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यातायात नियम और सड़क दुर्घटना को लेकर सेमिनार, घायलों को मदद करने से न हिचकिचाएं

रांची में यातायात नियम और सड़क दुर्घटना को लेकर एक सेमिनार का आयोजन किया गया. इस दौरान कहा गया कि घायल व्यक्ति की मदद करने वालों से कोई भी पूछताछ नहीं होगी और ना ही किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.

seminar organized on traffic rules in ranchi
सेमिनार का आयोजन
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Published : Feb 20, 2021, 1:17 PM IST

Updated : Feb 20, 2021, 1:35 PM IST

रांची: सड़क दुर्घटना में किसी घायल व्यक्ति को देखकर लोग उसकी मदद करने में झिझक महसूस करते हैं. पुलिस की पूछताछ और कानूनी उलझन में फंसने के डर से अपने कदम पीछे खींच लेते हैं तो अब डरने की जरूरत नहीं है. आईपीसी की धारा 134 ए सुरक्षा प्रदान करती है. इसके तहत घायल व्यक्ति की मदद करने वालों से कोई भी पूछताछ नहीं कर सकती है और ना ही किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.

देखें पूरी खबर
ट्रैफिक एसपी ने बताया कि अगर कोई भी सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति किसी भी अस्पताल में पहुंचता है तो उसका प्राथमिक उपचार करना उसकी जवाबदेही होगी. ऐसा नहीं करने पर अस्पताल पर भी कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है. उन्होंने यह भी बताया कि मोटर वाहन एक्ट 2019 को कड़ाई से लागू करने पर मौत के आंकड़ा में 60% की कमी आई है.

ये भी पढ़े- साइबर क्रिमिनल्स को चेतावनीः सुधर जाएं नहीं तो सख्त कार्रवाई के लिए रहें तैयार- गिरिडीह एसपी

कार्यक्रम की अध्यक्षता करने वाले कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि विभिन्न लॉ कॉलेज के फैकेल्टी मेंबर ट्रैफिक पुलिस के अलावा पैनल अधिवक्ता और पीएलबी सदस्य मौजूद रहे, जिन्हें यातायात नियम और दुर्घटना मुआवजा अधिनियम की जानकारी दी गई. मुख्य वक्ता ट्रैफिक एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग और रांची सिविल कोर्ट के ACJM वैशाली श्रीवास्तव ने संबोधित किया. अगर कोई शख्स यातायात नियम का उल्लंघन करता है और समय पर फाइन जमा नहीं करता है तो मोटर वाहन एक्ट के तहत उस पर क्या कार्रवाई हो सकती है.


झारखंड लीगल सर्विसेज के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से 40 कोर्ट बिल्डिंग में ट्रैफिक मामले एमबी एक्ट और एमएससीटी एक्ट के प्रावधानों को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य वक्ता के तौर पर ट्रैफिक एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग, जज मनीष और एसीजीएम वैशाली श्रीवास्तव मौजूद रहे. जिसका मुख्य उद्देश्य यातायात नियम और उनके कानून प्रधान को प्रभावी बना रहे ताकि सड़क दुर्घटना में मौत की संख्या में कमी किया जा सके. इसके साथ ही दुर्घटना में विक्टिम को मुआवजा प्रदान किया जा सके.

रांची: सड़क दुर्घटना में किसी घायल व्यक्ति को देखकर लोग उसकी मदद करने में झिझक महसूस करते हैं. पुलिस की पूछताछ और कानूनी उलझन में फंसने के डर से अपने कदम पीछे खींच लेते हैं तो अब डरने की जरूरत नहीं है. आईपीसी की धारा 134 ए सुरक्षा प्रदान करती है. इसके तहत घायल व्यक्ति की मदद करने वालों से कोई भी पूछताछ नहीं कर सकती है और ना ही किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.

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ट्रैफिक एसपी ने बताया कि अगर कोई भी सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति किसी भी अस्पताल में पहुंचता है तो उसका प्राथमिक उपचार करना उसकी जवाबदेही होगी. ऐसा नहीं करने पर अस्पताल पर भी कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है. उन्होंने यह भी बताया कि मोटर वाहन एक्ट 2019 को कड़ाई से लागू करने पर मौत के आंकड़ा में 60% की कमी आई है.

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कार्यक्रम की अध्यक्षता करने वाले कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि विभिन्न लॉ कॉलेज के फैकेल्टी मेंबर ट्रैफिक पुलिस के अलावा पैनल अधिवक्ता और पीएलबी सदस्य मौजूद रहे, जिन्हें यातायात नियम और दुर्घटना मुआवजा अधिनियम की जानकारी दी गई. मुख्य वक्ता ट्रैफिक एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग और रांची सिविल कोर्ट के ACJM वैशाली श्रीवास्तव ने संबोधित किया. अगर कोई शख्स यातायात नियम का उल्लंघन करता है और समय पर फाइन जमा नहीं करता है तो मोटर वाहन एक्ट के तहत उस पर क्या कार्रवाई हो सकती है.


झारखंड लीगल सर्विसेज के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से 40 कोर्ट बिल्डिंग में ट्रैफिक मामले एमबी एक्ट और एमएससीटी एक्ट के प्रावधानों को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य वक्ता के तौर पर ट्रैफिक एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग, जज मनीष और एसीजीएम वैशाली श्रीवास्तव मौजूद रहे. जिसका मुख्य उद्देश्य यातायात नियम और उनके कानून प्रधान को प्रभावी बना रहे ताकि सड़क दुर्घटना में मौत की संख्या में कमी किया जा सके. इसके साथ ही दुर्घटना में विक्टिम को मुआवजा प्रदान किया जा सके.

Last Updated : Feb 20, 2021, 1:35 PM IST
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