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तमाड़ की जनता की अग्नि परीक्षा, पिता की हत्या के आरोपी और साजिशकर्ता से बेटे की होगी जंग

रांची जिले की तमाड़ विधानसभा सीट हमेशा से सुर्खियों में रही है. साल 2009 में शिबू सोरेन मुख्यमंत्री रहते हुए यहां उपचुनाव हार गए थे और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा था. अब एक बार फिर अनूठा समीकरण बना है. इस सीट पर एक बेटा, उसके पिता की हत्या का आरोपी और हत्याकांड का साजिशकर्ता तीनों चुनावी मैदान में हैं.

तमाड़ विधानसभा सीट
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Published : Nov 20, 2019, 5:59 PM IST

रांची: झारखंड में रांची जिले की तमाड़ विधानसभा सीट की चर्चा इन दिनों राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है. इसकी वजह है वे तीन चेहरे जो एक दूसरे से कनेक्टेड हैं . इसमें पहला नाम है विकास सिंह मुंडा, जिनके पिता रमेश सिंह मुंडा की हत्या कर दी गई थी. दूसरा है कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन, जिसपर हत्या का आरोप है और तीसरे शख्स हैं गोपाल कृष्ण पातर उर्फ राजा पीटर, जो इस हत्याकांड की साजिश के आरोप में सलाखों के पीछे हैं.

देखिए स्पेशल स्टोरी

तमाड़ में राजनीति की इस बिसात को समझने के लिए 11 साल पीछे जाना होगा. तारीख थी 9 जुलाई 2008, जगह था बुंडू के बारूहातू गांव का स्कूल. एक कार्यक्रम के सिलसिले में स्कूली बच्चे झारखंड के पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा के स्वागत की तैयारी कर रहे थे. तभी घात लगाए नक्सलियों ने रमेश सिंह मुंडा को गोलियों से भून डाला. यह हमला क्यों हुआ, किसने किया और किसने कराया, इन सवालों का जवाब 9 साल बाद मिला जब इसी क्षेत्र के कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन ने 14 मई 2017 में पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया.

नक्सली से नेता बनने की चाहत
सरेंडर के बाद कुंदन पाहन ने पुलिस की मौजूदगी में मीडिया ब्रिफिंग की थी. उसी वक्त कुंदन ने अपनी मंशा जाहिर कर दी थी. पत्रकारों के सवाल के जवाब में उसने कहा था कि वह राजनीति में जरूर उतरेगा. 44 संगीन मामलों के आरोपी कुंदन को इतना कांफिडेंस था कि उसपर कोई भी आरोप साबित नहीं हो सकेगा और जल्द ही उसकी रिहाई हो जाएगी. लेकिन परिस्थितियां बदल गई.

ये भी पढ़ें: कांग्रेस के चुनावी कार्यक्रम से दूर सुबोधकांत सहाय, टिकट बंटवारे से हैं नाराज!
एनआईए जांच में बड़ा खुलासा
कुंदन पाहन के आत्मसमर्पण के बाद तमाड़ से आजसू के विधायक विकास सिंह मुंडा यह कहते हुए अनशन पर बैठ गए कि उनके पिता की हत्या कुंदन ने ही की है लिहाजा, इस पूरे मामले की जांच सीबीआई या एनआईए को दी जानी चाहिए. आजसू पार्टी सरकार में शामिल थी इसलिए सरकार ने भी जांच की अनुशंसा कर दी. यहीं से एक चौकाने वाली बात सामने आई. एनआईए की जांच में यह बात सामने आई कि रमेश सिंह मुंडा की हत्या करवाने में पूर्व विधायक गोपाल कृष्ण पातर उर्फ राजा पीटर का हाथ था. उसी ने कुंदन को हत्या की जिम्मेवारी सौंपी थी. जांच की सूई घूमते ही राजा पीटर सलाखों के पीछे चले गए.

