

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Published : Sep 30, 2021, 8:54 PM IST

राजधानी रांची में पिंक ऑटो चलाकर महिलाएं आत्मनिर्भरता और हौसले की नयी कहानी गढ़ रही हैं. गुजरा वक्त जो भी रहा हो लेकिन आज का वक्त आधी आबादी का है.

Women becoming self-reliant with Pink Auto in Ranchi
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रांचीः बदकिस्मती ने भले ही पति का साथ छुड़ाया मगर हौसलों की उड़ान ने इन्हें जीवन की नयी कहानी गढ़ने का हौसला दिया. अपने गुजरे वक्त को याद कर सहमी रांची की मंजू आज खुद को आत्मनिर्भर बनाकर गर्व महसूस कर रही हैं. सिर्फ मंजू ही नहीं रांची में पिंक ऑटो चलाने वाली महिलाओं ने समाज के सामने हिम्मत और आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है.

इसे भी पढ़ें- रांची में शाम 5 से रात 10 बजे तक ऑटो चलाती हैं संतोषी, घर की खराब माली हालत के चलते लिया फैसला

2013 में पति के निधन के बाद परिवार और बच्चों की परवरिश का जिम्मा मंजू के कंधे पर अचानक आ गया. ऐसे में जीवन की रफ्तार को पिंक ऑटो ने गति दी. मंजू ने जमाने की सोच को दरकिनार करते हुए एक नयी शुरुआत की, उसके बाद मंजू ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज पति को गुजरे हुए दस वर्ष से अधिक हो चुके हैं. इस दौरान किसी तरह गम से उबरकर निकली मंजू अब ऑटोवाली दीदी कहलाने लगी हैं.

देखें पूरी खबर
पिंक ऑटो ने बनाया आत्मनिर्भरमंजू जैसी कई महिलाएं हैं, जिनके पति का असामयिक निधन के कारण बच्चों की शिक्षा-दीक्षा और परिवार चलाने का जिम्मा है. आर्थिक रुप से कमजोर इन महिलाओं के लिए पिंक ऑटो आत्मनिर्भरता का सहारा बना. राजधानी में महिला सवारी के लिए चल रहे ऐसे 45 पिंक ऑटो हैं, जिसमें अधिकांश ऐसी ही महिला हैं. पिंक ऑटो चलानेवाली रीना का मानना हैं कि इसके जरिए उन्हें पैसों के साथ साथ स्वतंत्रता भी है, जो नौकरी करने में नहीं मिलती.

जाहिर तौर पर हर दिन हजार रुपया तक ऑटो चलाकर कमाने वाली इन महिलाओं के चेहरे पर साफ खुशी झलक रही है. कई महिलाओं को अपना ऑटो है तो कइयों ने भाड़ा पर ऑटो लेकर चला रही हैं. ऑटो चलाना सीखने के बाद अब तक पांच महिला जमशेदपुर एवं अन्य शहरों में डंफर चलाने के लिए जा चुकी हैं, जहां उन्हें ज्यादा पैसे भी मिल रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- रांची की महिलाएं पिंक बसों में कर सकेगी सुरक्षित सफर, नगर निगम ने की नई शुरुआत


सरकारी योजना का नहीं मिला लाभ
अरगोड़ा से मेन रोड बिग बाजार तक पिंक ऑटो चलाकर गुजर बसर करनेवाली अधिकांश महिलाओं के पास ना तो सरकारी राशन है और ना ही अपना आवास. सरकारी योजना के लाभ से दूर इन महिलाओं ने सरकार से गुहार लगायी मगर इनकी फरियाद किसी ने नहीं सुनी.

सुरक्षित सफर के लिए महिलाओं का खास पसंद है पिंक ऑटो
राजधानी के कई रुटों पर चल रही पिंक ऑटो महिला यात्रियों के लिए खास है. महिलाएं सुरक्षित सफर के लिए पिंक ऑटो बेहद पसंद करती हैं. उनका मानना है कि इसमें किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता. महिला यात्रियों ने पिंक ऑटो चलाकर परिवार का भरण-पोषण कर रही महिलाओं के हौसले की सराहना करते हुए कहा कि ये भले ही परिस्थितिवश मजबूर हो गयीं मगर इनकी मेहनत और लगन ने समाज को संदेश जरूर दिया है.

