रांची: मिड डे मील के 101 करोड़ रुपये गबन के मामले में मुख्य आरोपी व बिल्डर तथा भानु कंस्ट्रक्शन का पार्टनर संजय कुमार तिवारी सीबीआई के रडार पर है. पैसे लौटाने के नाम पर राहत मांग कर अब संजय गिरफ्तारी के डर से अपने ठिकाने बदल रहा है. सीबीआई अब उस पर दबिश बढ़ाने के लिए गिरफ्तारी वारंट के बाद कोर्ट से इश्तेहार भी हासिल कर चुकी है.
पैसे लौटाने को लेकर मिली थी राहत, अब हुआ फरार
हाई कोर्ट ने पिछले साल आरोपी संजय तिवारी को गबन की बकाया रकम 16.40 करोड़ रुपए किस्तों में जमा करने की शर्त पर अंतरिम अग्रिम जमानत की सुविधा प्रदान की थी. सीबीआई को उसके खिलाफ निर्धारित समय सीमा तक कार्रवाई करने पर रोक लगी थी. हाईकोर्ट ने जिस तर्ज पर राहत प्रदान की थी आरोपी उसे पूरा नहीं कर पाया. इसके बाद अब सीबीआई उसे दुबारा गिरफ्तार करने को लेकर प्रयासरत है. पिछले सप्ताह सीबीआई ने संजय तिवारी को गिरफ्तार करने के लिए उसके कई ठिकानों पर रेड भी किया था, लेकिन वह अब तक सीबीआई की गिरफ्त में नहीं आ सका है.
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अंतरिम अग्रिम जमानत की शर्त का उल्लंघन
झारखंड हाई कोर्ट ने संजय तिवारी को 6 दिसंबर 2019 को अंतरिम जमानत प्रदान की थी. इसके तहत भानु कंस्ट्रक्शन को 18 अक्टूबर 2019 तक 8 करोड़ 17 लाख 50 हजार रुपये का भुगतान करना था. वहीं, 17 जनवरी 2020 तक 4 करोड़ 8 लाख 75 हजार रुपये और 17 अप्रैल 2020 तक बाकी 4 करोड़ 8 लाख 75 हजार रुपये का भुगतान करना था. इसके अलावा ब्याज की राशि 17 जुलाई 2020 तक भुगतान करने का वादा किया गया था. इसके लिए बाकायदा समझौता पत्र भी कोर्ट में प्रस्तुत किया गया था, लेकिन आरोपी शर्त का उल्लंघन करते हुए फरार हो गया. सीबीआई अब इस मामले को लेकर संजय तिवारी के घर पर इश्तेहार भी चस्पा करने वाली है.
क्या है पूरा मामला
मिड डे मील मामला झारखंड का चर्चित मामला है. दरअसल, मध्याह्न भोजन के लिए रांची स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की हटिया ब्रांच में 5 अगस्त 2017 को रखे गए लगभग 101 करोड़ बिल्डर भानु कंस्ट्रक्शन के पार्टनर संजय तिवारी के खाते में ट्रांसफर कर दिए गए थे, जिसमें बैंक मैनेजर अजय उरांव का भी हाथ था.
मध्याह्न भोजन की यह रकम भानु कंस्ट्रक्शन के एक्सिस बैंक लिमिटेड, एचडीएफसी, चोलामंडलम फाइनेंस कंपनी लिमिटेड के खातों में ट्रांसफर की गई थी. वहीं, बिल्डर 50 करोड़ रुपये निकालकर इस दौरान फरार भी हो गया. मामला प्रकाश में आने पर एसबीआई ने खुद पैसे भरे और मैनेजर को सस्पेंड कर दिया. इस मामले को लेकर सीबीआई ने 7 दिसंबर 2017 को प्राथमिकी दर्ज की थी.