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मेयर और डिप्टी मेयर के खिलाफ पार्षदों ने खोला मोर्चा, कहा- जनता ने नगर निगम चलाने का दिया था जिम्मा, चला रहे भाजपा

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Published : Dec 21, 2020, 4:48 PM IST

रांची नगर निगम में 22 दिसंबर को होने वाली बैठक रद्द होने की आशंका है. इसको लेकर वार्ड पार्षदों में खासा आक्रोश है. वार्ड पार्षदों ने मेयर, डिप्टी मेयर पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो नगर निगम में बैठ कर अपनी पार्टी चला रहे हैं.

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रांची नगर निगम

रांची: रांची नगर निगम में कोरोना काल के दौरान 10 महीनों में मात्र दो बार बोर्ड की बैठक की गई है. वहीं, 22 दिसंबर को बैठक होने की उम्मीद थी, जिसमें पार्षद जनता की समस्याओं को रखते और उसके समाधान के उपाय किए जाते, लेकिन बोर्ड की बैठक नहीं होने के आसार हैं. ऐसे में पार्षदों में खासा आक्रोश है और अब पार्षदों ने मेयर और डिप्टी मेयर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

देखिए पूरी खबर

ये भी पढ़ें: बढ़ती ठंड से कोरोना को लेकर बढ़ी लोगों की चिंता, इन उपायों से कर सकते हैं बचाव

पार्षदों का कहना है कि जनता ने उन्हें नगर निगम चलाने के लिए चुना था, लेकिन वह भाजपा पार्टी चलाने में व्यस्त हैं. वहीं, अधिकारियों को निकम्मा करार देते हुए पार्षदों ने कहा है कि अगर यही स्थिति रही तो अधिकारी नगर निगम को बेच देंगे और जनता का कोई काम नहीं होगा. वार्ड 26 के पार्षद अरुण झा ने सोमवार को कहा है कि अब तक बोर्ड बैठक को लेकर कोई एजेंडा नहीं आया है. ऐसे में यह साफ है कि बोर्ड की बैठक नहीं होगी. उन्होंने कहा कि पिछले 10 महीनों में मात्र 2 बार बोर्ड की बैठक हुई, जबकि जनता सैकड़ों समस्या लेकर उनके सामने प्रत्येक दिन आ रहे हैं, लेकिन इन समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है. उन्होंने कहा कि नगर निगम में पदाधिकारी भी नहीं रहते.

वार्ड 34 के पार्षद विनोद कुमार ने सीधे तौर पर मेयर और डिप्टी मेयर पर निरंकुश होने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि जिस तरह से क्लास में टीचर और स्कूल में हेड मास्टर होते हैं. उसी तरह मेयर, डिप्टी मेयर नगर निगम के हेड मास्टर बन गए हैं. उन्होंने कहा कि उनके द्वारा भाजपा पार्टी चलाया जा रहा है, जबकि जनता ने उन्हें नगर निगम चलाने का जिम्मा सौंपा है. उन्होंने कहा कि अधिकारी पार्षदों की नहीं सुनते हैं, जबकि जनता के कई परेशानियां और सवाल हैं. उन्होंने कहा कि एक पोल पर लाइट लगाना भी पार्षद की हैसियत नहीं रही है. कहीं न कहीं मेयर, डिप्टी मेयर की इच्छाशक्ति मर गई है.

वहीं, वार्ड 25 के पार्षद अर्जुन राम ने कहा कि पार्षदों की स्थिति दयनीय हो गई है. जनता उनके सामने समस्या लेकर आते हैं, लेकिन उसे सुनने वाला नगर निगम में कोई नहीं है. पार्षद जब मेयर और डिप्टी मेयर के सामने अपनी समस्याओं को रखते हैं तो उसे अनसुना कर दिया जाता है. इसमें सुधार लाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि लगातार कहा जाता है कि पोल पर लाइट की समस्या को दूर कर लिया जाएगा. नगर विकास विभाग से लगातार इसका आश्वासन मिल रहा है, लेकिन वह झूठा ही है. उन्होंने कहा कि 14वें वित्त आयोग से कोई काम शुरू नहीं हो पाया है. ऐसे में अगर पार्षदों की बातों को नहीं सुना जाएगा तो मजबूरन पार्षदों को अनशन पर बैठना होगा.

