रांची: राजधानी में जमीन विवाद (Land Dispute) को लेकर बढ़ रहे खून खराबे की स्थिति को देखते हुए रांची पुलिस ने अब जमीन माफिया (Land Mafia) के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी कर ली है. एसएसपी के आदेश पर जमीन माफियाओं पर नकेल कसने के लिए थाना स्तर से जमीन माफियाओं की सूची तैयार की जा रही है. जिसके बाद उन पर सीसीए के तहत कार्रवाई की जाएगी.
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जिलाबदर करने की तैयारी
रांची पुलिस वैसे जमीन माफिया (Land Mafia) जिनपर जघन्य आपराधिक मामला दर्ज होगा, उन्हें जिलाबदर करने की तैयारी में है. जबकि जिनके खिलाफ छोटे मामले दर्ज होंगे, उनके खिलाफ थाना हाजिरी की कार्रवाई की जाएगी. एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा ने सभी थानेदारों को इलाके के जमीन माफियाओं का डेटा तैयार करने का निर्देश दिया है. जमीन माफियाओं के इशारे पर आतंक फैलाने वाले अपराधियों पर भी नजर रखी जा रही है.
जेल से छूटे कारोबरियों का डेटा हो रहा तैयार
एसएसपी ने रांची के सभी थाना प्रभारियों को निर्देश दिया है कि वे 1 साल के अंदर जमीन कारोबार के संबंध में किसी भी तरह की घटना को अंजाम देने वाले वैसे अपराधी जो जेल से बाहर निकल आए हैं, उन अपराधियों का पूरा डाटा तैयार करें ताकि जमीन विवाद को लेकर होने वाली घटनाओं पर रोक लगाई जा सके. वहीं जेल से बाहर आए अपराधियों की थाना हाजिरी की कार्रवाई नियमित तौर पर की जाए. इसके साथ ही वैसे अपराधी जिनके जेल से बाहर आने पर आपराधिक घटनाएं होने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं, उनपर सीसीए लगाने का प्रस्ताव समर्पित किया जाए.
शातिर अपराधियों पर नजर
झारखंड बनने के बाद राजधानी रांची सहित कई बड़े शहरों की जमीन की कीमत काफी बढ़ी है. जैसे-जैसे जमीन की कीमत आसमान छूने लगी वैसे-वैसे ही इस धंधे में अपराधियों का आगमन भी शुरू हो गया है. जमीन माफिया बड़े अपराधियों के बल पर जमीन पर कब्जा करवाते हैं. यही वजह है कि अब रांची पुलिस वैसे सभी बड़े अपराधियों पर भी नजर रख रही है, जिनका जमीन कारोबारियों से रिश्ता है.
अंचल, रजिस्ट्री कार्यालय में गड़बड़ी से होता विवाद
रांची में जमीन विवाद के मामलों के बढ़ने का कारण अंचल और रजिस्ट्री कार्यालय है. यहां रिकॉर्ड में छेड़छाड़ कर हेराफेरी की वजह से एक जमीन के अलग-अलग दावेदार सामने आते हैं. जमीन का ऑनलाइन रिकॉर्ड भी अब सुरक्षित नहीं है. उनमें छेड़छाड़ संभव है. नेशनल इन्फॉरमेटिक्स एजेंसी (NIA) द्वारा संचालित झारभूमि सॉफ्टवेयर की सिक्योरिटी ऑडिट पिछले 10 साल से नहीं की गयी है. इसका लाभ भू-माफिया उठा रहे हैं. अंचलाधिकारियों की ओर से म्यूटेशन रद्द कर देने के बाद भी करेक्शन स्लिप कट जाता है. खतियानी रैयतों के नाम दर्ज जमाबंदी बिना म्यूटेशन के ही दूसरे के नाम पर दर्ज हो जा रहे हैं. हाल के दिनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं.