हजारीबागः संघर्ष और चुनौतियों के बीच गुजरा पुराना वर्ष सभी के लिए यादगार है. जिला के राजनेता, समाजसेवी, पत्रकार, बुद्धिजीवी सभी मानते हैं कि उतार चढ़ाव के बीच गुजरा साल नए वर्ष में खुशियों की उम्मीद है.
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नयी उम्मीद के साथ नई किरणों की आभा में अपना भविष्य निखारने का खुद से वादा किया. लेकिन गुजरे वक्त से हर कोई कुछ ना कुछ सीखा है. ऐसे में जो साल बीत गया है उसका हर एक व्यक्ति विश्लेषण कर रहा है कि साल 2021 में क्या खोया क्या पाया. अधिकतर लोगों का मानना है कि 2021 बेहद खराब रहा. इस साल उनके जीवन में कई उतार चढ़ाव हुए. महामारी के कारण कइयों के अपने हमेशा के लिए इस दुनिया से चले गए. वहीं विकास योजनाओं पर भी विराम लग गया.
हजारीबाग सांसद सह संसदीय वित्त संबंधी मामलों के अध्यक्ष जयंत सिन्हा ने वर्ष 2021 का विश्लेषण करते हुए कहा कि पूरा साल बेहत ही चुनौतीपूर्ण रहा. हमारे क्षेत्र के कई लोग इस दुनिया से संक्रमण के कारण काल के गाल में अकाल समा गए. हम लोगों ने हर एक व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ देने के लिए कई कदम उठाए. हजारीबाग में ऑक्सीजन युक्त बेड की भारी किल्लत थी, उस दौरान ऑक्सीजन युक्त बेड की व्यवस्था की गयी. हजारीबाग में स्वास्थ्य व्यवस्था बेहत खराब थी उसे ठीक किया गया. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कोरोना के कारण विकास योजनाओं की रफ्तार धीमी हो गयी. बरही हजारीबाग फोर लेन हो या फिर अक्षय पात्र रसोईघर, महामारी की वजह से उनका निर्माण कार्य रूक गया. सांसद जयंत सिन्हा ने उम्मीद जताई है कि आने वाले वक्त में योजनाएं धरातल पर उतरेंगी.
हजारीबाग के सदर विधायक मनीष जासवाल साल 2021 से खुश नहीं रहे. उनका भी कहना है कि हमने कई उतार चढ़ाव इस काल में देखे. विकास योजनाएं धरातल पर नहीं उतरीं, साथ ही सरकारी उदासीनता भी इस क्षेत्र में काफी देखने को मिली. पहले लोग कोरोना संक्रमण से परेशान रहे, इस दौरान कइयों ने अपने परिजनों को इस महामारी में खो दिया. अब साल समाप्त होते-होते बिजली की समस्या से पूरा क्षेत्र जूझ रहा है. इसमें सरकार की उदासीनता दिखने को मिली है.
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हजारीबाग के जाने-माने समाजसेवी मोहम्मद खालिद, जो लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करते हैं. महामारी के दौरान कोरोना संक्रमित शवों के लिए उन्होंने मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया और उनका दाह संस्कार कर सामाजिक जिम्मेदारी निभाई. मोहम्मद खालिद भी गुजरे हुए साल से काफी मायूस हुए हैं. उन्होंने कहा कि इस साल में हमने अपने को बेगाना होते देखा. संक्रमण के कारण जिनकी मौत हुई उनके परिजन अंतिम संस्कार तक में हिस्सा नहीं लिया. पिता का शव पड़ा रहा और बेटा दूर से देखता रहा. महामारी वाले वर्ष ने मानवीय संवेदना को तार तार कर दिया. उन्होंने कहा कि 100 से अधिक कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार करके उन्होंने अपना धर्म तो निभाया लेकिन इस महामारी ने संबंधों को तोड़ दिया और आपसी रिश्तों को पूरी तरह से झकझोर कर दिया.
हजारीबाग के वरिष्ठ पत्रकार मुरारी सिंह साल 2021 को नकारात्मक वर्ष के रूप में देखते हैं. उनका कहना है कि संक्रमण के कारण संबंध को टूटते हुए देखा. लेकिन कई लोगों ने सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा लेकर दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार दिखे.
हजारीबाग में विकास योजनाएं या सरकारी योजनाओं की बात करें तो कोई भी बड़ी योजना साल 2021 में धरातल पर नहीं उतरी. जिला में पुरानी योजनाओं को रफ्तार देने की कोशिश हुई. लेकिन महामारी ने विकास योजनाओं की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया. साल 2021 का अंत होते होते जिला पेयजल विभाग में घोटाला उजागर हुआ. अगर यह योजना धरातल पर आती तो आम जनता को लाभ मिलता.