नगर निगम के सहयोग से शुरू हुए पिंक ऑटो में महिलाओं की बढ़ रही संख्या पर खुशी जताते हुए मेयर आशा लकड़ा ने कहा है कि इससे महिलाएं आत्मनिर्भर हुई हैं. इसके अलावा आम महिलाएं भी इसमें सफर करने में खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं. इसके अलावा पिंक ऑटो महिलाओं के लिए रोजगार का एक बड़ा जरिया बन गया है.

रांचीः बदकिस्मती ने भले ही पति का साथ छुड़ाया मगर हौसलों की उड़ान ने इन्हें जीवन की नयी कहानी गढ़ने का हौसला दिया. अपने गुजरे वक्त को याद कर सहमी रांची की मंजू आज खुद को आत्मनिर्भर बनाकर गर्व महसूस कर रही हैं. सिर्फ मंजू ही नहीं रांची में पिंक ऑटो चलाने वाली महिलाओं ने समाज के सामने हिम्मत और आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है.

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2013 में पति के निधन के बाद परिवार और बच्चों की परवरिश का जिम्मा मंजू के कंधे पर अचानक आ गया. ऐसे में जीवन की रफ्तार को पिंक ऑटो ने गति दी. मंजू ने जमाने की सोच को दरकिनार करते हुए एक नयी शुरुआत की, उसके बाद मंजू ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज पति को गुजरे हुए दस वर्ष से अधिक हो चुके हैं. इस दौरान किसी तरह गम से उबरकर निकली मंजू अब ऑटोवाली दीदी कहलाने लगी हैं.

देखें पूरी खबर
पिंक ऑटो ने बनाया आत्मनिर्भरमंजू जैसी कई महिलाएं हैं, जिनके पति का असामयिक निधन के कारण बच्चों की शिक्षा-दीक्षा और परिवार चलाने का जिम्मा है. आर्थिक रुप से कमजोर इन महिलाओं के लिए पिंक ऑटो आत्मनिर्भरता का सहारा बना. राजधानी में महिला सवारी के लिए चल रहे ऐसे 45 पिंक ऑटो हैं, जिसमें अधिकांश ऐसी ही महिला हैं. पिंक ऑटो चलानेवाली रीना का मानना हैं कि इसके जरिए उन्हें पैसों के साथ साथ स्वतंत्रता भी है, जो नौकरी करने में नहीं मिलती.

जाहिर तौर पर हर दिन हजार रुपया तक ऑटो चलाकर कमाने वाली इन महिलाओं के चेहरे पर साफ खुशी झलक रही है. कई महिलाओं को अपना ऑटो है तो कइयों ने भाड़ा पर ऑटो लेकर चला रही हैं. ऑटो चलाना सीखने के बाद अब तक पांच महिला जमशेदपुर एवं अन्य शहरों में डंफर चलाने के लिए जा चुकी हैं, जहां उन्हें ज्यादा पैसे भी मिल रहे हैं.

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सरकारी योजना का नहीं मिला लाभ
अरगोड़ा से मेन रोड बिग बाजार तक पिंक ऑटो चलाकर गुजर बसर करनेवाली अधिकांश महिलाओं के पास ना तो सरकारी राशन है और ना ही अपना आवास. सरकारी योजना के लाभ से दूर इन महिलाओं ने सरकार से गुहार लगायी मगर इनकी फरियाद किसी ने नहीं सुनी.

सुरक्षित सफर के लिए महिलाओं का खास पसंद है पिंक ऑटो
राजधानी के कई रुटों पर चल रही पिंक ऑटो महिला यात्रियों के लिए खास है. महिलाएं सुरक्षित सफर के लिए पिंक ऑटो बेहद पसंद करती हैं. उनका मानना है कि इसमें किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता. महिला यात्रियों ने पिंक ऑटो चलाकर परिवार का भरण-पोषण कर रही महिलाओं के हौसले की सराहना करते हुए कहा कि ये भले ही परिस्थितिवश मजबूर हो गयीं मगर इनकी मेहनत और लगन ने समाज को संदेश जरूर दिया है.

नगर निगम के सहयोग से शुरू हुए पिंक ऑटो में महिलाओं की बढ़ रही संख्या पर खुशी जताते हुए मेयर आशा लकड़ा ने कहा है कि इससे महिलाएं आत्मनिर्भर हुई हैं. इसके अलावा आम महिलाएं भी इसमें सफर करने में खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं. इसके अलावा पिंक ऑटो महिलाओं के लिए रोजगार का एक बड़ा जरिया बन गया है.

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