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नशे के सौदागरों के निशाने पर राजधानी, ऑनलाइन और महिलाओं के जरिए ड्रग्स की सप्लाई

रांची नशे के सौदागरों की जद में है. नशे के सौदागरों ने रांची के युवाओं को एडिक्टेड बना दिया है. नकली शराब, गांजा, अफीम, ब्राउन शुगर, नशीली टेबलेट, इंजेक्शन की सप्लाई हो रही है.

Supply of drugs through online and women in Ranchi, Drug supply in Ranchi, Drugs business in Ranchi, crime news of ranchi, रांची में ऑनलाइन और महिलाओं के जरिए हो रही ड्रग्स की सप्लाई, रांची में ड्रग्स की सप्लाई, रांची में नशे का कारोबार, रांची में अपराध की खबरें
नशे की जद में रांची के युवा
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Published : Oct 8, 2020, 5:37 AM IST

रांची: राजधानी रांची नशे के सौदागरों के निशाने पर है. रांची में नकली शराब, गांजा, अफीम, ब्राउन शुगर, नशीली टेबलेट, इंजेक्शन की सप्लाई धड़ल्ले से की जा रही. नशे के सौदागरों ने रांची के युवाओं को इसकी लत में जकड़ लिया है. ज्यादातर नशा का सामान स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्रों और युवाओं को बेचा जाता है. साफ है कि नशे के धंधेबाज छात्रों और युवाओं को अपना निशाना बना रहे हैं. तस्कर नशीली दवा के साथ चरस, स्मैक, ब्राउन शुगर जैसा हाई प्रोफाइल नशा तक मुहैया करवा रहे हैं. कुछ छात्रों को नशे के एवज में धंधा बढ़ाने की जिम्मेदारी तक दी जाती है. यही छात्र धंधे को स्कूल और कॉलेज के अंदर फैलाने का काम करते हैं. इन्हीं के माध्यम से अन्य छात्र नशे की गिरफ्त में आने लगते हैं. प्लांड तरीके से नशे का एक पूरा नेक्सेस काम करने लगता है.

देखें स्पेशल खबर
तस्करी में महिलाएं भी शामिल
पुलिस की आंखों में धूल झोंकने के लिए नशे के कारोबारी महिलाओं का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. महिलाएं अपने कपड़ों में छिपाकर गांजा, अफीम, ब्राउन शुगर और नशीली टेबलेट को अपने ग्राहकों तक पहुंचाती हैं. ड्रग्स के खरीदार ड्रग्स बेचने वाली महिलाओं का एक स्थान निश्चित होता है, जहां वे पहले से खड़ी रहती हैं और खरीदार उन तक पहुंच कर आसानी से ड्रग्स खरीद कर अपने साथ ले जाते हैं. पुलिस महिलाओं पर संदेह नहीं करती है. यही वजह है कि नशे के तस्कर पैसों का लालच देकर महिलाओं को भी इस धंधे में शामिल कर चुके हैं.
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पुलिस गिरफ्त में अपराधी

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100, 200 और 500 के करंसी का इस्तेमाल
रांची में ब्राउन शुगर के धंधेबाज इसे पुड़िया पैकेट में नहीं, बल्कि नोट में मोड़कर बेच रहे हैं. मुड़े नोट पर ही ब्राउन शुगर को जलाकर नशा कर रहे. इससे न तो इसकी तस्करी पुलिस पकड़ पा रही, न ही कॉलेज प्रबंधन को इसकी जानकारी मिल रही है. ब्राउन शुगर के नशे के लिए दो रुपए से लेकर 500 के नोट बंडलों में हर दिन जलाए जा रहे हैं. नशेड़ियों और ब्राउन शुगर के धंधेबाजों को कटे-फटे नोट बदली करने वाले वेंडर ऐसे नोट मुहैया करा रहे हैं. नोट में भी मोटे कमीशन का खेल चल रहा है. 100 रुपए के नोट के लिए 120 से 150 रुपए तक की वसूली की जा रही है. ब्राउन शुगर की बिक्री के लिए धंधेबाजों ने कोड वर्ड में नाम दे रखा है. कहीं इसे बीएस तो कहीं चीनी बोलकर इसकी बिक्री और इस्तेमाल हो रहा है.

