रांचीः होश संभालने के साथ ही इंसान अपने बुढ़ापे को सुरक्षित करने की कोशिश में जुट जाता है. समय के साथ बदलते दौर में एकल परिवार के बढ़ते चलन ने old aged people के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है. यही वजह है कि वृद्धाश्रम का चलन बढ़ा है. इसे समझते हुए केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से वृद्धावस्था पेंशन योजना चलाई जाती है. झारखंड में यह योजना अब तक धीमी गति से चल रही है.
इसे भी पढ़ें- रिटायर शिक्षाकर्मियों के लिए वरदान बना पेंशन कोर्ट, ऑन द स्पॉट होता है समस्याओं का समाधन
वृद्धाश्रम का बढ़ा है चलन
झारखंड में वृद्धाश्रम खोलने का चलन बढ़ा है. इसके पीछे की सच्चाई यह है कि बदलते समय के साथ संतान अपने बुढ़े मां-बाप को अपने साथ रखने के बजाए वृद्धाश्रम में रखना ज्यादा उचित समझते हैं. इनके लिए वृद्धाश्रम में भारी भरकम राशि खर्च होना कोई मायने नहीं रखता. एक आंकड़े के मुताबिक राजधानी रांची सहित पूरे राज्यभर में लगभग 121 वृद्धाश्रम हैं. जहां बड़ी संख्या में बुजुर्ग रहते हैं. राजधानी रांची में ही बरियातू, लटमा रोड, मांडर, कांके सहित कई स्थानों पर वृद्धाश्रम सरकारी-गैरसरकारी संस्थाओं द्वारा संचालित है. सरकारी वृद्धाश्रम की बात करें तो विभाग द्वारा सामाजिक संगठनों के माध्यम से रांची, धनबाद, गिरिडीह, हजारीबाग, देवघर, पश्चिमी सिंहभूम, सिमडेगा, गढ़वा, बोकारो और लोहरदगा में संचालित किए जा रहे हैं.
बुजुर्ग क्यों रहते थे पेंशन से दूर
केंद्र और राज्य सरकार द्वारा पूर्व से ही ये Pension Schemes संचालित हैं. लेकिन इनकी कार्यशैली और क्रियान्यवयन की वजह से बुजुर्गों को काफी दिक्कतें पेश आती थीं. पूर्व में इन योजनाओं को लागू करने के लिए लक्ष्य यानी सीमित संख्या में लाभुकों का चयन किया जाता था. ऐसे में लक्ष्य पूर्ण होने पर कई जरूरतमंद योजना का लाभ लेने से वंचित रह जाते थे. सभी को योजना का लाभ देने के लिए सरकार ने पहले की विसंगतियों को दूर करते हुए हर उस व्यक्ति को यूनिवर्सल पेंशन योजना से जोड़ने का फैसला लिया है जो इसकी पात्रता रखता है. झारखंड सरकार की Women Child Development and Social Security Department के माध्यम से इस पेंशन योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है. राज्य सरकार ने इसके लिए 100 करोड़ आवंटित किया है, जिसके तहत हर महीने की 5 तारीख को लाभुक के खाते में एक हजार रुपया जमा होगा.
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना
इस योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे के वैसे महिला/पुरूष जिनकी आयु 60 वर्ष या इससे अधिक हो एवं जो गरीबी रेखा में सम्मिलित हों. उनको पेंशन भुगतान के लिए प्रतिमाह प्रति व्यक्ति 600 रुपये देने का प्रावधान है. साथ ही जिनकी आयु 80 वर्ष या इससे अधिक हो, उनको पेंशन भुगतान के लिए प्रतिमाह प्रति व्यक्ति 700 रुपये देने का प्रावधान है.
राज्य सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना
इस योजना के तहत वैसे वृद्ध-वृद्धा, असहाय, निर्धन व्यक्ति जिनकी वार्षिक आय सभी श्रोतों से शहरी श्रेत्र में 12 हजार 500 रुपया एवं ग्रामीण श्रेत्र में 10 हजार 500 रुपया से अधिक ना हो एवं उम्र 60 वर्ष या उससे अधिक हो. इसके अलावा विधवा, दिव्यांग, अपंग, वियुक्त, बंधुआ मजदूरों के लिए न्यूनतम उम्र सीमा 18 वर्ष या अधिक हो, उनको पेंशन भुगतान के लिए प्रतिमाह प्रति व्यक्ति 600 रुपये देने का प्रावधान है.
इसे भी पढ़ें- जानिए झारखंड सरकार का क्या है यूनिवर्सल पेंशन स्कीम, कौन-कौन होंगे लाभान्वित
मददगार साबित होता Universal Pension Scheme
इस योजना का लाभ लेने के लिए प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाना इनके लिए मुमकिन नहीं था. शायद यही वजह है कि 85 पार कर चुके साधु लोहरा पेंशन पाने से अब तक दूर हैं. साधु लोहरा जैसे कई हैं जो उम्र के इस पड़ाव पर कोई भी आय के साधन नहीं होने से दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. ऐसे में इन वृद्धों के लिए सरकारी पेंशन से मिलने वाली राशि किसी संजीवनी से कम नहीं, जो उनकी छोटी-मोटी जरुरतों को पूरा करने में मददगार साबित होता है.
15 लाख अतिरिक्त वृद्धों को पेंशन से जोड़ने का लक्ष्य
झारखंड सरकार ने Universal Pension Scheme शुरू की है. जिसके तहत अब सरकारी सेवकों की तरह हर महीने निर्धारित तारीख को एक हजार रुपया लाभुकों के खाते में पहुंच जाएंगे. इससे पहले केंद्र और राज्य सरकार की ओर से संचालित पेंशन योजना से करीब 17 लाख लोग जुड़े थे. सरकारी अनुमान के मुताबिक 60 से ऊपर के छूटे हुए करीब 25 लाख लोग हैं, जिन्हें किसी तरह का पेंशन नहीं मिलता है. ऐसे सभी लोगों को इससे जोड़ने का लक्ष्य बनाया गया है.
क्या है यूनिवर्सल पेंशन स्कीम
समाज कल्याण विभाग के निदेशक ए दोड्डे ने कहा है कि आपका अधिकार आपके द्वार आपकी सरकार अभियान के तहत जागरूकता चलाकर कैंप्स के माध्यम से आवेदन जमा हो रहे हैं. सिर्फ Aadhar Card और Voter ID दिखाकर पेंशन योजना से 60 वर्ष पूरा करने वाले हर नागरिक इससे जुड़ सकते हैं. उम्मीद है कि 29 दिसंबर तक चलनेवाले इस अभियान में 15 लाख और लोग जुड़ेंगे. यूनिवर्सल पेंशन स्कीम के माध्यम से सरकार ने वैसे बुजुर्गों कि आंसू पोछने का काम किया है, जिन्हें अपनों ने ठुकरा दिया है. वृद्धावस्था पेंशन के जरिए मिलने वाली राशि भले ही एक हजार रुपया ही है मगर यह समय पर मिल जाए तो इन बुजुर्गो की छोटी-मोटी जरुरतों को पूरा करने के लिए यह राहत भरी सौगात जैसी होगी.