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RIMS में नियुक्ति मामले और विस्थापितों के अधिकार के लिए बैठक, आदिवासी संयुक्त मोर्चा का गठन

रांची में आदिवासियों की जन मुद्दों को लेकर कई आदिवासी सामाजिक संगठनों ने बैठक की. बैठक में मुख्य रूप से रिम्स में हुए नियुक्ति घोटाला मामला और रिम्स के विस्थापितों को अधिकार दिलाने को लेकर चर्चा की गई. झारखंड आदिवासी संयुक्त मोर्चा का मानना है कि रिम्स के निदेशक ने सरकार के नियम कानून को ताक में रखकर आरक्षण नीति को दरकिनार किया है. जिस पर अपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए.

Tribal social organizations did meeting in Ranchi
आदिवासी सामाजिक संगठनों ने बैठक की
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Published : Jun 24, 2020, 8:39 PM IST

रांचीः आदिवासियों की जन मुद्दों को लेकर कई आदिवासी सामाजिक संगठनों ने बैठक की. इस दौरान सर्वसम्मति से झारखंड आदिवासी संयुक्त मोर्चा का गठन किया गया. बैठक में मुख्य रूप से रिम्स में हुए नियुक्ति घोटाला मामला और रिम्स के विस्थापितों को अधिकार दिलाने को लेकर चर्चा की गई.

देखें पूरी खबर
झारखंड आदिवासी संयुक्त मोर्चा का मानना है कि रिम्स के निदेशक ने सरकार के नियम कानून को ताक में रखकर आरक्षण नीति को दरकिनार किया है. जिस पर अपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए. इसके साथ ही राज्य सरकार से मांग की है कि पूर्ववर्ती सरकार के द्वारा बनाए गए स्थानीय नियोजन नीति को खारिज कर आदिवासी मूल निवासियों के हित में स्थानीय नियोजन नीति बनाया जाए. इसके साथ ही राज्य में हुए विस्थापितों को उनका अधिकार मिले. इसे लेकर समिति गठन कर रोजगार और रहने की व्यवस्था कराया जाए. इन सभी मुद्दों पर सरकार पहल नहीं करती है, तो आने वाले दिनों में समिति उग्र आंदोलन करने की रणनीति बनाने को तैयार है.

ये भी पढ़ें- RIMS निदेशक के इस्तीफे पर सरकार का नहीं आया कोई जवाब, जल्द AIMS ज्वाइन करेंगे डॉ डीके सिंह


झारखंड आदिवासी संयुक्त मोर्चा के डॉक्टर करमा उरांव ने कहा कि झारखंड राज्य में संयोगवश पहली बार आदिवासी राज्यपाल, मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष एवं केंद्रीय कल्याण मंत्री होने के बावजूद राज्य की कार्यप्रणाली धराशाई है. उन्होंने कहा कि रिम्स नियुक्ति में हुए गड़बड़ी और सीबीआई जांच करने की मांग और इसमें शामिल सभी आरोपियों को अविलंब गिरफ्तार की मांग की है. वहीं उन्होंने कहा कि रिम्स निदेशक के खिलाफ झारखंड आदिवासी संयुक्त मोर्चा मुकदमा दर्ज कराएगी.

रांचीः आदिवासियों की जन मुद्दों को लेकर कई आदिवासी सामाजिक संगठनों ने बैठक की. इस दौरान सर्वसम्मति से झारखंड आदिवासी संयुक्त मोर्चा का गठन किया गया. बैठक में मुख्य रूप से रिम्स में हुए नियुक्ति घोटाला मामला और रिम्स के विस्थापितों को अधिकार दिलाने को लेकर चर्चा की गई.

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झारखंड आदिवासी संयुक्त मोर्चा का मानना है कि रिम्स के निदेशक ने सरकार के नियम कानून को ताक में रखकर आरक्षण नीति को दरकिनार किया है. जिस पर अपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए. इसके साथ ही राज्य सरकार से मांग की है कि पूर्ववर्ती सरकार के द्वारा बनाए गए स्थानीय नियोजन नीति को खारिज कर आदिवासी मूल निवासियों के हित में स्थानीय नियोजन नीति बनाया जाए. इसके साथ ही राज्य में हुए विस्थापितों को उनका अधिकार मिले. इसे लेकर समिति गठन कर रोजगार और रहने की व्यवस्था कराया जाए. इन सभी मुद्दों पर सरकार पहल नहीं करती है, तो आने वाले दिनों में समिति उग्र आंदोलन करने की रणनीति बनाने को तैयार है.

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झारखंड आदिवासी संयुक्त मोर्चा के डॉक्टर करमा उरांव ने कहा कि झारखंड राज्य में संयोगवश पहली बार आदिवासी राज्यपाल, मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष एवं केंद्रीय कल्याण मंत्री होने के बावजूद राज्य की कार्यप्रणाली धराशाई है. उन्होंने कहा कि रिम्स नियुक्ति में हुए गड़बड़ी और सीबीआई जांच करने की मांग और इसमें शामिल सभी आरोपियों को अविलंब गिरफ्तार की मांग की है. वहीं उन्होंने कहा कि रिम्स निदेशक के खिलाफ झारखंड आदिवासी संयुक्त मोर्चा मुकदमा दर्ज कराएगी.

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