रांची: सड़क दुर्घटना में किसी घायल व्यक्ति को देखकर लोग उसकी मदद करने में झिझक महसूस करते हैं. पुलिस की पूछताछ और कानूनी उलझन में फंसने के डर से अपने कदम पीछे खींच लेते हैं तो अब डरने की जरूरत नहीं है. आईपीसी की धारा 134 ए सुरक्षा प्रदान करती है. इसके तहत घायल व्यक्ति की मदद करने वालों से कोई भी पूछताछ नहीं कर सकती है और ना ही किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
ये भी पढ़े- साइबर क्रिमिनल्स को चेतावनीः सुधर जाएं नहीं तो सख्त कार्रवाई के लिए रहें तैयार- गिरिडीह एसपी
कार्यक्रम की अध्यक्षता करने वाले कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि विभिन्न लॉ कॉलेज के फैकेल्टी मेंबर ट्रैफिक पुलिस के अलावा पैनल अधिवक्ता और पीएलबी सदस्य मौजूद रहे, जिन्हें यातायात नियम और दुर्घटना मुआवजा अधिनियम की जानकारी दी गई. मुख्य वक्ता ट्रैफिक एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग और रांची सिविल कोर्ट के ACJM वैशाली श्रीवास्तव ने संबोधित किया. अगर कोई शख्स यातायात नियम का उल्लंघन करता है और समय पर फाइन जमा नहीं करता है तो मोटर वाहन एक्ट के तहत उस पर क्या कार्रवाई हो सकती है.
झारखंड लीगल सर्विसेज के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से 40 कोर्ट बिल्डिंग में ट्रैफिक मामले एमबी एक्ट और एमएससीटी एक्ट के प्रावधानों को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य वक्ता के तौर पर ट्रैफिक एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग, जज मनीष और एसीजीएम वैशाली श्रीवास्तव मौजूद रहे. जिसका मुख्य उद्देश्य यातायात नियम और उनके कानून प्रधान को प्रभावी बना रहे ताकि सड़क दुर्घटना में मौत की संख्या में कमी किया जा सके. इसके साथ ही दुर्घटना में विक्टिम को मुआवजा प्रदान किया जा सके.