रांची: राजधानी रांची नशे के सौदागरों के निशाने पर है. रांची में नकली शराब, गांजा, अफीम, ब्राउन शुगर, नशीली टेबलेट, इंजेक्शन की सप्लाई धड़ल्ले से की जा रही. नशे के सौदागरों ने रांची के युवाओं को इसकी लत में जकड़ लिया है. ज्यादातर नशा का सामान स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्रों और युवाओं को बेचा जाता है. साफ है कि नशे के धंधेबाज छात्रों और युवाओं को अपना निशाना बना रहे हैं. तस्कर नशीली दवा के साथ चरस, स्मैक, ब्राउन शुगर जैसा हाई प्रोफाइल नशा तक मुहैया करवा रहे हैं. कुछ छात्रों को नशे के एवज में धंधा बढ़ाने की जिम्मेदारी तक दी जाती है. यही छात्र धंधे को स्कूल और कॉलेज के अंदर फैलाने का काम करते हैं. इन्हीं के माध्यम से अन्य छात्र नशे की गिरफ्त में आने लगते हैं. प्लांड तरीके से नशे का एक पूरा नेक्सेस काम करने लगता है.
ये भी पढ़ें- बेटे की हत्या में मां भी थी शामिल, 6 गिरफ्तार
100, 200 और 500 के करंसी का इस्तेमाल
रांची में ब्राउन शुगर के धंधेबाज इसे पुड़िया पैकेट में नहीं, बल्कि नोट में मोड़कर बेच रहे हैं. मुड़े नोट पर ही ब्राउन शुगर को जलाकर नशा कर रहे. इससे न तो इसकी तस्करी पुलिस पकड़ पा रही, न ही कॉलेज प्रबंधन को इसकी जानकारी मिल रही है. ब्राउन शुगर के नशे के लिए दो रुपए से लेकर 500 के नोट बंडलों में हर दिन जलाए जा रहे हैं. नशेड़ियों और ब्राउन शुगर के धंधेबाजों को कटे-फटे नोट बदली करने वाले वेंडर ऐसे नोट मुहैया करा रहे हैं. नोट में भी मोटे कमीशन का खेल चल रहा है. 100 रुपए के नोट के लिए 120 से 150 रुपए तक की वसूली की जा रही है. ब्राउन शुगर की बिक्री के लिए धंधेबाजों ने कोड वर्ड में नाम दे रखा है. कहीं इसे बीएस तो कहीं चीनी बोलकर इसकी बिक्री और इस्तेमाल हो रहा है.
ये भी पढ़ें- अभाव में कहीं ना बन जाए नूरा कुश्ती, दंगल के लिए चाहिए मदद
कार्रवाई के बाद भी नहीं थम रहा नशे का कारोबार
ऐसा नहीं है कि नशे के इस कारोबार के खिलाफ पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही हो. पिछले पांच महीने में एनडीपीएस एक्ट के तहत विभिन्न थानों में 23 मामले दर्ज किए गए हैं. जबकि उत्पाद अधिनियम के तहत विभिन्न थानों में 30 से अधिक केस दर्ज किए गए हैं. नकली शराब, शराब बनाने की फ्रैक्ट्री, नशीली गोलियां, इंजेक्शन, ब्राउन शुगर, अफीम, डोडा सहित कई अन्य नशीले पदार्थों के साथ कुछ आरोपी को भी पकड़ा गया. बावजूद नशे का कारोबार थम नहीं रहा है. क्योंकि पुलिस नशे के सौदागरों तक नहीं पहुंच पाती. झारखंड के डीजीपी एमबी राव के अनुसार पुलिस नशे के सौदागरों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है, जिसका उन्हें फायदा भी मिल रहा है. लेकिन जरूरत है कि स्कूल-कॉलेज स्तर से भी इसके लिए प्रयास किया जाए.