रांची: रिम्स के ट्रॉमा सेंटर में दो ओटी की शुरुआत की गई है, जिससे गंभीर मरीजों को इमरजेंसी के बजाय अब सीधे ट्रॉमा सेंटर में भर्ती किया जा सकेगा. नई ओटी की शुरुआत होने के बाद डॉक्टर प्रदीप भट्टाचार्य ने बताया कि ट्रॉमा सेंटर में ओटी की शुरुआत और उपकरणों के इंस्टॉलेशन होने के बाद ट्रॉमा सेंटर पूर्णरूप से शुरू हो चुका है. इसमें सड़क हादसे में घायल गंभीर मरीज या अन्य कारणों से आए गंभीर मरीजों को सीधा भर्ती किया जाएगा और अगर मरीज को सर्जरी और ऑपरेट करने की जरूरत पड़ी तो ऐसे मरीजों का भी अब पूरा इलाज हो सकेगा.
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डॉक्टर प्रदीप भट्टाचार्य ने बताया कि ओटी की सुविधा बहाल होने से ट्रॉमा सेंटर इमेरजेंसी के अनुसार पूरी तरह तैयार हो चुका है. ऑपरेशन थियेटर टेबल लाइट समेत अन्य उपकरण लगाकर चालू कर दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि पहले पुराने इमरजेंसी में मरीजों के अनुसार बेड की काफी कमी थी जिस कारण मरीजों का उपचार करने में परेशानी होती थी. लेकिन ट्रॉमा सेंटर में ओटी की सुविधा देने के बाद अब मरीजों को प्राइवेट अस्पताल के तर्ज पर ट्रीटमेंट हो सकेगा. वहीं, डॉक्टर प्रदीप भट्टाचार्य ने बताया कि ओटी की सुविधा जरूर बहाल कर दी गई है लेकिन अभी भी मैनपावर जैसे नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ सहित कई कर्मचारियों की कमी है जिस कारण ऑपरेशन के बाद मरीजों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
रिम्स के ट्रॉमा सेंटर में ओटी की शुरुआत में अहम योगदान निभा रहे ऑर्थोपेडिक्स विभाग के हेड डॉक्टर एल बी मांझी बताते हैं कि ओटी में नई व्यवस्था चालू होने के बाद अब त्वरित ऑपरेशन करने वाले मरीजों का भी अच्छे से उपचार हो सकेगा. वहीं, ट्रॉमा सेंटर में इलाज करा रहे मरीज बताते हैं कि ट्रॉमा सेंटर खुलने के बाद राज्य के मरीजों को सीधा लाभ मिल रहा है क्योंकि यहां पर आधुनिक सुविधा के कारण प्राइवेट तर्ज पर मरीजों का हर संभव इलाज हो पाता है.
रिम्स के ट्रॉमा सेंटर में ओटी शुरुआत होने पर ट्रॉमा सेंटर के हेड डॉक्टर प्रदीप भट्टाचार्य ने बताया कि इस सुविधा की शुरुआत में ऑर्थोपेडिक्स विभाग के हेड डॉ एलबी मांझी, असिस्टेंट प्रोफेसर सौभिक दास, डॉ शशि, डॉ आशीष, डॉ राजेश थापा, डॉक्टर तुषार का अहम योगदान रहा है.