रांचीः झारखंड की राजधानी रांची में सहायक पुलिसकर्मियों का आंदोलन लगातार जारी है. पिछले 30 दिन से सहायक पुलिसकर्मी रांची के मोरहाबादी मैदान में डेरा डाले हुए हैं. लेकिन सरकार की कानों तक जूं तक नहीं रेंग रही है.
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आलम यह है कि अब मोरहाबादी मैदान में सहायक पुलिसकर्मियों की निगरानी के लिए भी अब अस्थायी कैंप बना दिया गया है. एक तरफ मोरहाबादी मैदान में 22सौ सहायक पुलिसकर्मी टेंट लगाकर आंदोलन कर रहे हैं. दूसरी तरफ अस्थायी कैंप्स में तैनात पुलिस के जवान उनपर नजर रख रहे हैं.
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जब तक मांगे नहीं मानी जाएगी, तब तक जारी रहेगा आंदोलन
दूसरी तरफ राजधानी ने सहायक पुलिसकर्मियों का आंदोलन लगातार जारी है. 30 दिन से अलग-अलग जिलों से आए सहायक पुलिसकर्मी रांची के मोरहाबादी मैदान में डटे हुए हैं. रात का अंधेरा हो या फिर लगातार हो रही बारिश, ये सभी चीजें भी सहायक पुलिसकर्मियों के मनोबल को जरा-सा भी डिगा नहीं पा रहे हैं. इस बार सहाय पुलिसकर्मी यह तय कर आए हैं कि जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जाएगी तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा.
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सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप
झारखंड सहायक पुलिसकर्मी एक महीने मोरहाबादी मैदान में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं. उन्हें जिला प्रशासन की ओर से बुनियादी सुविधा भी नहीं मुहैया कराई गई है और मौसम की भी दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. वर्ष 2017 में गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अधिसूचना के आधार पर 12 अतिनक्सल प्रभावित जिलों के लिए कुल 2500 झारखंड सहायक पुलिस की नियुक्ति अनुबंध के आधार पर की गई थी. इसके एवज में 10 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन निर्धारित किया गया था.
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साथ ही नियुक्ति के समय कहा गया था कि 3 वर्ष पूरे होने के बाद झारखंड पुलिस के पद पर सीधी नियुक्ति की जाएगी. लेकिन अब तक इस दिशा में कदम नहीं उठाया गया है. ऐसे में झारखंड सहायक पुलिस के लगभग 22सौ कर्मी 12 जिलों से इस आंदोलन में शामिल हुए हैं. इन जिलों में गढ़वा, पलामू, लातेहार, चतरा, दुमका, लोहरदगा, गिरिडीह, चाईबासा, जमशेदपुर, खूंटी, सिमडेगा और गुमला के सहायक पुलिसकर्मी शामिल है. सहायक पुलिस कर्मियों का आरोप है कि सरकार अब उनकी बातों को अनसुना कर रही है. सहायक पुलिसकर्मियों पर यह भी आरोप लग रहा है कि उन्हें किसी खास संगठन के द्वारा फंडिंग की जा रही है, जिसके बल पर ही वो आंदोलन चला रहे हैं लेकिन शायद को लेकर पुलिसकर्मियों ने इस बात से साफ इनकार किया है.
अब तक सिर्फ मिला है आश्वासन
इससे पहले भी अपनी मांगों को लेकर सभी ने सितंबर 2020 में आंदोलन भी किया था. उस समय मंत्री मिथिलेश ठाकुर की ओर से आश्वासन दिया गया था कि 15 दिनों के अंदर उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा. लेकिन 15 महीने बीतने के बाद भी उनकी मांगों की ओर सरकार ने कदम नहीं बढ़ाया है. ऐसे में वह फिर से आंदोलन के लिए मजबूर हो गए हैं.