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राजधानी में शोभायात्रा निकालकर मनाया जाएगा प्रकृति पर्व सरहुल, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिया आश्वाशन - सीएम से मिला आदिवासी संगठन

राजधानी में सरहुल की तैयारी शुरू हो चुकी है. प्रकृति पर्व सरहुल 04 अप्रैल को मनाया जाएगा. आदिवासी संगठनों ने इस बार सरहुल पूजा पारंपरिक रीति रिवाज और भव्य जुलूस (Sarhul Procession) के साथ मनाने का निर्णय लिया है. इस संबंध में विभिन्न आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की.

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Sarhul will be celebrated with procession in Ranchi
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Published : Mar 25, 2022, 3:29 PM IST

रांची: कोरोना की वजह से पिछले दो वर्षों से प्रकृति पर्व सरहुल भव्य तरीके से नहीं मनाया जा सका था. लेकिन इस बार आदिवासी समाज के लोगों ने सरहुल पूजा पारंपरिक, सांस्कृतिक रीति रिवाज और धूमधाम से मनाने की तैयारी शुरू कर दी है. इसी क्रम में विभिन्न आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Adivasi Sangathan Met Chief Minister For Sarhul) से विधानसभा स्थित उनके कार्यालय में मुलाकात की. इस दौरान सरहुल मनाने सहित कई मुद्दों से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अवगत कराया गया. वहीं सरहुल शोभायात्रा (Sarhul Procession Will Be Organised) को लेकर भी चर्चा की गई. सरहुल शोभायात्रा को लेकर मुख्यमंत्री ने आश्वाशन दिया.

इसे भी पढ़े: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जर्मनी के राजदूत वाल्टर जे लिंडनर ने की शिष्टाचार मुलाकात

इस बार निकाली जाएगी सरहुल शोभायात्रा: केंद्रीय सरना समिति (Kendriya Sarna Samiti) के अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा कि मुख्यमंत्री से सरहुल पूजा के आयोजन को लेकर मुलाकात की गई. मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि इस बार सरहुल पूजा धूमधाम से मनाया जाएगा. सरहुल उपवास 02 अप्रैल को, पूजा 03 अप्रैल को और जुलूस 04 अप्रैल को निकाला जाएगा. वहीं फुलखोसी का कार्यक्रम 05 अप्रैल को हर्षोल्लास के साथ किया जाएगा.

जानकारी देते अजय तिर्की

पारंपरिक ढ़ग से जुलूस में शामिल होने का निर्देश: वहीं सरना समिति की ओर से सभी सरना धर्मावलंबीयों को अपने-अपने घरों में सरना झंडा लगाने का निर्देश दिया गया है. जुलूस में ढोल-नगाड़ा और मांदर (Dhol Nagada And Mandar) के साथ शामिल होने को कहा गया है. इसके साथ ही महिलाओं काे लाल पाड़ साड़ी और पुरुषों को धोती गंजी पहनेने अनुरोध किया गया है. जुलूस के दौरान अपने दल की देखभाल रस्सी का घेरा बना कर करेने सुझाव दिया है.

रांची: कोरोना की वजह से पिछले दो वर्षों से प्रकृति पर्व सरहुल भव्य तरीके से नहीं मनाया जा सका था. लेकिन इस बार आदिवासी समाज के लोगों ने सरहुल पूजा पारंपरिक, सांस्कृतिक रीति रिवाज और धूमधाम से मनाने की तैयारी शुरू कर दी है. इसी क्रम में विभिन्न आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Adivasi Sangathan Met Chief Minister For Sarhul) से विधानसभा स्थित उनके कार्यालय में मुलाकात की. इस दौरान सरहुल मनाने सहित कई मुद्दों से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अवगत कराया गया. वहीं सरहुल शोभायात्रा (Sarhul Procession Will Be Organised) को लेकर भी चर्चा की गई. सरहुल शोभायात्रा को लेकर मुख्यमंत्री ने आश्वाशन दिया.

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इस बार निकाली जाएगी सरहुल शोभायात्रा: केंद्रीय सरना समिति (Kendriya Sarna Samiti) के अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा कि मुख्यमंत्री से सरहुल पूजा के आयोजन को लेकर मुलाकात की गई. मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि इस बार सरहुल पूजा धूमधाम से मनाया जाएगा. सरहुल उपवास 02 अप्रैल को, पूजा 03 अप्रैल को और जुलूस 04 अप्रैल को निकाला जाएगा. वहीं फुलखोसी का कार्यक्रम 05 अप्रैल को हर्षोल्लास के साथ किया जाएगा.

जानकारी देते अजय तिर्की

पारंपरिक ढ़ग से जुलूस में शामिल होने का निर्देश: वहीं सरना समिति की ओर से सभी सरना धर्मावलंबीयों को अपने-अपने घरों में सरना झंडा लगाने का निर्देश दिया गया है. जुलूस में ढोल-नगाड़ा और मांदर (Dhol Nagada And Mandar) के साथ शामिल होने को कहा गया है. इसके साथ ही महिलाओं काे लाल पाड़ साड़ी और पुरुषों को धोती गंजी पहनेने अनुरोध किया गया है. जुलूस के दौरान अपने दल की देखभाल रस्सी का घेरा बना कर करेने सुझाव दिया है.

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