क्यों हुई रमेश सिंह मुंडा की हत्या
कहा जाता है कि राजा पीटर को सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने का जुनून सवार था. वह तमाड़ से चुनाव जीतना चाहता था लेकिन तमाड़ के लोकप्रिय नेता रमेश सिंह मुंडा उसके आड़े आ रहे थे. इसी वजह से उसने रमेश सिंह मुंडा की हत्या की साजिश रच डाली. फौरी तौर पर राजा पीटर को इसका फायदा भी मिल गया.

जुनून ने पहुंचाया जेल
रमेश सिंह मुंडा की हत्या के बाद मधु कोड़ा की सरकार से कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया और शिबू सोरेन सत्ता पर काबिज हो गए. अब शिबू को छह माह के भीतर विधानसभा का चुनाव लड़ना था. तब उन्हें तमाड़ की खाली पड़ी सीट नजर आई. उन्हें नहीं मालूम था कि वह राजा पीटर के एंबुस में फंस चुके हैं. नक्सलियों के समर्थन से राजा पीटर ने एक मुख्यमंत्री को धूल चटा दी.

लिहाजा, शिबू सोरेन की सरकार गिर गई और राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया, जिसके बाद 2009 के नवंबर-दिसंबर में हुए चुनाव में राजा पीटर जेडीयू के टिकट पर तमाड़ से चुनाव जीता. 2010 में अर्जुन मुंडा के मंत्रिमंडल में उन्हें मंत्री बनाया गया. 2014 में राजा पीटर ने जेडीयू से बीजेपी में शामिल हो गया, लेकिन एनडीए गठबंधन के तहत ये सीट आजसू को चली गई. जिसके बाद वो तमाड़ से निर्दलीय चुनाव लड़ा और आजसू के विकास मुंडा से चुनाव हार गया. इसके कुछ साल बाद एनआईए जांच में राजा पीटर साजिशकर्ता के रूप में सामने आए और उन्हें जेल भेज दिया गया.

ये भी पढ़ें: सरयू राय को मिला नीतीश कुमार का साथ, पक्ष में प्रचार करने आएंगे जमशेदपुर
तमाड़ में फिर घूमा वक्त का पहिया
2019 के विधानसभा चुनाव के शोर के बीच तमाड़ एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. 2014 में तो विकास को यह भी मालूम नहीं था कि उन्होंने जिस राजा पीटर को हराया है वह उनके पिता की हत्या का साजिशकर्ता निकलेगा. इस बार विकास के सामने पिता की हत्या का न सिर्फ साजिशकर्ता राजा पीटर है बल्कि हत्या का आरोपी कुंदन पाहन भी आ धमका है. अब तमाड़ की जनता की बारी है.

कौन है राजा पीटर
गोपाल कृष्ण पातर उर्फ राजा पीटर पर पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा की हत्या की साजिश रचने का आरोप है. एनआईए के मुताबिक रमेश मुंडा की हत्या के लिए राजा पीटर ने कुंदन पाहन को पांच करोड़ रुपए दिए थे. रमेश सिंह मुंडा की हत्या के बाद तमाड़ विधानसभा उपचुनाव में राजा पीटर ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को हराया था. अर्जुन मुंडा की सरकार में राजा पीटर उत्पाद एवं मद्य निषेद मंत्री रह चुके हैं. राजा पीटर मैट्रिक पास हैं. इनके पास कुल 11 लाख 88 हजार 253 रुपए नगद के अलावा 17.18 लाख की चल और 1.7 करोड़ की अचल संपत्ति है.

कौन है कुंदन पाहन
कुंदन पाहन का असली नाम बीर सिंह पाहन है. खूंटी जिले के अड़की प्रखंड स्थित बारीगड़ा गांव के रहने वाले कुंदन ने पारिवारिक जमीन पर आपसी कलह के बाद हथियारउठा लिया था. उनके दो भाइयों ने भी माओवादियों से हाथ मिला लिया था. हालांकि उसके एक भाई दिंबा पाहन ने पहले ही आत्मसमर्पण कर दिया था जबकि दूसरे भाई श्याम पाहन को पुलिस ने पंजाब से गिरफ्तार किया था. कुंदन पर कुल 128 मामले दर्ज हैं.

