रांची: पलामू के हुसैनाबाद से बसपा विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता आए दिन सुर्खियों में रहते हैं. इस बार मामला उनके इस्तीफे और व्यवहार से जुड़ा है. विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने विधायक को सशरीर उपस्थित होकर त्यागपत्र देने और उनके खिलाफ की गई अनर्गल बयानबाजी के लिए लिखित रूप से माफी मांगने के लिए 3 दिन का समय दिया है. इसको लेकर विधानसभा के सचिव ने शुक्रवार को विधायक के नाम नोटिस भेजा है.
क्या है मामला?
झारखंड विधानसभा मानसून सत्र के दौरान 26 जुलाई को हुसैनाबाद से बसपा विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने जपला सीमेंट फैक्ट्री को सरकार द्वारा खोले जाने का मामला सदन में उठाया था. इस पर सरकार की ओर से स्पष्ट रूप से कहा गया था कि सरकार के पास इस तरह की कोई पॉलिसी नहीं है और सरकार फैक्ट्री का संचालन नहीं कर सकती है. संसदीय कार्य मंत्री की ओर से कहा गया था कि अगर कोई निवेशक इसके लिए इच्छा जाहिर करता है तो सरकार उसको पूरा सहयोग करेगी. इसी को लेकर कुशवाहा शिवपूजन मेहता की सत्ता पक्ष के साथ बहस भी हुई थी.
इस पर स्पीकर ने कुशवाहा शिवपूजन को गैर सरकारी संकल्प वापस लेने को कहा था. इसी बात पर शिवपूजन मेहता भड़क गए थे और कहा था कि वह अपने पद से इस्तीफा देते हैं. सदन से निकलने के बाद मीडिया को बताया था कि उन्होंने स्पीकर को इस्तीफा भी दे दिया है. हालांकि, उस वक्त जब शिवपूजन मेहता सदन से बाहर गए थे तब नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन उनको फिर वापस लेकर आए थे. इस दौरान स्पीकर ने कहा था कि भावना में बहकर कोई काम नहीं करना चाहिए.
मानसून सत्र के बाद शिवपूजन के इस्तीफे के तरीके को नौटंकी करार दिए जाने की बात राजनीतिक गलियारे में उठी. इस पर शिवपूजन मेहता ने खुलकर कहा था कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है और मैंने स्पीकर को कभी भी यह नहीं कहा है कि वह मेरा इस्तीफा स्वीकार न करें. शिवपूजन मेहता ने उल्टा यह कहा कि मीडिया में स्पीकर की तरफ से पहले बयान आया था कि उनके अनुनय-विनय पर उन्होंने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था.
शिवपूजन मेहता ने दी सफाई
इसको लेकर ईटीवी भारत की ओर से कुशवाहा शिवपूजन मेहता से फोन पर बातचीत की गई. इस पर उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ संसदीय भाषा का इस्तेमाल नहीं किया है. उन्होंने स्पीकर को गार्जियन समान बताया. यह पूछे जाने पर कि आप स्पीकर से मिलकर लिखित में इस्तीफा देंगे या नहीं. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि 3 दिन का समय है. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा मीडिया में आए स्पीकर के बयान के बाद उन्होंने सिर्फ यह कहा था कि सरकार की नाकामी छुपाने के लिए उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया. अगर इसे संसदीय भाषा कहा जाता है तो इस पर फैसला स्पीकर को ही लेना है.
शिवपूजन मेहता ने कहा कि वित्त सचिव की ओर से मिले नोटिस में यह कहा गया है कि उनके द्वारा दिया गया इस्तीफा विधाई प्रक्रिया के अनुकूल नहीं है. इसलिए उनको मिलकर इस्तीफा देना होगा. इसके साथ में माफी भी मांगनी होगी. बातचीत के दौरान कुशवाहा शिवपूजन मेहता अपने रुख पर अड़े नजर आए. हालांकि, उन्होंने यह जरूर कहा कि उन्हें 3 दिन का नोटिस मिला है और कायदे से उन्हें कल स्पीकर से मिलना चाहिए, लेकिन कल रविवार है और सोमवार को बकरीद की छुट्टी है. लिहाजा वह मंगलवार को स्पीकर से मिलेंगे. बातचीत के दौरान अंत में उन्होंने यह कहा कि उन्होंने संसदीय शब्द का कोई इस्तेमाल नहीं किया है और रही बात इस्तीफे की तो यह स्पीकर को तय करना है कि उन्हें स्वीकार करना है या नहीं.
