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तिरंगे की पूजा करने से होती है टाना भगतों के दिन की शुरुआत, महात्मा गांधी को मानते हैं देवता

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Published : Oct 2, 2019, 1:16 PM IST

महात्मा गांधी के जन्मदिन पर टाना भगत समुदाय के लोगों ने मोरहाबादी स्थित गांधी वाटिका में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. इसके साथ ही उनके आदर्शों और विचारों को लोगों के बीच पहुंचाने की कसम भी ली. टाना भगत गांधी जी के विचारों और आदर्शों पर ही चलते हैं. इनका जीवन महात्मा गांधी का जीता जागता दर्शन है.

टाना भगत महात्मा गांधी को मानते हैं देवता

रांची: पूरे देश में आज गांधी जयंती पर उनके आदर्शों और विचारों को याद किया जा रहा है. लोग गांधी के आदर्शों पर चलने का संकल्प भी ले रहे हैं. हालांकि इसी बीच एक ऐसा समुदाय है, जो आज भी महात्मा गांधी के आदर्शों को न केवल अक्षर सा अपने जीवन में पालन करते हैं, बल्कि उसे जीते भी हैं. जिन्हें टाना भगत के नाम से जाना जाता है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

महात्मा गांधी के जन्मदिन पर टाना भगत समुदाय के लोगों ने मोरहाबादी स्थित गांधी वाटिका में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. इसके साथ ही उनके आदर्शों और विचारों को लोगों के बीच पहुंचाने की कसम भी ली.
टाना भगत गांधी जी के विचारों और आदर्शों पर ही चलते हैं. टाना भगत समुदाय जो झारखंड के छोटा नागपुर इलाकों में विशेष रूप से रहते हैं, गांधीजी के प्रिय रहे हैं. आजादी के 71 साल बीत जाने के बाद भी टाना भगतों में गांधी जी का प्रभाव कायम है. इनका जीवन महात्मा गांधी का जीता जागता दर्शन है. टाना भगत रोजाना दिन की शुरुआत तिरंगे की पूजा करके करते हैं.

ये भी पढ़ें- बापू की जयंती: ईटीवी भारत की पहल को झारखंड के मंत्री ने सराहा

झारखंड के आदिवासी टाना भगत जिस मांग को लेकर अंग्रेजी शासन से लड़ते रहे, उनकी मांग आज तक पूरी नहीं हुई है. उनका कहना है कि पहले जो शासन व्यवस्था थी आज भी उस शासन व्यवस्था में हम लोगों की मांग दबकर रह गई हैं. जमीन की लड़ाई के लिए अंग्रेजों से लड़ते रहे और आज मौजूदा सरकार से भी लड़ाई जारी है.

टाना भगत तिरंगे में बने चरखे की ही पूजा करते हैं और अपना देवता गांधी जी को मानते हैं. टाना भगत ने कहा कि गांव-गांव में गांधीजी के आदर्शों और विचारों को लोगों के बीच बताने का काम करते हैं. इनके जीवन का बस एक ही लक्ष्य है कि गांधी जी के आदर्शों पर जीवन भर चलते रहें. खादी वस्त्र धारण करना और सिर पर गांधी जी की टोपी लगाना, यही इनकी पहचान है.

रांची: पूरे देश में आज गांधी जयंती पर उनके आदर्शों और विचारों को याद किया जा रहा है. लोग गांधी के आदर्शों पर चलने का संकल्प भी ले रहे हैं. हालांकि इसी बीच एक ऐसा समुदाय है, जो आज भी महात्मा गांधी के आदर्शों को न केवल अक्षर सा अपने जीवन में पालन करते हैं, बल्कि उसे जीते भी हैं. जिन्हें टाना भगत के नाम से जाना जाता है.

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महात्मा गांधी के जन्मदिन पर टाना भगत समुदाय के लोगों ने मोरहाबादी स्थित गांधी वाटिका में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. इसके साथ ही उनके आदर्शों और विचारों को लोगों के बीच पहुंचाने की कसम भी ली.
टाना भगत गांधी जी के विचारों और आदर्शों पर ही चलते हैं. टाना भगत समुदाय जो झारखंड के छोटा नागपुर इलाकों में विशेष रूप से रहते हैं, गांधीजी के प्रिय रहे हैं. आजादी के 71 साल बीत जाने के बाद भी टाना भगतों में गांधी जी का प्रभाव कायम है. इनका जीवन महात्मा गांधी का जीता जागता दर्शन है. टाना भगत रोजाना दिन की शुरुआत तिरंगे की पूजा करके करते हैं.

