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गैस एजेंसी में सब्सीडी घोटाला, ग्राहकों के खाते को लिंक करने के बजाए रिश्तेदारों के खातों को जोड़कर लगाया 21.70 लाख का चूना

रांची के डोरंडा में स्थित झलक इंडेन गैस एजेंसी से 21.70 लाख रुपए की सब्सीडी घोटाला मामला सामने आया है. पुलिस ने इस मामले में पलामू के रेड़मा से एक युवक को गिरफ्तार किया है. युवक सब्सीडी का पैसा अपने संबंधित के खातों में जमा कराता था.

subsidy scam in jhalak gas agency
सब्सीडी घोटाला
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Published : Jun 9, 2020, 1:28 AM IST

रांची: डोरंडा स्थित झलक इंडेन गैस एजेंसी से 21.70 लाख रुपए की सब्सीडी घोटाला मामला सामने आया है. इस मामले में एक आरोपी को रांची पुलिस ने पलामू के रेड़मा से गिरफ्तार किया है. पुलिस द्वारा गिरफ्तार आरोपी का नाम अनुराग पांडेय है. वह ही इस पूरे सब्सीडी घोटाले का साजिशकर्ता है. आरोपी के पास से 12 एटीएम और पासबुक भी बरामद किए गए हैं, जो घोटालो से संबंधित खातों के हैं.

आरोपी को पुलिस ने पलामू के रेड़मा से गिरफ्तार किया है. उसका भाई सतीश पांडेय गैस एजेंसी का ही स्टाफ था. स्टाफ रहते हुए ग्राहकों के खातों में छेड़छाड़ कर अपने और अपने रिश्तेदारों के खातों में रुपए मंगवाकर घोटाला किया है. पुलिस की पूछताछ में आरोपी ने खुलासा किया है कि उसका भाई सतीश पांडेय झलक इंडेन गैस एजेंसी में काम करता था. दोनों ने मिलकर ग्राहकों के सब्सिडी के पैसे उड़ाने की योजना तैयार की. दोनों ने मिलकर अपने भाई, बहन समेत नौ रिश्तेदारों के नाम से अलग-अलग बैंकों में खाता खोला. कोई भी ग्राहक गैस का कनेक्शन लेने के लिए आता था तो सतीश आवेदन में अपने किसी रिश्तेदार के खाते का नंबर उसमें चढ़ा देता था. सब्सिडी का पैसा दिए गए खाते में ट्रांसफर हो जाता था. तीन साल तक इसी तरह पैसे गबन करने का खेल चलता रहा.

रिश्तेदारों के खाते में जमा होती गई सब्सीडी
एजेंसी के स्टाफ के भाई अनुराग पांडेय के खाते में 2,87,341 रुपए, पिता सचिदानंद पांडेय 2,03,389 रुपए, मां चम्पा देवी 3,63,161 रुपए, बहन सजना पांडेय 3,53,191 रुपए, किरण कुमारी 2,26,607 रुपए, सीमा देवी 1,25,765 रुपए, जीजा अंजनी पाठक 1,50,165 रुपए, चाची शोभा देवी 2,97,738 रुपए, चचेरा भाई नवनीत पांडेय 1,62,609 रुपये.

लिंक खातों को खंगालने पूरा खेल आया सामने
इस गड़बड़ी की जांच के दौरान पुलिस ने वैसे ग्राहकों के गैस कनेक्शन से संबंधित लिंक खातों को खंगालना शुरू किया तो पूरा खेल सामने आ गया. पुलिस ने यह पता लगाया कि एजेंसी में कंप्यूटर पर नंबर अंकित कौन करता है. इसका बैंक खाते से मिलान कराने के बाद आरोपी को पुलिस ने दबोच लिया. मामले में एजेंसी के पूर्व स्टाफ सतीश पांडेय के अलावा सच्चिदानंद पांडेय, चंपा देवी, संजना पांडेय, किरण कुमारी, सीमा देवी, अंजनी पांडेय, शोभा देवी, नवनीत पांडेय पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं. इनकी भी तलाश चल रही है.

ये भी पढ़ें: दुमका: बासुकीनाथ मंदिर नहीं खुलने से पंडा-पुरोहित नाराज, सरकार से मांगी मदद

कार्यालस में स्टाफ रहकर किया था गड़बड़ी
एजेंसी के संचालिका अराधना सिंह ने डोरंडा थाने में सतीश कुमार पांडेय और अन्य के खिलाफ 2 फरवरी 2019 को प्राथमिकी दर्ज करायी थी. अराधना सिंह ने आरोप लगाया था कि कार्यालय स्टाफ होते हुए धोखाधड़ी एवं फर्जी तरीके से ग्राहकों को मिलने वाली सब्सीडी की राशि कुछ सगे संबंधि और दोस्तों से सांठ-गांठ कर चिन्हित ग्राहकों के खाता से जोड़कर अपने लोगों के बैंक खाता पर भेजा जाता है. इस वजह से ग्राहकों को मिलने वाली सब्सीडी की राशि आरोपी के परिचित के खाते में पहुंच जा रहा है. इसके बाद उक्त खाते से राशि निकाल ली जाती है. शुरुआत में 1,45,771 रुपए की गड़बड़ी पकड़ में आयी थी. इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच की तब पता चला कि आरोपी ने घोटाला करते हुए 21 लाख 69 हजार 958 रुपए उड़ाया है.