स्पीकर ने कुशवाहा शिवपूजन मेहता से मांगा इस्तीफा, विधायक बोले- मंगलवार को करेंगे मुलाकात
ईटीवी भारत की ओर से कुशवाहा शिवपूजन मेहता से फोन पर बातचीत की गई. इस पर उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ संसदीय भाषा का इस्तेमाल नहीं किया है. उन्होंने स्पीकर को गार्जियन समान बताया. यह पूछे जाने पर कि आप स्पीकर से मिलकर लिखित में इस्तीफा देंगे या नहीं. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि 3 दिन का समय है. वो मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात करेंगे.
रांची: पलामू के हुसैनाबाद से बसपा विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता आए दिन सुर्खियों में रहते हैं. इस बार मामला उनके इस्तीफे और व्यवहार से जुड़ा है. विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने विधायक को सशरीर उपस्थित होकर त्यागपत्र देने और उनके खिलाफ की गई अनर्गल बयानबाजी के लिए लिखित रूप से माफी मांगने के लिए 3 दिन का समय दिया है. इसको लेकर विधानसभा के सचिव ने शुक्रवार को विधायक के नाम नोटिस भेजा है.
क्या है मामला?
झारखंड विधानसभा मानसून सत्र के दौरान 26 जुलाई को हुसैनाबाद से बसपा विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने जपला सीमेंट फैक्ट्री को सरकार द्वारा खोले जाने का मामला सदन में उठाया था. इस पर सरकार की ओर से स्पष्ट रूप से कहा गया था कि सरकार के पास इस तरह की कोई पॉलिसी नहीं है और सरकार फैक्ट्री का संचालन नहीं कर सकती है. संसदीय कार्य मंत्री की ओर से कहा गया था कि अगर कोई निवेशक इसके लिए इच्छा जाहिर करता है तो सरकार उसको पूरा सहयोग करेगी. इसी को लेकर कुशवाहा शिवपूजन मेहता की सत्ता पक्ष के साथ बहस भी हुई थी.
इस पर स्पीकर ने कुशवाहा शिवपूजन को गैर सरकारी संकल्प वापस लेने को कहा था. इसी बात पर शिवपूजन मेहता भड़क गए थे और कहा था कि वह अपने पद से इस्तीफा देते हैं. सदन से निकलने के बाद मीडिया को बताया था कि उन्होंने स्पीकर को इस्तीफा भी दे दिया है. हालांकि, उस वक्त जब शिवपूजन मेहता सदन से बाहर गए थे तब नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन उनको फिर वापस लेकर आए थे. इस दौरान स्पीकर ने कहा था कि भावना में बहकर कोई काम नहीं करना चाहिए.
मानसून सत्र के बाद शिवपूजन के इस्तीफे के तरीके को नौटंकी करार दिए जाने की बात राजनीतिक गलियारे में उठी. इस पर शिवपूजन मेहता ने खुलकर कहा था कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है और मैंने स्पीकर को कभी भी यह नहीं कहा है कि वह मेरा इस्तीफा स्वीकार न करें. शिवपूजन मेहता ने उल्टा यह कहा कि मीडिया में स्पीकर की तरफ से पहले बयान आया था कि उनके अनुनय-विनय पर उन्होंने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था.
शिवपूजन मेहता ने दी सफाई
इसको लेकर ईटीवी भारत की ओर से कुशवाहा शिवपूजन मेहता से फोन पर बातचीत की गई. इस पर उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ संसदीय भाषा का इस्तेमाल नहीं किया है. उन्होंने स्पीकर को गार्जियन समान बताया. यह पूछे जाने पर कि आप स्पीकर से मिलकर लिखित में इस्तीफा देंगे या नहीं. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि 3 दिन का समय है. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा मीडिया में आए स्पीकर के बयान के बाद उन्होंने सिर्फ यह कहा था कि सरकार की नाकामी छुपाने के लिए उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया. अगर इसे संसदीय भाषा कहा जाता है तो इस पर फैसला स्पीकर को ही लेना है.
शिवपूजन मेहता ने कहा कि वित्त सचिव की ओर से मिले नोटिस में यह कहा गया है कि उनके द्वारा दिया गया इस्तीफा विधाई प्रक्रिया के अनुकूल नहीं है. इसलिए उनको मिलकर इस्तीफा देना होगा. इसके साथ में माफी भी मांगनी होगी. बातचीत के दौरान कुशवाहा शिवपूजन मेहता अपने रुख पर अड़े नजर आए. हालांकि, उन्होंने यह जरूर कहा कि उन्हें 3 दिन का नोटिस मिला है और कायदे से उन्हें कल स्पीकर से मिलना चाहिए, लेकिन कल रविवार है और सोमवार को बकरीद की छुट्टी है. लिहाजा वह मंगलवार को स्पीकर से मिलेंगे. बातचीत के दौरान अंत में उन्होंने यह कहा कि उन्होंने संसदीय शब्द का कोई इस्तेमाल नहीं किया है और रही बात इस्तीफे की तो यह स्पीकर को तय करना है कि उन्हें स्वीकार करना है या नहीं.