बताया जाता है कि साल 1999 में खूंटी जिले के एक गांव में नक्सली नेताओं की मीटिंग चल रही थी. मीटिंग खत्म होने के बाद वहां पर 16 साल का एक लड़का आया, जिसे पुलिस से इंसाफ नही मिला था. उस लड़के की जमीन पर रिश्तेदारों ने कब्जा कर लिया था. नक्सली नेताओं ने उसे जमीन वापस दिलाने का वायदा किया और उसे जमींदारों के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ने और संगठन में शामिल होने की बात कही. इस तरह 16 साल का लड़का रक्त रंजित नक्सल आंदोलन में शामिल हो गया. आगे चलकर यही लड़का कुंदन पाहन के नाम से कुख्यात हुआ.

ये भी पढ़ें: सीएम रघुवर दास से पूछेंगे 11 दिन में 11 सवाल, देना होगा जवाब, नहीं तो करूंगा खुलासा: गौरव वल्लभ
साल 1999 में संगठन में शामिल होने के बाद कुंदन झारखंड के नक्सल इतिहास में आतंक का दूसरा नाम बन गया. मात्र एक तस्वीर के बल पर झारखंड पुलिस उसे 18 सालों तक खोजती रही. इस दौरान कुंदन पर हत्या, डकैती सहित 128 आपराधिक मामले दर्ज हो चुके थे. जमशेदपुर के तत्कालीन सांसद सुनील महतो, पूर्व मंत्री और विधायक रमेश सिंह मुंडा, बुंडू के डीएसपी प्रमोद कुमार सहित छह पुलिसकर्मी और स्पेशल ब्रांच के इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार की हत्या का आरोप कुंदन पर है. इतना ही नहीं तमाड़ में एक निजी बैंक के पांच करोड़ रुपये और एक किलो सोना लूटने में भी कुंदन पाहन मुख्य आरोपी था. कुंदन पाहन पर डीएसपी और इंस्पेक्टर की हत्या समेत खूंटी जिले में 50, रांची में 42, चाईबासा में 27, सरायकेला में 7 और गुमला में एक मामला दर्ज हैं.

रांची: झारखंड में रांची जिले की तमाड़ विधानसभा सीट की चर्चा इन दिनों राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है. इसकी वजह है वे तीन चेहरे जो एक दूसरे से कनेक्टेड हैं . इसमें पहला नाम है विकास सिंह मुंडा, जिनके पिता रमेश सिंह मुंडा की हत्या कर दी गई थी. दूसरा है कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन, जिसपर हत्या का आरोप है और तीसरे शख्स हैं गोपाल कृष्ण पातर उर्फ राजा पीटर, जो इस हत्याकांड की साजिश के आरोप में सलाखों के पीछे हैं.

देखिए स्पेशल स्टोरी

तमाड़ में राजनीति की इस बिसात को समझने के लिए 11 साल पीछे जाना होगा. तारीख थी 9 जुलाई 2008, जगह था बुंडू के बारूहातू गांव का स्कूल. एक कार्यक्रम के सिलसिले में स्कूली बच्चे झारखंड के पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा के स्वागत की तैयारी कर रहे थे. तभी घात लगाए नक्सलियों ने रमेश सिंह मुंडा को गोलियों से भून डाला. यह हमला क्यों हुआ, किसने किया और किसने कराया, इन सवालों का जवाब 9 साल बाद मिला जब इसी क्षेत्र के कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन ने 14 मई 2017 में पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया.

