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केरल में गंभीर आनुवंशिक विकार के साथ शिशु का जन्म, चार डॉक्टरों के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज - CHILD GENETIC DISORDER ALAPPUZHA

केरल में गंभीर आनुवंशिक विकार के साथ पैदा हुए बच्चे के मामले में चार डॉक्टरों पर चिकित्सकीय लापरवाही का मामला दर्ज.

Four Doctors Booked
प्रतीकात्मक तस्वीर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 28, 2024, 3:22 PM IST

अलपुझा: केरल में चार डॉक्टरों पर जेनेटिक डिसऑर्डर (आनुवांशिक विकार) वाले नवजात शिशु के जन्म में चिकित्सा लापरवाही के लिए मामला दर्ज किया गया है. आरोप है कि, डॉक्टर गर्भावस्था के दौरान विकृति का पता लगाने में विफल रहे. यह घटना अलपुझा के एक अस्पताल में हुई, जहां बच्चा गंभीर विकृतियों के साथ पैदा हुआ.

जन्म के 20 दिन बाद भी नवजात शिशु ने अपना मुंह नहीं खोला. इतना ही नहीं शिशु के कान और नाक में गंभीर आनुवांशिक विकार पाए गए. बच्चे के माता-पिता ने डॉक्टरों की लापरवाही के खिलाफ शिकायत की. मामले की जांच के लिए विशेष टीम गठित की गई है.

आरोपी 4 डॉक्टरों के खिलाफ FIR दर्ज
अलपुझा दक्षिण पुलिस ने बच्चे के माता-पिता अनीश और सुरुमी द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर मंगलवार को एक प्राथमिकी दर्ज की. आरोपियों में अलपुझा के कडप्पुरम सरकारी महिला एवं बाल अस्पताल से जुड़ी दो महिला डॉक्टर और निजी डायग्नोस्टिक लैब के दो डॉक्टर शामिल हैं. शिकायत में माता-पिता ने आरोप लगाया है कि डॉक्टर दोषों का पता लगाने में विफल रहे या उन्होंने गर्भावस्था के दौरान इसका खुलासा नहीं किया. शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि, माता-पिता को प्रसव के चार दिन बाद ही बच्चा दिखाया गया.

एफआईआर में कहा गया है कि, कडप्पुरम महिला एवं बाल अस्पताल में इलाज करा रही 35 साल की सुरूमी को 30 अक्टूबर को उसी अस्पताल में प्रसव के लिए भर्ती कराया गया था. हालांकि,मामले की गंभीरता को देखते हुए गर्भवती महिला को अलप्पुझा के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एमसीएच) में रेफर कर दिया गया था. एफआईआर में कहा गया है कि 8 नवंबर को एमसीएच अस्पताल में सर्जरी के जरिए बच्चे का जन्म हुआ और उसमें गंभीर आंतरिक और बाहरी विकृतियां पाई गईं.

इस बीच, आरोपी डॉक्टरों में से एक ने अपने खिलाफ आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि, उसने गर्भावस्था के शुरुआती महीनों के दौरान सुरूमी का इलाज किया था और उसने अतिरिक्त एमनियोटिक द्रव की उपस्थिति के संकेत दिए थे. निजी डायग्नोस्टिक लैब से जुड़े डॉक्टरों का दावा है कि ,स्कैनिंग रिपोर्ट में कोई गलती नहीं है. पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 125 (दूसरों की जान या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाला कृत्य), 125 (बी) (जहां गंभीर चोट पहुंचाई गई हो) के तहत मामला दर्ज किया है, जिसमें तीन साल तक की सजा या दस हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.