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बरामद ड्रग्स
अफीम सुखाकर बनाया जाता है ब्राउन शुगर झारखंड में तस्कर अफीम सुखाकर ब्राउन शुगर तैयार करते हैं. अगस्त महीने में चतरा पुलिस राजपुर थाना क्षेत्र से 1 किलो 150 ग्राम ब्राउन शुगर के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार किया. बकचुंबा गांव निवासी रघुबीर ठाकुर और सदर थाना क्षेत्र के लोवगड़ा निवासी विजय दांगी अपने-अपने घरों में ब्राउन शुगर तैयार कर रहे थे. मौके पर पुलिस उक्त दोनों तस्करों को उनके घर से ब्राउन सुगर सहित रंगेहाथ गिरफ्तार किया. बरामद ब्राउन शुगर की कीमत 15 लाख रुपए बताया गया. झारखंड में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती होती है. झारखंड के नक्सल प्रभावित जिलों में नक्सली यूपी और पंजाब के तस्करों के साथ मिलकर अफीम की खेती बड़े पैमाने पर करवाते हैं. चुंकी अफीम से ही ब्राउन शुगर बनता है. इस लिए झारखंड को नशे के सौदागर एक बड़े बाजार के रूप में देखते हैं.
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राजधानी रांची
सप्लायर अपने एजेंट को बनाते हैं एडिक्टेडरांची में ड्रग्स तस्करों ने तेजी से अपना पांव पसारा है. हर कोने में नशीली पाउडर के एजेंट हैं. जिन्हें, तस्करों ने पहले ब्राउन शुगर का एडिक्टेड बनाया इसके बाद उनसे तस्करी कराई जा रही है. हाल में बरियातू इलाके से हुई गिरफ्तारी से इसका खुलासा हुआ है. पकड़े गए छह अपराधियों में एक ऐसा अपराधी था जो थाने के पुलिसकर्मियों को बार-बार हाथ जोड़कर आग्रह करते हुए ब्राउन शुगर मांग रहा था. इसके लिए वह काफी परेशान था. पागलों जैसी हरकत कर रहा था. इससे थाने के पुलिसकर्मियों को परेशानी का सामना करना पड़ा. देखा जा रहा है तस्कर अपने एजेंट को इस कारोबार में जोड़ने से पहले उसे इसका लत इस कदर लगवा देता है वह इससे बाहर नहीं आ पाते. एजेंट ग्राहक की तलाश में स्कूलों और कॉलेजों के बाहर मंडराते रहते हैं. उनके निशाने पर कम उम्र के युवा होते हैं, जो सिगरेट के लिए दुकान में जाते हैं. राजधानी रांची में युवा तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं.

ये भी पढ़ें- अभाव में कहीं ना बन जाए नूरा कुश्ती, दंगल के लिए चाहिए मदद


कार्रवाई के बाद भी नहीं थम रहा नशे का कारोबार
ऐसा नहीं है कि नशे के इस कारोबार के खिलाफ पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही हो. पिछले पांच महीने में एनडीपीएस एक्ट के तहत विभिन्न थानों में 23 मामले दर्ज किए गए हैं. जबकि उत्पाद अधिनियम के तहत विभिन्न थानों में 30 से अधिक केस दर्ज किए गए हैं. नकली शराब, शराब बनाने की फ्रैक्ट्री, नशीली गोलियां, इंजेक्शन, ब्राउन शुगर, अफीम, डोडा सहित कई अन्य नशीले पदार्थों के साथ कुछ आरोपी को भी पकड़ा गया. बावजूद नशे का कारोबार थम नहीं रहा है. क्योंकि पुलिस नशे के सौदागरों तक नहीं पहुंच पाती. झारखंड के डीजीपी एमबी राव के अनुसार पुलिस नशे के सौदागरों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है, जिसका उन्हें फायदा भी मिल रहा है. लेकिन जरूरत है कि स्कूल-कॉलेज स्तर से भी इसके लिए प्रयास किया जाए.

रांची: राजधानी रांची नशे के सौदागरों के निशाने पर है. रांची में नकली शराब, गांजा, अफीम, ब्राउन शुगर, नशीली टेबलेट, इंजेक्शन की सप्लाई धड़ल्ले से की जा रही. नशे के सौदागरों ने रांची के युवाओं को इसकी लत में जकड़ लिया है. ज्यादातर नशा का सामान स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्रों और युवाओं को बेचा जाता है. साफ है कि नशे के धंधेबाज छात्रों और युवाओं को अपना निशाना बना रहे हैं. तस्कर नशीली दवा के साथ चरस, स्मैक, ब्राउन शुगर जैसा हाई प्रोफाइल नशा तक मुहैया करवा रहे हैं. कुछ छात्रों को नशे के एवज में धंधा बढ़ाने की जिम्मेदारी तक दी जाती है. यही छात्र धंधे को स्कूल और कॉलेज के अंदर फैलाने का काम करते हैं. इन्हीं के माध्यम से अन्य छात्र नशे की गिरफ्त में आने लगते हैं. प्लांड तरीके से नशे का एक पूरा नेक्सेस काम करने लगता है.