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झारखंड के आदिवासी टाना भगत जिस मांग को लेकर अंग्रेजी शासन से लड़ते रहे, उनकी मांग आज तक पूरी नहीं हुई है. उनका कहना है कि पहले जो शासन व्यवस्था थी आज भी उस शासन व्यवस्था में हम लोगों की मांग दबकर रह गई हैं. जमीन की लड़ाई के लिए अंग्रेजों से लड़ते रहे और आज मौजूदा सरकार से भी लड़ाई जारी है.

टाना भगत तिरंगे में बने चरखे की ही पूजा करते हैं और अपना देवता गांधी जी को मानते हैं. टाना भगत ने कहा कि गांव-गांव में गांधीजी के आदर्शों और विचारों को लोगों के बीच बताने का काम करते हैं. इनके जीवन का बस एक ही लक्ष्य है कि गांधी जी के आदर्शों पर जीवन भर चलते रहें. खादी वस्त्र धारण करना और सिर पर गांधी जी की टोपी लगाना, यही इनकी पहचान है.

Intro:बाइट---टाना भगत
बाइट---टाना भगत
बाइट---टाना भगत


पूरे देश में आज गांधी जयन्ती पर उनके आदर्शों और विचारों को याद किया जा रहा है जिसके माध्यम से लोग गांधी के आदर्शों पर चलने का संकल्प भी ले रहे हैं लेकिन इसी बीच एक ऐसा समुदाय है जो आज भी महात्मा गांधी के आदर्शों को ना केवल अक्षर सा अपने जीवन में पालन करते हैं बल्कि उसे जीते भी हैं। जिसे टाना भगत के नाम से जाना जाता है महात्मा गांधी की जन्मदिन पर ताना भगत के समुदाय मोराबादी स्थित गांधी वाटिका में महात्मा गांधी के प्रतिमा पर पूरे विधि विधान के साथ महात्मा गांधी की पूजा की उसके बाद उनकी आदर्शों और विचारों को लोगों के बीच पहुंचाने का कसम भी ली।





Body:आज पूरे देश में अगर सच्चे अनुयाई अगर कहा जाए तो इन टाना भगत व को कहा जा सकता है क्योंकि टाना भगत गांधी जी के विचारों पर और आदर्शों पर ही चलते हैं टाना भगत समुदाय जो झारखंड के छोटा नागपुर इलाकों में विशेष रूप से रहते हैं गांधी जी के प्रिय रहे आजादी के 71 साल बीत जाने के बाद भी टाना भगत ने गांधी जी का प्रभाव कायम है इनका जीवन महात्मा गांधी का जीता जागता दर्शन है गांधी जी को अगर आज ढूंढना है राष्ट्रपिता का साक्षात दर्शन करना है तो आप टाना भगत के बीच चले जाएं सुबह होते ही शुरुआत होती है तिरंगे की पूजा से टाना भगत रोजाना तिरंगे का पूजा करते हैं


झारखंड के आदिवासी टाना भगत जिस मांग को लेकर अंग्रेजी शासन से लड़ते रहें उनकी मांगे आज तक पूरी नहीं हुई है उनका कहना है कि पहले जो शासन व्यवस्था था आज भी उस शासन व्यवस्था में हम लोगों की मांगे दब कर रह गई है।जमीन की लड़ाई के अंग्रेजो से लड़ते रहे और आज मौजूदा सरकार से भी लड़ाई जारी है।






Conclusion:ताना भगत तिरंगा में बने चरखा का ही पूजा करते हैं और अपना देवता गांधी जी को मानते हैं टाना भगत ने कहा कि गांव गांव में गांधी जी के आदर्शों और विचारों को लोगों के बीच बताने का काम करते हैं इनके जीवन का बस एक ही लक्ष्य है कि गांधीजी के आदर्शों पर जीवन भर चलते रहना खादी वस्त्र धारण करना और सर पर गांधीजी का टोपी लगाना यही इनकी पहचान भी है
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