रांची: झारखंड में बड़े अपराधियों, जघन्य और नक्सल कांडों के आरोपियों को त्वरित सजा दिलाने के लिए स्पीडी ट्रायल का तीसरा चरण शुरू होगा. सीआईडी की मॉनिटरिंग में 1,001 केस के स्पीडी ट्रायल का फैसला लिया गया है.
इस संबंध में गृह विभाग के अभियोजन निदेशालय ने सीआईडी को पत्र लिखा, जिसके बाद केस के चयन को लेकर सीआईडी एडीजी अनुराग गुप्ता ने सभी जोन के डीआईजी को इस संबंध में पत्र लिखा है. स्पीडी ट्रायल के लिए इस बार तीन श्रेणियां बनायी गई हैं. पहली श्रेणी में राज्य के शातिर अपराधी जो दर्जन कांडों में आरोपी हैं, उन्हें सजा दिलाने की प्राथमिकता होगी. दूसरी श्रेणी में महिला, बच्चों या कमजोर वर्ग के साथ हुए जघन्य कांड और तीसरी श्रेणी में नक्सल कांडों को रखा गया है.
ये भी पढ़ें- बोकारो: 13वीं झारखंड राज्य सब जूनियर बॉक्सिंग प्रतियोगिता में खिलाड़ियों ने दिखाया दम
सभी डीआईजी को निर्देश दिए गए हैं कि केस के चयन में अपराध और अपराधी पर फोकस किया जाए. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर स्पीडी ट्रायल करने का निर्देश दिया गया है. जिलों के एसपी से सीआईडी ने स्पीडी ट्रायल के लिए विचारित केस की जानकारी एक हफ्ते के अंदर मांगी है.
किस जिले से कितने मामलों का होगा स्पीडी ट्रायल
स्पीडी ट्रायल के लिए रांची, जमशेदपुर से 100, खूंटी से 21, लोहरदगा से 20, सिमडेगा से 24, गुमला, रामगढ़, गोड्डा, सरायकेला, गढ़वा, लातेहार से 30, धनबाद से 90, बोकारो से 61, रेल धनबाद से 13, रेल जमशेदपुर से 10, हजारीबाग , गिरडीह, पलामू से 50, चतरा, चाईबासा से 35, कोडरमा, साहिबगंज से 25, पाकुड़ से 18, दुमका से 32, देवघर से 40 कांडों का चयन स्पीडी ट्रायल के जरिए करने का निर्देश दिया गया है. जिलों के एसपी को अपने अपने जिलों में समीक्षा के बाद स्पीडी ट्रायल के लिए दिए केस की डिटेल भेजना होगा.
कैसे केस का होगा स्पीडी ट्रायल
जिलों में शातिर अपराधियों की सूची के आधार पर वैसे अपराधियों को चिन्हित किया जाएगा, जो न्यायिक हिरासत में हैं. अपराधियों को चिन्हित किए जाने के बाद उनके खिलाफ दर्ज मामलों की सूची बनेगी, अपराधियों को जिन मामलों में सजा दिलायी जा सकती है, उन मामलों का स्पीडी ट्रायल होगा. जिन मामलों में सरकारी गवाह, तकनीकी साक्ष्य और पर्याप्त सबूत हों उन्हें ही स्पीडी ट्रायल के लिए भेजा जाएगा. सामूहिक दुष्कर्म, छोटी बच्चियों के साथ दुष्कर्म, पोक्सो, हत्या के मामलों और समाज के कमजोर वर्ग के खिलाफ घटित अपराध के मामलों का चयन होगा. शीर्ष नक्सलियों के खिलाफ यूएपीए या सीएलए एक्ट के तहत दर्ज मामले जिसमें अभियुक्तों की संख्या कम हो और अनुसंधान पूरी हो चुकी हो, स्पीडी ट्रायल के लिए लिया जा सकता है.