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तस्करी में महिलाएं भी शामिलपुलिस की आंखों में धूल झोंकने के लिए नशे के कारोबारी महिलाओं का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. महिलाएं अपने कपड़ों में छिपाकर गांजा, अफीम, ब्राउन शुगर और नशीली टेबलेट को अपने ग्राहकों तक पहुंचाती हैं. ड्रग्स के खरीदार ड्रग्स बेचने वाली महिलाओं का एक स्थान निश्चित होता है, जहां वे पहले से खड़ी रहती हैं और खरीदार उन तक पहुंच कर आसानी से ड्रग्स खरीद कर अपने साथ ले जाते हैं. पुलिस महिलाओं पर संदेह नहीं करती है. यही वजह है कि नशे के तस्कर पैसों का लालच देकर महिलाओं को भी इस धंधे में शामिल कर चुके हैं.
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पुलिस गिरफ्त में अपराधी

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100, 200 और 500 के करंसी का इस्तेमाल
रांची में ब्राउन शुगर के धंधेबाज इसे पुड़िया पैकेट में नहीं, बल्कि नोट में मोड़कर बेच रहे हैं. मुड़े नोट पर ही ब्राउन शुगर को जलाकर नशा कर रहे. इससे न तो इसकी तस्करी पुलिस पकड़ पा रही, न ही कॉलेज प्रबंधन को इसकी जानकारी मिल रही है. ब्राउन शुगर के नशे के लिए दो रुपए से लेकर 500 के नोट बंडलों में हर दिन जलाए जा रहे हैं. नशेड़ियों और ब्राउन शुगर के धंधेबाजों को कटे-फटे नोट बदली करने वाले वेंडर ऐसे नोट मुहैया करा रहे हैं. नोट में भी मोटे कमीशन का खेल चल रहा है. 100 रुपए के नोट के लिए 120 से 150 रुपए तक की वसूली की जा रही है. ब्राउन शुगर की बिक्री के लिए धंधेबाजों ने कोड वर्ड में नाम दे रखा है. कहीं इसे बीएस तो कहीं चीनी बोलकर इसकी बिक्री और इस्तेमाल हो रहा है.

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बरामद ड्रग्स
अफीम सुखाकर बनाया जाता है ब्राउन शुगर झारखंड में तस्कर अफीम सुखाकर ब्राउन शुगर तैयार करते हैं. अगस्त महीने में चतरा पुलिस राजपुर थाना क्षेत्र से 1 किलो 150 ग्राम ब्राउन शुगर के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार किया. बकचुंबा गांव निवासी रघुबीर ठाकुर और सदर थाना क्षेत्र के लोवगड़ा निवासी विजय दांगी अपने-अपने घरों में ब्राउन शुगर तैयार कर रहे थे. मौके पर पुलिस उक्त दोनों तस्करों को उनके घर से ब्राउन सुगर सहित रंगेहाथ गिरफ्तार किया. बरामद ब्राउन शुगर की कीमत 15 लाख रुपए बताया गया. झारखंड में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती होती है. झारखंड के नक्सल प्रभावित जिलों में नक्सली यूपी और पंजाब के तस्करों के साथ मिलकर अफीम की खेती बड़े पैमाने पर करवाते हैं. चुंकी अफीम से ही ब्राउन शुगर बनता है. इस लिए झारखंड को नशे के सौदागर एक बड़े बाजार के रूप में देखते हैं.
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राजधानी रांची
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ये भी पढ़ें- अभाव में कहीं ना बन जाए नूरा कुश्ती, दंगल के लिए चाहिए मदद


कार्रवाई के बाद भी नहीं थम रहा नशे का कारोबार
ऐसा नहीं है कि नशे के इस कारोबार के खिलाफ पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही हो. पिछले पांच महीने में एनडीपीएस एक्ट के तहत विभिन्न थानों में 23 मामले दर्ज किए गए हैं. जबकि उत्पाद अधिनियम के तहत विभिन्न थानों में 30 से अधिक केस दर्ज किए गए हैं. नकली शराब, शराब बनाने की फ्रैक्ट्री, नशीली गोलियां, इंजेक्शन, ब्राउन शुगर, अफीम, डोडा सहित कई अन्य नशीले पदार्थों के साथ कुछ आरोपी को भी पकड़ा गया. बावजूद नशे का कारोबार थम नहीं रहा है. क्योंकि पुलिस नशे के सौदागरों तक नहीं पहुंच पाती. झारखंड के डीजीपी एमबी राव के अनुसार पुलिस नशे के सौदागरों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है, जिसका उन्हें फायदा भी मिल रहा है. लेकिन जरूरत है कि स्कूल-कॉलेज स्तर से भी इसके लिए प्रयास किया जाए.

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