जांच के लिए विशेष टीम गठित: स्वास्थ्य मंत्री
मामले में स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि, स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त निदेशक के नेतृत्व में एक विशेष टीम इस आरोप की जांच करेगी. मंत्री ने दूसरे दिन स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को घटना के प्रकाश में आते ही जांच करने के निर्देश दिए थे. 27 नवंबर को जिला स्तरीय जांच शुरू हुई. मामले में स्कैनिंग सेंटर के खिलाफ भी जांच की जाएगी. मंत्री ने आश्वासन दिया कि जांच में अगर कोई खामी पाई जाती है तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

ये भी पढ़ें: केरल में भारी संख्या में सरकारी कर्मचारियों ने अवैध तरीके से उठाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन, अब होगी यह कार्रवाई

अलपुझा: केरल में चार डॉक्टरों पर जेनेटिक डिसऑर्डर (आनुवांशिक विकार) वाले नवजात शिशु के जन्म में चिकित्सा लापरवाही के लिए मामला दर्ज किया गया है. आरोप है कि, डॉक्टर गर्भावस्था के दौरान विकृति का पता लगाने में विफल रहे. यह घटना अलपुझा के एक अस्पताल में हुई, जहां बच्चा गंभीर विकृतियों के साथ पैदा हुआ.

जन्म के 20 दिन बाद भी नवजात शिशु ने अपना मुंह नहीं खोला. इतना ही नहीं शिशु के कान और नाक में गंभीर आनुवांशिक विकार पाए गए. बच्चे के माता-पिता ने डॉक्टरों की लापरवाही के खिलाफ शिकायत की. मामले की जांच के लिए विशेष टीम गठित की गई है.

आरोपी 4 डॉक्टरों के खिलाफ FIR दर्ज
अलपुझा दक्षिण पुलिस ने बच्चे के माता-पिता अनीश और सुरुमी द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर मंगलवार को एक प्राथमिकी दर्ज की. आरोपियों में अलपुझा के कडप्पुरम सरकारी महिला एवं बाल अस्पताल से जुड़ी दो महिला डॉक्टर और निजी डायग्नोस्टिक लैब के दो डॉक्टर शामिल हैं. शिकायत में माता-पिता ने आरोप लगाया है कि डॉक्टर दोषों का पता लगाने में विफल रहे या उन्होंने गर्भावस्था के दौरान इसका खुलासा नहीं किया. शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि, माता-पिता को प्रसव के चार दिन बाद ही बच्चा दिखाया गया.

एफआईआर में कहा गया है कि, कडप्पुरम महिला एवं बाल अस्पताल में इलाज करा रही 35 साल की सुरूमी को 30 अक्टूबर को उसी अस्पताल में प्रसव के लिए भर्ती कराया गया था. हालांकि,मामले की गंभीरता को देखते हुए गर्भवती महिला को अलप्पुझा के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एमसीएच) में रेफर कर दिया गया था. एफआईआर में कहा गया है कि 8 नवंबर को एमसीएच अस्पताल में सर्जरी के जरिए बच्चे का जन्म हुआ और उसमें गंभीर आंतरिक और बाहरी विकृतियां पाई गईं.

इस बीच, आरोपी डॉक्टरों में से एक ने अपने खिलाफ आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि, उसने गर्भावस्था के शुरुआती महीनों के दौरान सुरूमी का इलाज किया था और उसने अतिरिक्त एमनियोटिक द्रव की उपस्थिति के संकेत दिए थे. निजी डायग्नोस्टिक लैब से जुड़े डॉक्टरों का दावा है कि ,स्कैनिंग रिपोर्ट में कोई गलती नहीं है. पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 125 (दूसरों की जान या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाला कृत्य), 125 (बी) (जहां गंभीर चोट पहुंचाई गई हो) के तहत मामला दर्ज किया है, जिसमें तीन साल तक की सजा या दस हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.

जांच के लिए विशेष टीम गठित: स्वास्थ्य मंत्री
मामले में स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि, स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त निदेशक के नेतृत्व में एक विशेष टीम इस आरोप की जांच करेगी. मंत्री ने दूसरे दिन स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को घटना के प्रकाश में आते ही जांच करने के निर्देश दिए थे. 27 नवंबर को जिला स्तरीय जांच शुरू हुई. मामले में स्कैनिंग सेंटर के खिलाफ भी जांच की जाएगी. मंत्री ने आश्वासन दिया कि जांच में अगर कोई खामी पाई जाती है तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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