रांची: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान धोनी के शहर रांची के चौक चौराहों पर रमणीक रांची और छोटे-छोटे पौधों के बीच वेलकम टू रांची लिखा बोर्ड एक आकर्षण पैदा करता है. रांची को स्मार्ट सिटी के रूप में प्रोजेक्ट किया जा रहा है. पर क्या वास्तव में रांची रमणीक है? शहर की नदियों का हाल और शहर के ढलान वाले इलाकों से निकलने वाले नाले बताते हैं कि इस शहर की स्थिति क्या है.
राजधानी रांची में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए 5 वर्ष पहले कार्य योजना तैयार हुई और करीब 80-85 करोड़ भी खर्च कर दिए गए. लेकिन ये योजना धरातल पर कम और फाइलों में ज्यादा दिखती रही. जो काम हुआ भी वह नदियों के सौंदर्यीकरण के नाम पर इतने छोटे स्तर पर हुआ कि वह नाकाफी ही साबित हुए. काम के नाम पर कुछ वार्डो में सीवरेज पाइपलाइन बिछाई गई, लेकिन अब वह भी बेकार ही हैं. आज भी नाले का लाखों क्यूसेक गंदा पानी हर दिन नदी में बिना ट्रीटमेंट के ही गिरता है.
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सीवरेज का गंदा पानी पर्यावरण के साथ साथ स्वास्थ्य के लिए भी खतरा: रांची के स्वर्णरेखा नदी की सहायक हरमू, जुमार और अन्य नदियों में गंदे नाले का पानी बिना ट्रीटमेंट के गिरने से हालात खराब हुए हैं. रांची विश्वविद्यालय के भूगर्भ विज्ञान के प्रोफेसर डॉ नितीश प्रियदर्शी कहते हैं कि बिना ट्रीटमेंट के नाले का गंदा पानी स्वर्णरेखा के सहायक नदियों में डालने के बाद ये पानी डैम में जाता है, ऐसे में भले ही जलापूर्ति से पहले डैम के पानी को साफ कर दिया जाता हो पर लेकिन फिर भी पानी की क्वालिटी खराब हो ही जाती है, इसी तरह भूगर्भ जल भी इससे गंदा यानी प्रदूषित हो रहा है.