रांची: डोरंडा स्थित झलक इंडेन गैस एजेंसी से 21.70 लाख रुपए की सब्सीडी घोटाला मामला सामने आया है. इस मामले में एक आरोपी को रांची पुलिस ने पलामू के रेड़मा से गिरफ्तार किया है. पुलिस द्वारा गिरफ्तार आरोपी का नाम अनुराग पांडेय है. वह ही इस पूरे सब्सीडी घोटाले का साजिशकर्ता है. आरोपी के पास से 12 एटीएम और पासबुक भी बरामद किए गए हैं, जो घोटालो से संबंधित खातों के हैं.

आरोपी को पुलिस ने पलामू के रेड़मा से गिरफ्तार किया है. उसका भाई सतीश पांडेय गैस एजेंसी का ही स्टाफ था. स्टाफ रहते हुए ग्राहकों के खातों में छेड़छाड़ कर अपने और अपने रिश्तेदारों के खातों में रुपए मंगवाकर घोटाला किया है. पुलिस की पूछताछ में आरोपी ने खुलासा किया है कि उसका भाई सतीश पांडेय झलक इंडेन गैस एजेंसी में काम करता था. दोनों ने मिलकर ग्राहकों के सब्सिडी के पैसे उड़ाने की योजना तैयार की. दोनों ने मिलकर अपने भाई, बहन समेत नौ रिश्तेदारों के नाम से अलग-अलग बैंकों में खाता खोला. कोई भी ग्राहक गैस का कनेक्शन लेने के लिए आता था तो सतीश आवेदन में अपने किसी रिश्तेदार के खाते का नंबर उसमें चढ़ा देता था. सब्सिडी का पैसा दिए गए खाते में ट्रांसफर हो जाता था. तीन साल तक इसी तरह पैसे गबन करने का खेल चलता रहा.

रिश्तेदारों के खाते में जमा होती गई सब्सीडी
एजेंसी के स्टाफ के भाई अनुराग पांडेय के खाते में 2,87,341 रुपए, पिता सचिदानंद पांडेय 2,03,389 रुपए, मां चम्पा देवी 3,63,161 रुपए, बहन सजना पांडेय 3,53,191 रुपए, किरण कुमारी 2,26,607 रुपए, सीमा देवी 1,25,765 रुपए, जीजा अंजनी पाठक 1,50,165 रुपए, चाची शोभा देवी 2,97,738 रुपए, चचेरा भाई नवनीत पांडेय 1,62,609 रुपये.

लिंक खातों को खंगालने पूरा खेल आया सामने
इस गड़बड़ी की जांच के दौरान पुलिस ने वैसे ग्राहकों के गैस कनेक्शन से संबंधित लिंक खातों को खंगालना शुरू किया तो पूरा खेल सामने आ गया. पुलिस ने यह पता लगाया कि एजेंसी में कंप्यूटर पर नंबर अंकित कौन करता है. इसका बैंक खाते से मिलान कराने के बाद आरोपी को पुलिस ने दबोच लिया. मामले में एजेंसी के पूर्व स्टाफ सतीश पांडेय के अलावा सच्चिदानंद पांडेय, चंपा देवी, संजना पांडेय, किरण कुमारी, सीमा देवी, अंजनी पांडेय, शोभा देवी, नवनीत पांडेय पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं. इनकी भी तलाश चल रही है.

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कार्यालस में स्टाफ रहकर किया था गड़बड़ी
एजेंसी के संचालिका अराधना सिंह ने डोरंडा थाने में सतीश कुमार पांडेय और अन्य के खिलाफ 2 फरवरी 2019 को प्राथमिकी दर्ज करायी थी. अराधना सिंह ने आरोप लगाया था कि कार्यालय स्टाफ होते हुए धोखाधड़ी एवं फर्जी तरीके से ग्राहकों को मिलने वाली सब्सीडी की राशि कुछ सगे संबंधि और दोस्तों से सांठ-गांठ कर चिन्हित ग्राहकों के खाता से जोड़कर अपने लोगों के बैंक खाता पर भेजा जाता है. इस वजह से ग्राहकों को मिलने वाली सब्सीडी की राशि आरोपी के परिचित के खाते में पहुंच जा रहा है. इसके बाद उक्त खाते से राशि निकाल ली जाती है. शुरुआत में 1,45,771 रुपए की गड़बड़ी पकड़ में आयी थी. इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच की तब पता चला कि आरोपी ने घोटाला करते हुए 21 लाख 69 हजार 958 रुपए उड़ाया है.

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