रांची: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पूरे देश के साथ-साथ राजधानी रांची में भी लॉकडाउन जारी है, जिसके बाद सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों के पहिए भी थम गए हैं. वाहनों के पहिए थमने के साथ ही ट्रांसपोर्ट व्यापार से जुड़े लोगों कि मानो तो जिंदगी भी ठहर सी गई हो.
लॉकडाउन में फंसे ट्रक ड्राइवर
लॉकडाउन का ऐलान होते ही पूरे देश में जो लोग जहां थे वहीं रुक से गए हैं. लॉकडाउन में अपने ट्रकों के साथ फंसे चालक बताते हैं कि मंडी में सब्जी और खाद्य पहुंचाने के बाद हम लौट रहे थे कि अचानक हमलोगों को लॉकडाउन के कारण लंबे समय के लिए रुकना पड़ गया. पूरे देश के साथ-साथ राजधानी रांची में भी कई ऐसे ट्रक चालक हैं जो पिछले 16 दिन से जिस हाल में रुके थे उसी हाल में रहने को मजबूर हैं, क्योंकि यह सभी ट्रक चालक को कहीं से अनुमान नहीं था कि रात के अंधेरों को चीरती हुई तूफान की तरह जा रहे इनके ट्रक के पहिए में अचानक ब्रेक लग जाएगा.
दूसरों को पहुंचाया खाना
सरकार के निर्देश के बाद ट्रक चालकों ने कोरोना वायरस के कारण आए संकट में देशवासियों के लिए खाना और खाद्य सामग्री तो पहुंचा दिया, लेकिन अब यही लोग खुद खाने के लिए मोहताज हो रहे हैं. झारखंड में लगभग 30 हजार से ज्यादा रजिस्टर ट्रक हैं, जो झारखंड राज्य और आसपास के विभिन्न राज्यों में सामान ले जाने और पहुंचाने का काम करते हैं, लेकिन पिछले 16 दिनों से राजधानी सहित राज्य के विभिन्न जिलों में लॉकडाउन होने के कारण यह सभी लोग अपने ट्रकों के साथ नेशनल हाईवे पर बैठे हैं. अब इन ट्रक ड्राइवरों के पास न तो पर्याप्त मात्रा में कपड़े हैं और न ही पैसे.
ट्रक मालिक ने भी छोड़ा साथ
अपनी ट्रक को लेकर महाराष्ट्र जा रहे रिंग रोड पर फंसे ट्रक चालकों का कहना है कि कई ट्रकों में व्यापारियों के माल भी लदे हुए हैं, लेकिन हम लोग लॉकडाउन के कारण माल लेकर ट्रक के साथ फंस गए हैं. वहीं, दूसरे ट्रक ड्राइवर राम प्रताप तिवारी अपनी मजबूरी बताते हुए कहते हैं कि एक तो हम लोग बिना खाना और पैसे के पिछले 16 दिनों से एक जगह रुके हुए हैं. इसके साथ ही हमारे ऐसे हालात में अब ट्रक मालिक भी हमारा साथ छोड़ रहे हैं.
तीन दिन से नहीं मिला खाना
वहीं, एक तरफ सरकार सभी लोगों को खाना मुहैया कराने की बात कर रही है, लेकिन दूसरी ओर शहर के बाहरी इलाके में नेशनल हाईवे, रिंग रोड पर फंसे ट्रक ड्राइवरों के पास न तो कोई सामाजिक संस्था खाना लेकर पहुंच रही है न तो किसी सरकारी व्यवस्था के तहत खाना पहुंच पा रहा है. ऐसे में रोड पर फंसे ट्रक ड्राइवरों को तीन-तीन दिनों तक खाना नहीं मिल पा रहा है. हाईवे पर फंसे ट्रक ड्राइवर अपनी आपबीती सुनाते हुए बताते हैं कि लॉकडाउन होने के कारण ढाबा और होटल भी बंद है और शहर का बाहरी इलाका होने के कारण न तो कोई सामाजिक संस्था खाना पहुंचा पा रही है और न ही सरकारी अमला द्वारा किसी तरह की कोई तैयारी है.
सरकार करें सहायता
वहीं, ट्रक ओनर एसोसिएशन के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष दीपक ओझा बताते हैं कि जिस प्रकार से हम लोगों का आर्थिक नुकसान हो रहा है. ऐसे में हमलोगों को अपने ड्राइवर और खलासी को घर से खाना खिलाना पर रहा है जिसकी भरपाई करना हमारे लिए काफी मुश्किल हो गया है. उन्होंने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि ऐसे हालत में सरकार को ट्रांसपोर्ट से जुड़े लोगों के लिए विशेष पैकेज देनी चाहिए ताकि हम लोग भी लोगों को अपना सेवा देते रहें. गाड़ी का टैक्स, इंश्योरेंस और फिटनेस चार्ज में सरकार द्वारा अभी रियायत देनी चाहिए क्योंकि लॉकडाउन होने के कारण सभी गाड़ी मालिकों की कमाई भी ठप हो गई है.
सरकार से मिली है अनुमति
वहीं, हाईवे पर फंसे ट्रकों के कारण मंडियों में भी ट्रकों की संख्या कम देखी जा रही है. हालांकि, सरकार के द्वारा खाद आपूर्ति वाहनों को जाने की अनुमति दे दी गई है, लेकिन जो ट्रक मंडी में सामान पहुंचाकर मंडी से बाहर लौट रहे हैं. वह ट्रक उसी जिले में रुकने को मजबूर हैं क्योंकि उनके पास न तो वापस जाने के लिए कोई वर्क आर्डर है और खाली ट्रक वापस ले जाने में उन्हें सीधा नुकसान हो रहा है.
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मजबूर हैं ट्रक ड्राइवर
वहीं, परिवहन विभाग के द्वारा राज्य के सभी उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी किया गया है कि जो भी महत्वपूर्ण सामान वाले ट्रक बीच रास्तों पर फंसे हैं. उन्हें जल्द से जल्द अपने गंतव्य स्थान पर जाने की अनुमति दी जाए, लेकिन ईटीवी भारत ने इन ट्रक ड्राइवरों के हालात को जाना तो स्थिति कुछ और ही है. अब ऐसे में शहर के बाहरी इलाकों में फंसे ट्रक ड्राइवर बिना किसी संसाधन और सुविधा के अपनी जिंदगी बिताने को मजबूर हैं.