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आंदोलन की राह पर टेट पास पारा शिक्षक, 18 से सीएम आवास के समक्ष करेंगे अनशन

वेतनमान की मांग को लेकर टेट पास पारा शिक्षक 18 अक्टूबर से सीएम आवास के समक्ष अनशन (Fast in Front of CM Residence) करेंगे. प्रदेश अध्यक्ष प्रमोद कुमार ने बताया कि पांच दिवसीय अनशन के बाद भी हमारी मांग पूरी नहीं की जाती है तो स्थापना दिवस पर बड़ा आंदोलन करेंगे.

Tet pass para teachers
आंदोलन की राह पर टेट पास पारा शिक्षक
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Published : Oct 14, 2022, 6:40 PM IST

रांचीः वेतनमान की मांग को लेकर झारखंड के 15 हजार टेट पास पारा शिक्षक 18 अक्टूबर से 22 अक्टूबर तक मुख्यमंत्री आवास के समक्ष आमरण अनशन (Fast in Front of CM Residence) करेंगे. इसकी घोषणा करते हुए टेट पास पारा शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रमोद कुमार ने कहा कि सरकार टेट पास पारा शिक्षकों के साथ धोखा कर रही है. इसके विरोध में पारा शिक्षक अब सड़क पर उतरेंगे. 18 अक्टूबर से मुख्यमंत्री आवास के समक्ष पांच दिवसीय अनशन कर आंदोलन की शुरुआत करेंगे.

यह भी पढ़ेंः सरकार की वादाखिलाफी से नाराज हैं पारा शिक्षक, 28 अगस्त को निकालेंगे न्याय मार्च

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि हमारी मांगें पूरी नहीं होती है तो स्थापना दिवस के अवसर पर 15 नवंबर को पारा शिक्षक बड़ा आंदोलन करेंगे. उन्होंने कहा कि टेट पास पारा शिक्षक एनसीटीई और एनईपी के तमाम मानकों को पूर्ण करते हुए सरकारी शिक्षक बनने की अहर्त्ता रखते हैं. सिर्फ यही नहीं राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने भी इस मामले पर पूर्व में सरकार को लिखित राय सौंपी थी, जिसमें कहा था कि टेट पास पारा शिक्षकों को वेतनमान देते हुए समायोजित किया जा सकता है. इसमें कोई भी विधिक अरचन नहीं है.

पारा शिक्षकों का बयान

प्रमोद कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री की उपस्थिति में पिछले साल दिसंबर में वार्ता हुई. इस दौरान भी मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया था कि एक माह के भीतर आधिकारिक वार्ता आयोजित की जाएगी. लेकिन आज तक कोई भी ना तो कमेटी गठित की गई और ना ही कोई बैठक हुई. पारा शिक्षिका मीना कुमारी बताती हैं कि 23 सितंबर को हमने शांतिपूर्ण तरीके से न्याय मार्च कर शिक्षा मंत्री से न्याय की गुहार लगाई थी. शिक्षा मंत्री के आप्त सचिव ने आश्वस्त भी किया था कि 1 सप्ताह के भीतर इस मुद्दे पर आधिकारिक वार्ता आयोजित की जाएगी. लेकिन यह बैठक नहीं हुई.

राज्यभर में 15 हजार टेट पास पारा शिक्षक हैं, जो लंबे समय से वेतनमान की मांग करते आ रहे हैं. राज्य सरकार द्वारा इनकी मांगों पर विचार करने को लेकर कई बार वार्ता हुई है, जिससे मानदेय वृद्धि और नियमावली के रुप में आया है. लेकिन वेतनमान के मुद्दे पर विभाग पल्ला झाड़ती रही है. विभागीय अधिकारियों का मानना है कि रोस्टर क्लीयरेंस नहीं होने की वजह से मामला अटका हुआ है. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो भी पिछले दिनों स्पष्ट कर चुके हैं कि रोस्टर क्लीयर जब तक नहीं होगा, तब तक वेतनमान के बारे में नहीं सोचा जा सकता.

रांचीः वेतनमान की मांग को लेकर झारखंड के 15 हजार टेट पास पारा शिक्षक 18 अक्टूबर से 22 अक्टूबर तक मुख्यमंत्री आवास के समक्ष आमरण अनशन (Fast in Front of CM Residence) करेंगे. इसकी घोषणा करते हुए टेट पास पारा शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रमोद कुमार ने कहा कि सरकार टेट पास पारा शिक्षकों के साथ धोखा कर रही है. इसके विरोध में पारा शिक्षक अब सड़क पर उतरेंगे. 18 अक्टूबर से मुख्यमंत्री आवास के समक्ष पांच दिवसीय अनशन कर आंदोलन की शुरुआत करेंगे.

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प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि हमारी मांगें पूरी नहीं होती है तो स्थापना दिवस के अवसर पर 15 नवंबर को पारा शिक्षक बड़ा आंदोलन करेंगे. उन्होंने कहा कि टेट पास पारा शिक्षक एनसीटीई और एनईपी के तमाम मानकों को पूर्ण करते हुए सरकारी शिक्षक बनने की अहर्त्ता रखते हैं. सिर्फ यही नहीं राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने भी इस मामले पर पूर्व में सरकार को लिखित राय सौंपी थी, जिसमें कहा था कि टेट पास पारा शिक्षकों को वेतनमान देते हुए समायोजित किया जा सकता है. इसमें कोई भी विधिक अरचन नहीं है.

पारा शिक्षकों का बयान

प्रमोद कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री की उपस्थिति में पिछले साल दिसंबर में वार्ता हुई. इस दौरान भी मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया था कि एक माह के भीतर आधिकारिक वार्ता आयोजित की जाएगी. लेकिन आज तक कोई भी ना तो कमेटी गठित की गई और ना ही कोई बैठक हुई. पारा शिक्षिका मीना कुमारी बताती हैं कि 23 सितंबर को हमने शांतिपूर्ण तरीके से न्याय मार्च कर शिक्षा मंत्री से न्याय की गुहार लगाई थी. शिक्षा मंत्री के आप्त सचिव ने आश्वस्त भी किया था कि 1 सप्ताह के भीतर इस मुद्दे पर आधिकारिक वार्ता आयोजित की जाएगी. लेकिन यह बैठक नहीं हुई.

राज्यभर में 15 हजार टेट पास पारा शिक्षक हैं, जो लंबे समय से वेतनमान की मांग करते आ रहे हैं. राज्य सरकार द्वारा इनकी मांगों पर विचार करने को लेकर कई बार वार्ता हुई है, जिससे मानदेय वृद्धि और नियमावली के रुप में आया है. लेकिन वेतनमान के मुद्दे पर विभाग पल्ला झाड़ती रही है. विभागीय अधिकारियों का मानना है कि रोस्टर क्लीयरेंस नहीं होने की वजह से मामला अटका हुआ है. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो भी पिछले दिनों स्पष्ट कर चुके हैं कि रोस्टर क्लीयर जब तक नहीं होगा, तब तक वेतनमान के बारे में नहीं सोचा जा सकता.

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