नक्सली से नेता बनने की चाहत
सरेंडर के बाद कुंदन पाहन ने पुलिस की मौजूदगी में मीडिया ब्रिफिंग की थी. उसी वक्त कुंदन ने अपनी मंशा जाहिर कर दी थी. पत्रकारों के सवाल के जवाब में उसने कहा था कि वह राजनीति में जरूर उतरेगा. 44 संगीन मामलों के आरोपी कुंदन को इतना कांफिडेंस था कि उसपर कोई भी आरोप साबित नहीं हो सकेगा और जल्द ही उसकी रिहाई हो जाएगी. लेकिन परिस्थितियां बदल गई.

ये भी पढ़ें: कांग्रेस के चुनावी कार्यक्रम से दूर सुबोधकांत सहाय, टिकट बंटवारे से हैं नाराज!
एनआईए जांच में बड़ा खुलासा
कुंदन पाहन के आत्मसमर्पण के बाद तमाड़ से आजसू के विधायक विकास सिंह मुंडा यह कहते हुए अनशन पर बैठ गए कि उनके पिता की हत्या कुंदन ने ही की है लिहाजा, इस पूरे मामले की जांच सीबीआई या एनआईए को दी जानी चाहिए. आजसू पार्टी सरकार में शामिल थी इसलिए सरकार ने भी जांच की अनुशंसा कर दी. यहीं से एक चौकाने वाली बात सामने आई. एनआईए की जांच में यह बात सामने आई कि रमेश सिंह मुंडा की हत्या करवाने में पूर्व विधायक गोपाल कृष्ण पातर उर्फ राजा पीटर का हाथ था. उसी ने कुंदन को हत्या की जिम्मेवारी सौंपी थी. जांच की सूई घूमते ही राजा पीटर सलाखों के पीछे चले गए.

क्यों हुई रमेश सिंह मुंडा की हत्या
कहा जाता है कि राजा पीटर को सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने का जुनून सवार था. वह तमाड़ से चुनाव जीतना चाहता था लेकिन तमाड़ के लोकप्रिय नेता रमेश सिंह मुंडा उसके आड़े आ रहे थे. इसी वजह से उसने रमेश सिंह मुंडा की हत्या की साजिश रच डाली. फौरी तौर पर राजा पीटर को इसका फायदा भी मिल गया.

जुनून ने पहुंचाया जेल
रमेश सिंह मुंडा की हत्या के बाद मधु कोड़ा की सरकार से कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया और शिबू सोरेन सत्ता पर काबिज हो गए. अब शिबू को छह माह के भीतर विधानसभा का चुनाव लड़ना था. तब उन्हें तमाड़ की खाली पड़ी सीट नजर आई. उन्हें नहीं मालूम था कि वह राजा पीटर के एंबुस में फंस चुके हैं. नक्सलियों के समर्थन से राजा पीटर ने एक मुख्यमंत्री को धूल चटा दी.

लिहाजा, शिबू सोरेन की सरकार गिर गई और राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया, जिसके बाद 2009 के नवंबर-दिसंबर में हुए चुनाव में राजा पीटर जेडीयू के टिकट पर तमाड़ से चुनाव जीता. 2010 में अर्जुन मुंडा के मंत्रिमंडल में उन्हें मंत्री बनाया गया. 2014 में राजा पीटर ने जेडीयू से बीजेपी में शामिल हो गया, लेकिन एनडीए गठबंधन के तहत ये सीट आजसू को चली गई. जिसके बाद वो तमाड़ से निर्दलीय चुनाव लड़ा और आजसू के विकास मुंडा से चुनाव हार गया. इसके कुछ साल बाद एनआईए जांच में राजा पीटर साजिशकर्ता के रूप में सामने आए और उन्हें जेल भेज दिया गया.

ये भी पढ़ें: सरयू राय को मिला नीतीश कुमार का साथ, पक्ष में प्रचार करने आएंगे जमशेदपुर
तमाड़ में फिर घूमा वक्त का पहिया
2019 के विधानसभा चुनाव के शोर के बीच तमाड़ एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. 2014 में तो विकास को यह भी मालूम नहीं था कि उन्होंने जिस राजा पीटर को हराया है वह उनके पिता की हत्या का साजिशकर्ता निकलेगा. इस बार विकास के सामने पिता की हत्या का न सिर्फ साजिशकर्ता राजा पीटर है बल्कि हत्या का आरोपी कुंदन पाहन भी आ धमका है. अब तमाड़ की जनता की बारी है.