रांची: पलामू के हुसैनाबाद से बसपा विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता आए दिन सुर्खियों में रहते हैं. इस बार मामला उनके इस्तीफे और व्यवहार से जुड़ा है. विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने विधायक को सशरीर उपस्थित होकर त्यागपत्र देने और उनके खिलाफ की गई अनर्गल बयानबाजी के लिए लिखित रूप से माफी मांगने के लिए 3 दिन का समय दिया है. इसको लेकर विधानसभा के सचिव ने शुक्रवार को विधायक के नाम नोटिस भेजा है.
क्या है मामला?
झारखंड विधानसभा मानसून सत्र के दौरान 26 जुलाई को हुसैनाबाद से बसपा विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने जपला सीमेंट फैक्ट्री को सरकार द्वारा खोले जाने का मामला सदन में उठाया था. इस पर सरकार की ओर से स्पष्ट रूप से कहा गया था कि सरकार के पास इस तरह की कोई पॉलिसी नहीं है और सरकार फैक्ट्री का संचालन नहीं कर सकती है. संसदीय कार्य मंत्री की ओर से कहा गया था कि अगर कोई निवेशक इसके लिए इच्छा जाहिर करता है तो सरकार उसको पूरा सहयोग करेगी. इसी को लेकर कुशवाहा शिवपूजन मेहता की सत्ता पक्ष के साथ बहस भी हुई थी.
इस पर स्पीकर ने कुशवाहा शिवपूजन को गैर सरकारी संकल्प वापस लेने को कहा था. इसी बात पर शिवपूजन मेहता भड़क गए थे और कहा था कि वह अपने पद से इस्तीफा देते हैं. सदन से निकलने के बाद मीडिया को बताया था कि उन्होंने स्पीकर को इस्तीफा भी दे दिया है. हालांकि, उस वक्त जब शिवपूजन मेहता सदन से बाहर गए थे तब नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन उनको फिर वापस लेकर आए थे. इस दौरान स्पीकर ने कहा था कि भावना में बहकर कोई काम नहीं करना चाहिए.
मानसून सत्र के बाद शिवपूजन के इस्तीफे के तरीके को नौटंकी करार दिए जाने की बात राजनीतिक गलियारे में उठी. इस पर शिवपूजन मेहता ने खुलकर कहा था कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है और मैंने स्पीकर को कभी भी यह नहीं कहा है कि वह मेरा इस्तीफा स्वीकार न करें. शिवपूजन मेहता ने उल्टा यह कहा कि मीडिया में स्पीकर की तरफ से पहले बयान आया था कि उनके अनुनय-विनय पर उन्होंने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था.
शिवपूजन मेहता ने दी सफाई
इसको लेकर ईटीवी भारत की ओर से कुशवाहा शिवपूजन मेहता से फोन पर बातचीत की गई. इस पर उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ संसदीय भाषा का इस्तेमाल नहीं किया है. उन्होंने स्पीकर को गार्जियन समान बताया. यह पूछे जाने पर कि आप स्पीकर से मिलकर लिखित में इस्तीफा देंगे या नहीं. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि 3 दिन का समय है. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा मीडिया में आए स्पीकर के बयान के बाद उन्होंने सिर्फ यह कहा था कि सरकार की नाकामी छुपाने के लिए उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया. अगर इसे संसदीय भाषा कहा जाता है तो इस पर फैसला स्पीकर को ही लेना है.
शिवपूजन मेहता ने कहा कि वित्त सचिव की ओर से मिले नोटिस में यह कहा गया है कि उनके द्वारा दिया गया इस्तीफा विधाई प्रक्रिया के अनुकूल नहीं है. इसलिए उनको मिलकर इस्तीफा देना होगा. इसके साथ में माफी भी मांगनी होगी. बातचीत के दौरान कुशवाहा शिवपूजन मेहता अपने रुख पर अड़े नजर आए. हालांकि, उन्होंने यह जरूर कहा कि उन्हें 3 दिन का नोटिस मिला है और कायदे से उन्हें कल स्पीकर से मिलना चाहिए, लेकिन कल रविवार है और सोमवार को बकरीद की छुट्टी है. लिहाजा वह मंगलवार को स्पीकर से मिलेंगे. बातचीत के दौरान अंत में उन्होंने यह कहा कि उन्होंने संसदीय शब्द का कोई इस्तेमाल नहीं किया है और रही बात इस्तीफे की तो यह स्पीकर को तय करना है कि उन्हें स्वीकार करना है या नहीं.
Conclusion: