रांची/हैदराबादः लोकसभा चुनाव में NDA को प्रचंड बहुमत मिला है. भाजपा ने अकेले 303 सीटों पर जीत हासिल की है. मोदी की सुनामी में सियासी दलों के तमाम सोशल फॉर्मूले फेल हो गए. न तो मुस्लिम-यादव समीकरण का असर दिखा और न ही सवर्ण व दलित वोटरों का कार्ड सामने आया. सवाल है कि ST, SC और OBC का वोट आखिर किस पार्टी को मिला? सवर्णों का झुकाव इस बार किस खेमे की ओर दिखा?
सियासत के जानकारों के अनुसार अब नए सिरे से सोशल-पॉलिटिकल समीकरण बनाने की जरूरत है क्योंकि आंकड़े कुछ ऐसा ही इशारा कर रहे हैं. चुनाव के दौरान ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल के लिए सर्वे करने वाली एजेंसियों के अनुसार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी NDA को आम चुनावों में सबसे ज्यादा समर्थन अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अनुसूचित जाति (SC) से मिला है. सर्वे एजेंसियां मतदान पैटर्न का अध्ययन करने के बाद इस नतीजे पर पहुंची हैं.
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NDA और UPA को मिला किसका साथ
अन्य पिछड़ा वर्ग का 47.1 प्रतिशत वोट NDA के खाते में गया है. अनुसूचित जनजाति का 43.2 प्रतिशत और अनुसूचित जाति 39.5 प्रतिशत वोट NDA के हिस्से में आया है. इन सामाजिक समूहों के बड़े तबके ने भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों पर भरोसा जताया है.
UPA को सबसे ज्यादा 30.1 प्रतिशत ST वोट मिले हैं. इसके बाद 29.8 प्रतिशत SC और 25.4 प्रतिशत OBC वोट मिले.
मुस्लिमों को UPA और ईसाइयों को NDA पर भरोसा!
वोट पैटर्न के धर्म-आधारित विश्लेषण से पता चला कि NDA के सबसे बड़े समर्थक सवर्ण हिंदू हैं. 51.6 प्रतिशत हिंदूओं ने भाजपा और सहयोगी दलों को वोट दिया है. इसके अलावा NDA को 45.7 प्रतिशत ईसाइयों और 38.2 प्रतिशत सिखों ने वोट दिए.
वहीं UPA को 40.8 प्रतिशत मुस्लिम वोट मिले. UPA को 28 प्रतिशत सिख और 27.8 प्रतिशत ईसाई वोट मिले.
लोकसभा चुनाव 2019 के वोट पैटर्न के विश्लेषण से ये साफ है कि जाति आधारित टिकट के बंटवारे और जाति-वंश की राजनीति को वोटरों ने नकार दिया है. इस विश्लेषण के बाद अब राजनीतिक पार्टियों को जीत के लिए नए समीकरण पर विचार करना होगा.