रांची: रांची नगर निगम में कोरोना काल के दौरान 10 महीनों में मात्र दो बार बोर्ड की बैठक की गई है. वहीं, 22 दिसंबर को बैठक होने की उम्मीद थी, जिसमें पार्षद जनता की समस्याओं को रखते और उसके समाधान के उपाय किए जाते, लेकिन बोर्ड की बैठक नहीं होने के आसार हैं. ऐसे में पार्षदों में खासा आक्रोश है और अब पार्षदों ने मेयर और डिप्टी मेयर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

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पार्षदों का कहना है कि जनता ने उन्हें नगर निगम चलाने के लिए चुना था, लेकिन वह भाजपा पार्टी चलाने में व्यस्त हैं. वहीं, अधिकारियों को निकम्मा करार देते हुए पार्षदों ने कहा है कि अगर यही स्थिति रही तो अधिकारी नगर निगम को बेच देंगे और जनता का कोई काम नहीं होगा. वार्ड 26 के पार्षद अरुण झा ने सोमवार को कहा है कि अब तक बोर्ड बैठक को लेकर कोई एजेंडा नहीं आया है. ऐसे में यह साफ है कि बोर्ड की बैठक नहीं होगी. उन्होंने कहा कि पिछले 10 महीनों में मात्र 2 बार बोर्ड की बैठक हुई, जबकि जनता सैकड़ों समस्या लेकर उनके सामने प्रत्येक दिन आ रहे हैं, लेकिन इन समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है. उन्होंने कहा कि नगर निगम में पदाधिकारी भी नहीं रहते.

वार्ड 34 के पार्षद विनोद कुमार ने सीधे तौर पर मेयर और डिप्टी मेयर पर निरंकुश होने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि जिस तरह से क्लास में टीचर और स्कूल में हेड मास्टर होते हैं. उसी तरह मेयर, डिप्टी मेयर नगर निगम के हेड मास्टर बन गए हैं. उन्होंने कहा कि उनके द्वारा भाजपा पार्टी चलाया जा रहा है, जबकि जनता ने उन्हें नगर निगम चलाने का जिम्मा सौंपा है. उन्होंने कहा कि अधिकारी पार्षदों की नहीं सुनते हैं, जबकि जनता के कई परेशानियां और सवाल हैं. उन्होंने कहा कि एक पोल पर लाइट लगाना भी पार्षद की हैसियत नहीं रही है. कहीं न कहीं मेयर, डिप्टी मेयर की इच्छाशक्ति मर गई है.

वहीं, वार्ड 25 के पार्षद अर्जुन राम ने कहा कि पार्षदों की स्थिति दयनीय हो गई है. जनता उनके सामने समस्या लेकर आते हैं, लेकिन उसे सुनने वाला नगर निगम में कोई नहीं है. पार्षद जब मेयर और डिप्टी मेयर के सामने अपनी समस्याओं को रखते हैं तो उसे अनसुना कर दिया जाता है. इसमें सुधार लाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि लगातार कहा जाता है कि पोल पर लाइट की समस्या को दूर कर लिया जाएगा. नगर विकास विभाग से लगातार इसका आश्वासन मिल रहा है, लेकिन वह झूठा ही है. उन्होंने कहा कि 14वें वित्त आयोग से कोई काम शुरू नहीं हो पाया है. ऐसे में अगर पार्षदों की बातों को नहीं सुना जाएगा तो मजबूरन पार्षदों को अनशन पर बैठना होगा.

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