कौन है राजा पीटर
गोपाल कृष्ण पातर उर्फ राजा पीटर पर पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा की हत्या की साजिश रचने का आरोप है. एनआईए के मुताबिक रमेश मुंडा की हत्या के लिए राजा पीटर ने कुंदन पाहन को पांच करोड़ रुपए दिए थे. रमेश सिंह मुंडा की हत्या के बाद तमाड़ विधानसभा उपचुनाव में राजा पीटर ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को हराया था. अर्जुन मुंडा की सरकार में राजा पीटर उत्पाद एवं मद्य निषेद मंत्री रह चुके हैं. राजा पीटर मैट्रिक पास हैं. इनके पास कुल 11 लाख 88 हजार 253 रुपए नगद के अलावा 17.18 लाख की चल और 1.7 करोड़ की अचल संपत्ति है.

कौन है कुंदन पाहन
कुंदन पाहन का असली नाम बीर सिंह पाहन है. खूंटी जिले के अड़की प्रखंड स्थित बारीगड़ा गांव के रहने वाले कुंदन ने पारिवारिक जमीन पर आपसी कलह के बाद हथियारउठा लिया था. उनके दो भाइयों ने भी माओवादियों से हाथ मिला लिया था. हालांकि उसके एक भाई दिंबा पाहन ने पहले ही आत्मसमर्पण कर दिया था जबकि दूसरे भाई श्याम पाहन को पुलिस ने पंजाब से गिरफ्तार किया था. कुंदन पर कुल 128 मामले दर्ज हैं.

बताया जाता है कि साल 1999 में खूंटी जिले के एक गांव में नक्सली नेताओं की मीटिंग चल रही थी. मीटिंग खत्म होने के बाद वहां पर 16 साल का एक लड़का आया, जिसे पुलिस से इंसाफ नही मिला था. उस लड़के की जमीन पर रिश्तेदारों ने कब्जा कर लिया था. नक्सली नेताओं ने उसे जमीन वापस दिलाने का वायदा किया और उसे जमींदारों के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ने और संगठन में शामिल होने की बात कही. इस तरह 16 साल का लड़का रक्त रंजित नक्सल आंदोलन में शामिल हो गया. आगे चलकर यही लड़का कुंदन पाहन के नाम से कुख्यात हुआ.

ये भी पढ़ें: सीएम रघुवर दास से पूछेंगे 11 दिन में 11 सवाल, देना होगा जवाब, नहीं तो करूंगा खुलासा: गौरव वल्लभ
साल 1999 में संगठन में शामिल होने के बाद कुंदन झारखंड के नक्सल इतिहास में आतंक का दूसरा नाम बन गया. मात्र एक तस्वीर के बल पर झारखंड पुलिस उसे 18 सालों तक खोजती रही. इस दौरान कुंदन पर हत्या, डकैती सहित 128 आपराधिक मामले दर्ज हो चुके थे. जमशेदपुर के तत्कालीन सांसद सुनील महतो, पूर्व मंत्री और विधायक रमेश सिंह मुंडा, बुंडू के डीएसपी प्रमोद कुमार सहित छह पुलिसकर्मी और स्पेशल ब्रांच के इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार की हत्या का आरोप कुंदन पर है. इतना ही नहीं तमाड़ में एक निजी बैंक के पांच करोड़ रुपये और एक किलो सोना लूटने में भी कुंदन पाहन मुख्य आरोपी था. कुंदन पाहन पर डीएसपी और इंस्पेक्टर की हत्या समेत खूंटी जिले में 50, रांची में 42, चाईबासा में 27, सरायकेला में 7 और गुमला में एक मामला दर्ज हैं.

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